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सिंगापुर में होने वाले वर्ल्ड सिटी सम्मेलन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भाग नहीं ले पाएंगे
दिल्ली ब्रेकिंग न्यूज़: सिंगापुर सरकार ने वर्ल्ड सिटी सम्मेलन 2022 में भाग लेने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिए अपने निमंत्रण को वापस ले लिया है। उसने कहा है कि 20 जुलाई की स्वीकृति की समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद अब इसे स्वीकार नहीं कर सकती है। सिंगापुर सरकार के एक प्रतिनिधि ने इस बाबत दिल्ली सरकार को अवगत कराया है। सूत्रों ने वीरवार को यह जानकारी दी। बता दें कि सीएम केजरीवाल को सिंगापुर के उच्चायुक्त साइमन वोंग ने इस साल जून में वर्ल्ड सिटी सम्मेलन में बोलने के लिए आमंत्रित किया था। जबकि केजरीवाल ने यात्रा के लिए अपनी फाइल सात जून को मंजूरी के लिए उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के पास भेजी थी, लेकिन उन्होंने 21 जुलाई को यह कहते हुए वापस कर दी थी कि यह मेयरों का सम्मेलन है जो एक मुख्यमंत्री की उपस्थिति के अनुरूप नहीं है।
शिखर सम्मेलन 31 जुलाई से तीन अगस्त तक हो रहा है और केजरीवाल के एक अगस्त को बोलने की उम्मीद थी। उपराज्यपाल द्वारा उनकी फाइल को खारिज करने के बाद केजरीवाल ने कहा था कि वह यात्रा के साथ आगे बढ़ेंगे और अपनी टीम से राजनीतिक मंजूरी के लिए सीधे विदेश मंत्रालय में आवेदन करने के लिए कहा था। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी लिखा था कि एक मुख्यमंत्री को इस तरह के कार्यक्रम में शामिल होने से रोकना राष्ट्र के हितों के खिलाफ है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के सभी मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को किसी भी प्रस्तावित विदेश यात्रा आधिकारिक या निजी के लिए विदेश मंत्रालय और कैबिनेट सचिवालय को सूचित करना होता है। अधिकारियों के अनुसार ऐसी यात्राओं के लिए विदेश मंत्रालय से पूर्व राजनीतिक मंजूरी और एफसीआरए की मंजूरी अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि दिल्ली एक विधानसभा के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते ऐसी सभी फाइलें उपराज्यपाल के माध्यम से विदेश मंत्रालय को भेजी जाती हैं।
सिर्फ केंद्र सरकार जिम्मेदार: दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार ने इस बाबत कहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यदि सिंगापुर में आयोजित होने जा रहे वर्ल्ड सिटी समिट में नहीं जा पा रहे हैं और इसकी वजह से दिल्ली के साथ-साथ देश को अपमानित होना पड़ा है तो इसके लिए जिम्मेदार सिर्फ केंद्र सरकार है। दिल्ली सरकार ने कहा कि मुख्यमंत्री की यात्रा की अनुमति संबंधी फाइल उपराज्यपाल को सात जून को ही भेज दी गई थी। उपराज्यपाल करीब डेढ़ माह तक चुप बैठे रहे और 21 जुलाई को फाइल वापस लौटा दी। तब तक न सिर्फ काफी विलंब हो चुका था, बल्कि यात्रा संबंधी औपचारिकताएं पूरी करने की 20 जुलाई तक की समय सीमा भी खत्म हो चुकी थी। दिल्ली सरकार ने कहा कि इससे साफ है कि केंद्र सरकार की मंशा मुख्यमंत्री को अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य के अलावा अन्य क्षेत्रों में हुए विश्वस्तरीय कामकाज के बारे में बताने से रोकने की थी। केंद्र सरकार की मंशा बेशक पूरी हुई, लेकिन इससे देश को वैश्विक समुदाय के बीच जिस तरह से नीचा देखना पड़ा है, उसके लिए केंद्र जिम्मेदार है।