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कोर्ट ने कहा- मां बनने जा रही हर महिला सम्मान के काबिल, गर्भवती को जमानत
न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
Delhi : जमानत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हिरासत में रहते हुए शिशु को जन्म देना न केवल मां, बल्कि उसके बच्चे पर भी बहुत बुरा असर डाल सकता है। हर गर्भवती महिला उस सम्मान के काबिल है, जिसकी गारंटी संविधान देता है। जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने कहा, गर्भावस्था एक विशेष परिस्थिति है।
अपहरण व हत्या के प्रयास की आरोपी एक गर्भवती महिला को 3 महीने के लिए जमानत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हिरासत में रहते हुए शिशु को जन्म देना न केवल मां, बल्कि उसके बच्चे पर भी बहुत बुरा असर डाल सकता है। हर गर्भवती महिला उस सम्मान के काबिल है, जिसकी गारंटी संविधान देता है।
जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने कहा, गर्भावस्था एक विशेष परिस्थिति है। अगर शिशु हिरासत में जन्म लेगा तो जब भी उसके जन्म का उल्लेख होगा, उसे दुख पहुंचता रहेगा। अदालत को बच्चे के हित भी देखने हैं। उन्होंने कहा, अगर उसकी मां को बेल देने से गंभीर खतरा नहीं, तो बच्चे का जन्म जेल में नहीं करवाया जा सकता।
फौजदारी कानून में कुछ अपराधों में आरोपी को जमानत न देने के प्रावधान हैं, पर यह 16 वर्ष से छोटे बच्चों, महिलाओं, बीमारों और निशक्तजनों पर लागू नहीं हो सकते। जेल नियम भी कहते हैं कि महिला बंदियों को प्रसव के लिए अस्थायी रूप से बाहर भेजा जा सकता है।
छह महीने की मांगी थी जमानत
इन विश्लेषणों के बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि गर्भवती महिला 3 महीने की अंतरिम बेल पर रहेगी, 20 हजार रुपये का निजी बॉन्ड भी देगी। महिला ने 6 महीने की बेल मांगी थी। अभियोजन पक्ष ने विरोध करते हुए कहा था कि जघन्य अपराध की आरोपी को बेल नहीं दी जा सकती। इससे पीड़ित पक्ष का जीवन और सुरक्षा खतरे में पड़ जाएंगे।