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साइबर धोखाधड़ी मामला: दिल्ली पुलिस ने किया राजस्थान से 2 लोगों को गिरफ्तार

Kunti Dhruw
6 Dec 2021 3:27 PM GMT
साइबर धोखाधड़ी मामला: दिल्ली पुलिस ने किया राजस्थान से 2 लोगों को गिरफ्तार
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दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कहा कि उसने एक कंपनी को 80 लाख रुपये की चूना लगाने के आरोप में साइबर धोखाधड़ी के कई मामलों में कथित रूप से फरार एक अंतरराज्यीय गिरोह के दो लोगों को राजस्थान से गिरफ्तार किया है।

नयी दिल्ली, दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कहा कि उसने एक कंपनी को 80 लाख रुपये की चूना लगाने के आरोप में साइबर धोखाधड़ी के कई मामलों में कथित रूप से फरार एक अंतरराज्यीय गिरोह के दो लोगों को राजस्थान से गिरफ्तार किया है।

पुलिस ने आरोपी मेहंदी हसन (43) उर्फ हरपाल सिंह और मोहम्मद अरबाज खान (20) की गिरफ्तारी के साथ ही साइबर ठगी के दो मामले सुलझाने का दावा किया है।पुलिस ने कहा कि कथित गिरोह के सरगना अफ्रीकी नागरिक सहित दो आरोपियों को उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस साल अगस्त में 80 लाख रुपये की धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया था। पुलिस ने बताया कि यह गिरोह आमतौर पर बड़ी कंपनियों को निशाना बनाता था और कंपनियों के प्रमुख प्रबंधकीय व्यक्तियों के ई-मेल के समान फर्जी ई-मेल बनाता था। इतना ही नहीं गिरोह उन फर्मों के जाली लेटर हेड भी बनाता था।
आरोपियों ने फर्जी कंपनियों या लोगों के नाम से बनाए गए कई फर्जी चालू खातों में लक्षित कंपनी के बैंक खाते से राशि ट्रांसफर करने के लिए बैंक को मेल और जाली पत्र भेजे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि विभिन्न खातों में स्थानांतरित की गई यह राशि एटीएम से निकाली गई। मामला पुलिस के पास उस वक्त आया, जब शिकायतकर्ता कंपनी ने खाते की बैलेंस शीट की जांच के बाद महसूस किया कि इसमें लगभग 80 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई है। इन दो फरार लोगों की दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में मौजूदगी की गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस की एक टीम ने तकनीकी जांच की और सरिता विहार तथा बदरपुर के आसपास के इलाकों में कई सीसीटीवी फुटेज की जांच की।
पुलिस उपायुक्त ईशा पांडे ने कहा कि पुलिस टीम को पता चला कि आरोपी जयपुर में देखे गए थे। उन्होंने कहा, ''तकनीकी निगरानी के आधार पर हमारी टीम ने शुक्रवार-शनिवार की दरम्यानी रात जयपुर में छापेमारी की और इस मामले में फरार दो लोगों को गिरफ्तार किया।'' पांडे ने कहा, ''जांच के दौरान, हमने पाया कि एक आरोपी रुकसार मंसूरी के पास विभिन्न बैंकों में विभिन्न लोगों के नाम से कई चालू खाते थे। वह पैसे जमा करने के लिए कमीशन के आधार पर इन खातों का विवरण प्रदान करता था।''
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