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गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए थे दीपक सिंह, अब पत्नी रेखा देवी बनेगी सैन्य अफसर

Renuka Sahu
6 Feb 2022 4:46 AM GMT
गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए थे दीपक सिंह, अब पत्नी रेखा देवी बनेगी सैन्य अफसर
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फाइल फोटो  

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को चीन से संघर्ष में शहीद हुए बिहार के नायक दीपक सिंह की 23 साल की पत्नी रेखा देवी ने भी अपने पति की राह पर चलने का फैसला किया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को चीन से संघर्ष में शहीद हुए बिहार के नायक दीपक सिंह की 23 साल की पत्नी रेखा देवी ने भी अपने पति की राह पर चलने का फैसला किया है।

मध्य प्रदेश के रीवा की रहने वाली रेखा देवी ने सेना में शामिल होने के लिए महत्वपूर्ण परीक्षा पास कर ली है। वह सेना में अधिकारी के रूप में सेवाएं देंगी। शहीद दीपक सिंह बिहार रेजीमेंट की 16वीं बटालियन में नायक थे। वह गलवान घाटी में चीनी सैनिकों को खदेड़ने के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे। बीते साल नवंबर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया था। दीपक सिंह की पत्नी रेखा देवी ने यह सम्मान ग्रहण किया था। परमवीर और महावीर चक्र के बाद वीर चक्र देश का तीसरा सबसे बड़ा सम्मान है।
पांच दिन तक चले इंटरव्यू के बाद चयन : रेखा देवी ने शुक्रवार को सेवा चयन बोर्ड की परीक्षा पास कर ली। एक सैन्य अधिकारी के अनुसार इलाहाबाद में पांच दिन चले इंटरव्यू के बाद उनका चयन किया गया। अब उन्हें चेन्नई में सेवा पूर्व प्रशिक्षण (ओटीए) दिया जाएगा। चयनित प्रत्याशियों की सूची संघ लोक सेवा आयोग द्वारा जारी किए जाने के पूर्व रेखा देवी को मेडिकल टेस्ट पास करना होगा।
शहीदों की पत्नियों को यह छूट
शहीद सैन्य जवानों व अधिकारियों की पत्नियों को सेना में भर्ती होने के लिए यूपीएससी द्वारा कराई जाने वाली सम्मिलित रक्षा सेवा परीक्षा (सीडीएस) में शामिल होने से छूट दी जाती है। यह पास करने के बाद ही एसएसबी इंटरव्यू की पात्रता होती है। शहीदों की पत्नियों को आयु सीमा में छूट मिलती है। वैसे ओटीए के लिए आयु सीमा 19 से 25 साल तय है।
चिकित्सा सहायक थे नायक दीपक सिंह
नायक दीपक सिंह सेना में चिकित्सा सहायक थे। उन्होंने समय पर इलाज कर 30 भारतीय जवानों की जान बचाई थी। सात घंटे चले गलवान घाटी संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। वहीं, चीन के भी 40 से ज्यादा जवान व अधिकारी मारे गए थे। संघर्ष के दौरान ही नायक दीपक सिंह घायल जवानों की मदद के लिए मोर्चे पर पहुंचे थे। इसी दौरान चीनी सैनिकों की ओर से मारा गया एक पत्थर उनके सिर में आकर लगा था। इसके बाद भी उन्होंने कई घायल जवानों की मदद की। हालांकि, बाद में दीपक सिंह ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।
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