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दिल्ली: बजट से पहले दिल्ली के व्यापारियों की बाजारों के विकास के लिए अलग से फंड की मांग

Admin Delhi 1
21 March 2022 8:38 AM GMT
दिल्ली: बजट से पहले दिल्ली के व्यापारियों की बाजारों के विकास के लिए अलग से फंड की मांग
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दिल्ली न्यूज़: दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र 23 मार्च से शुरू होने जा रहा है और इस बजट पर दिल्ली के व्यापारियों की भी नजर है। व्यापारियों के संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ने भी व्यापारियों और फैक्ट्री मालिकों से संवाद कर 7 सूत्रीय मांगों का ड्राफ्ट तैयार किया है। सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि इन सुझावों को दिल्ली सरकार को भेज दिया गया है, तमाम बाजारों और फैक्ट्री मालिकों ने सीटीआई द्वारा जारी वाट्सएप नंबर पर सुझाव भेजे हैं।बृजेश गोयल ने बताया कि सीटीआई को दिल्ली के 1200 व्यापारी संगठनों, फैक्ट्री एसोसिएशन्स, होटल, रेस्टोरेंट एवं बैंक्वेट एसोसिएशन्स के सुझाव मिले हैं जिनमें से प्रमुख 7 सुझावों को दिल्ली सरकार को भेज दिया गया है।

बाजारों का विकास और फंड आवंटन: दिल्ली के बहुत बाजारों में मूलभूत सुविधाओं का काफी आभाव है। ट्रेडर्स के सुझाव मिले कि मार्केट में महिलाओं के लिए पर्याप्त शौचालय, सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे, तारों को अंडरग्राउंड किया जाए। कई बाजारों में सड़कें टूटी हैं। बारिश में सीवर भर जाते हैं। गंदगी से बुरा हाल रहता है। दिल्ली सरकार बाजारों के सौंदर्यकरण पर अलग से फंड आवंटित करे। इससे मार्केट की रौनक बढ़ेगी।

शॉपिंग फेस्टिवल और बिजनेस फेयर: देश में दिल्ली बड़ा डिस्ट्रीब्यूशन पॉइंट है। यहां शहरी आबादी की संख्या अधिक है। देर रात तक बाजारों में चहल.पहल होती है। विदेशी टूरिस्ट भी आते हैं। दिल्ली में यदि शॉपिंग फेस्टिवल और बिजनेस फेयर आयोजित होने लगेंगेए तो बिजनेस भी उठेगा। सरकार शॉपिंग फेस्टिवल के तहत डिस्काउंट देने वालों को एसजीएसटी में छूट दे। इससे कारोबारियों पर भी बोझ नहीं पड़ेगा।

ऐतिहासिक फूड हब का विकास: राष्ट्रीय राजधानी में कई इलाके अपने खान.पान के लिए काफी मशहूर हैं। स्वाद के शौकीन दूर-दूर से ऐसी जगह पहुंचते हैं। इससे फुटफॉल बढ़ता है। चांदनी चौक में पराठे वाली गलीए नटराज के भल्लेए छैनाराम की मिठाईए करोल बाग में रौशन दी कुल्फी, कमला नगर में मशहूर कचौड़ी वाला, मोती नगर में समोसे, लक्ष्मी नगर में गणेश कचौड़ी वाला समेत कई जगह खानपान से विख्यात है। ऐसे फूड हब के विकास पर सरकार को जोर देना होगा। अभी दिल्ली में बड़ी आबादी को इसकी जानकारी नहीं है।

वैट एमनेस्टी स्कीम: वैट के तमाम केस पेंडिंग पड़े हैं। जीएसटी को आए 4 साल से ज्यादा वक्त हो गया। पुराने फार्म को लेकर बड़ी परेशानी है। डिपार्टमेंट के नोटिस से व्यापारी परेशान है। सरकार एमनेस्टी स्कीम लेकर आए। कुछ प्रतिशत जमाकर कराकर पुराने मामलों से मुक्ति दिलाए। राजस्थान और पंजाब सरकार ने वैट एमनेस्टी स्कीम की घोषणा की है।

जीएसटी रजिस्ट्रेशन का सरलीकरण: बहुत से ट्रेडर्स को जीएसटी का रजिस्ट्रेशन लेना होता है। इन्हें वैरिफिकेशन में परेशानी आती है। बीच में ऑनलाइन सिस्टम कर दिया था। अब ऑफलाइन भी जाकर डिपार्टमेंट चेक करता है। विजिट होती है। इसे आसान बनाने की आवश्यकता है। यह सरल होगाए तो अधिक से अधिक व्यापारी अपने प्रतिष्ठान को जीएसटी में रजिस्ट्रर्ड कराएगा। इससे सरकार को भी राजस्व मिलेगा।

व्यापारियों को पेंशन और हेल्थ इंश्योरेंस: सारी जिंदगी व्यापारी सरकार को टैक्स कलेक्ट करके देता है। इसकी एवज में कोई पैसा नहीं मिलता। अब ट्रेडर्स की डिमांड है कि एक उम्र के बाद ट्रेडर्स को पेंशन और हेल्थ इंश्योरेंस मिलना चाहिए। सरकार के रेवेन्यू में 70 से 80 प्रतिशत हिस्सा व्यापारी ही देते हैं। कोरोना काल में बहुतों की जान चली गई। कई व्यापारी के परिवार में कोई नहीं है। उन्हें पेंशन और हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा मिलेगीए तो ट्रेडर्स को कुछ राहत मिलेगी। जितना भी टैक्स जीवन में व्यापारी ने दिया हैए उसी आधार पर पेंशन फिक्स की जाए।

इंडस्ट्रियल एरिए का विकास: दिल्ली में बहुत सारे इंडस्ट्रियल एरिया हैं। कई जगहों पर नागरिक सुविधाओं का अभाव है। कहीं पर पानी की पाइप लाइन नहीं है। लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ता है। सुरक्षा का मसला है। ट्रांसपोर्ट का सिस्टम ठीक नहीं है। कर्मचारियों को फैक्ट्री पहुंचने में परेशानी होती है। यहां डीटीसी की बस का प्रबंध होना चाहिए। बस डिपो नहीं है। ज्यादाकर औद्योगिक क्षेत्र दिल्ली के बाहरी हिस्से में है। मेट्रो कनेक्टिविटी भी नहीं है। इसमें सुधार लाया जाए।

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