दिल्ली-एनसीआर

5जी नेटवर्क की सुविधा देने के बहाने लोगों को ठग रहे साबइर अपराधी, ठगी से बचाने के लिए दिल्ली पुलिस ने जारी की एडवाइजरी

Renuka Sahu
30 Jun 2022 2:20 AM GMT
Cyber criminals duping people on the pretext of providing 5G network, Delhi Police issued advisory to protect them from fraud
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फाइल फोटो 

अगर आपके पास ब्रॉडबैंड की इंटरनेट स्पीड बढ़ाने और 5जी नेटवर्क देने के लिए फोन या मैसेज आया है, तो थोड़ा सावधान हो जाएं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अगर आपके पास ब्रॉडबैंड की इंटरनेट स्पीड बढ़ाने और 5जी नेटवर्क देने के लिए फोन या मैसेज आया है, तो थोड़ा सावधान हो जाएं। साइबर ठग मोबाइल और ब्रॉडबैंड की इंटरनेट स्पीड बढ़ाने और 5जी नेटवर्क की सुविधा देने के बहाने लोगों के बैंक खाते खाली कर रहे हैं। दिल्ली में पिछले दिनों इंटरनेट स्पीड बढ़ाने के नाम पर ठगी करने के कई मामले सामने आए। अधिकतर मामलों में साइबर ठग खुद को किसी मोबाइल या ब्रॉडबैंक सर्विस प्रोवाइडर कंपनी का कर्मचारी बताकर यूजर्स के मोबाइल पर कॉल करते हैं। ठगी से बचाने के लिए दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने भी एडवाइजरी जारी की है।

ऐसे होता है फर्जीवाड़ा
पुलिस अधिकारी ने बताया कि शातिर मोबाइल और ब्रॉडबैंड पर इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने और मोबाइल नेटवर्क को दुरुस्त करने का झांसा देते हैं। उसके बाद ठग तीन डिजिट के यूनिक नंबर का इस्तेमाल कर यूनिक नंबर के साथ पीड़ित को अपना मोबाइल नंबर डायल करने को कहते हैं। पीड़ित के यूनिक कोड और मोबाइल नंबर डायल करते ही पीड़ित का नंबर, ई वॉलेट एवं मैसेजिंग एप की पूरी जानकारी बैकअप के साथ ठग के पास पहुंच जाती है। फिर ठग आसानी से अपने मोबाइल पर पेमेंट वॉलेट और मैसेजिंग एप डाउनलोड कर लेते हैं। मैसेजिंग एप के जरिए भी ठग पीड़ित के परिचितों से अलग-अलग बहाना बनाकर पैसे मंगवा लेते हैं। परिचितों को मैसेज मिलने पर लगता है कि यूजर ने ही भेजा है।
निजी तस्वीरों का हो सकता है दुरुपयोग
मोबाइल मैसेजिंग एप पर अगर टू वे वेरिफिकेशन नहीं होता है, तो ठग आसानी से यूजर के नंबर से एप अपने मोबाइल पर इंस्टाल कर लेता है। इंस्टालेशन के दौरान बैकअप भी ठग के पास पहुंच जाता है। इससे यूजर्स की निजी तस्वीर और वीडियो भी ठग के पास पहुंच जाती हैं। ठग यूजर की निजी तस्वीर और वीडियो को वायरल करने की धमकी देकर पैसे ऐंठ सकते हैं।
दो दर्जन से ज्यादा मामले आए सामने
दिल्ली में जनवरी से लेकर 22 जून तक ठगी के ऐसे करीब 25 मामले सामने आ चुके हैं। खास बात यह है कि ठगों ने अधिकतर पढ़े-लिखे और नौकरीपेशा लोगों को अपना शिकार बनाया। वहीं, ठगों तक पहुंचना पुलिस के लिए भी चुनौती बना हुआ है। अधिकतर ठग पश्चिम बंगाल, जामताड़ा सहित अन्य जगहों से पीड़ित के मोबाइल पर कॉल करते हैं। आरोपी किसी अन्य की आईडी पर जारी मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में पुलिस को न तो उनके ठिकाने की सटीक जानकारी मिलती और न ही मोबाइल नंबर के आधार पर सही पहचान होती।
जल्द शिकायत करेंगे तो नुकसान नहीं
साइबर ठगी होने के बाद अगर लोग जल्द से जल्द पुलिस में शिकायत करेंगे तो पुलिस उन्हें आर्थिक नुकसान से बचा सकती है। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल का कहना है कि अगर लोग ठगी होने के 15 मिनट बाद 1930 पर पुलिस को शिकायत करते हैं। तो पुलिस लोगों को आर्थिक नुकसान बचा सकती है। ठगी का शिकार हुए लोग साइबर सेल की वेबसाइट http://www.cybercelldelhi.in/ पर भी शिकायत कर सकते हैं।
इन बातों का हमेशा ध्यान रखें
- किसी कंपनी या बैंक का नंबर गूगल पर सर्च न करें। इंटरनेट पर मिले नंबर जालसाजों द्वारा डाले गए भी हो सकते हैं और आप ठगी का शिकार हो सकते हैं।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर पर पोस्ट डालकर कंपनी या बैंक का नंबर न मांगें।
- किसी बैंक या कंपनी का आधिकारिक कस्टमर केयर नंबर, उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद रहता है। जरूरत पड़ने पर सीधे वहीं विजिट करें।
- आजकल हर बैंक/कंपनी का सोशल मीडिया हैंडल है। आप वहां पर डायरेक्ट मैसेज के जरिए शिकायत कर सकते हैं। आधिकारिक ईमेल आईडी पर भी शिकायत की जा सकती है।
- अगर आपने किसी बैंक/कंपनी में कोई शिकायत की है और उसके बाद फोन कॉल पर आपकी समस्या हल करने के लिए कोई खाते या कार्ड से जुड़ी डिटेल मांगे तो न दें।
- अगर आप इंटरनेट या टेक्नोलॉजी के साथ बहुत ज्यादा फ्रेंडली नहीं हैं तो सीधे बैंक या कंपनी में जाकर अपनी समस्या बताना बेहतर रहेगा।
- पेटीएम, गूगल पे, फोनपे जैसे पेमेंट ऐप्स पर हेल्प सेक्शन रहता है। आप संबंधित पेमेंट ऐप्स पर हो रही परेशानी या ट्रांजेक्शन से जुड़ी कोई शिकायत के लिए उसे एक्सेस कर सकते हैं।
ऐसे करें बचाव
- किसी भी तरह के ऑफर और लालच में ना आएं।
- अंजान व्यक्ति से फोन पर बात कर उसके बहकावे में ना आएं।
- अच्छी तरह जांच करने के बाद ही किसी भी बैंक खाते में राशि डालें।
- फेसबुक, ट्विटर आईडी का पासवर्ड स्ट्रांग रखें, सरल पासवर्ड न रखें।
- कोई रुपयों की मांग करता है, तो पहले जांच लें या मैसेज करने वाले से फोन पर न संपर्क करें।
- बैंक कर्मचारी कभी भी फोन पर जानकारी नहीं मांगते हैं।
साइबर अपराध के आंकड़े
वर्ष-2020 31 दिसंबर तक
कुल शिकायतें 37,280
वर्ष-2019, 31 दिसंबर तक
कुल शिकायतें 23,300
वर्ष-2018, 31 दिसंबर तक
कुल शिकायतें 13,200
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