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एमसीडी में सत्ता पक्ष के दोनों ओर बैठेंगे मुख्य विपक्षी दल के पार्षद
दिल्ली न्यूज़: एमसीडी में सबसे बढ़ी पार्टी आप और दूसरे नंबर पर भाजपा के सौ से अधिक सदस्य होने के कारण सदन में व्यवस्था गड़बड़ाने के आसार हैं, क्योंकि सदन में मुख्य विपक्षी दल के सदस्य एक साथ नहीं बैठ पाएंगे। उनको सत्तापक्ष के सदस्यों के दोनों ओर बैठना पड़ेगा। दरअसल सदन में मुख्य विपक्षी दल के सदस्यों की संख्या अधिक और सीटें कम हैं। इस कारण मुख्य विपक्षी दल के सदस्यों को मीडिया के लिए आरक्षित सीटों पर बैठाना पड़ेगा। संभवत देश के किसी निर्वाचित सदन में मुख्य विपक्षी दल के सदस्यों का एक साथ के बजाए दो जगह और सत्तापक्ष के दोनों ओर बैठने का दृश्य पहली बार देखने को मिलेगा।
एमसीडी के सदन में तीन सौ सीटें हैं। इसे तीन हिस्सों में बांटा गया है। महापौर के सामने वाला हिस्सा सत्तापक्ष के सदस्यों के लिए आरक्षित है और इस हिस्से में 160 सीट है, जबकि महापौर के बाएं वाला हिस्सा मुख्य विपक्षी दल के सदस्यों के लिए आरक्षित हैं। इस हिस्से में 70 सीटेंं है।
इसी तरह दाएं हिस्से में 70 सीट हैं। इस हिस्से में अभी तक आगे की लाइनों की सीटों पर मुख्य विपक्षी दल के सदस्यों को छोड़कर कांग्रेस व अन्य दलों के साथ-साथ निर्दलीय सदस्य बैठते थे और उनके पीछे की सीटें मीडिया के लिए आरक्षित कर रखी थी। एमसीडी के अधिकारियों के अनुसार अब सदन के अंदर मीडिया के लिए सीट आरक्षित नहीं होंगी।
नगर निगम में 104 पार्षद हैं भाजपा के: भाजपा पार्षदों की संख्या 104 है। एमसीडी के इतिहास में मुख्य विपक्षी दल इतना बड़ा कभी नहीं रहा। सदन में मुख्य विपक्षी दल के सदस्यों के बैठने के लिए 70 सीट है। इस तरह भाजपा के 34 सदस्यों को सत्तापक्ष की दूसरी तरफ यानी महापौर के दाई ओर बैठना पड़ेगा। लिहाजा सदन में भाजपा के सदस्य दो हिस्सों में बंट जाएगे और विपक्ष के नेता को बैठक के दौरान अपने समस्त सदस्यों के तक अपना संदेश देने में दिक्कत होगी। वहीं बैठक में विपक्ष की ओर से किसी मुद्दे का विरोध करने पर सत्तापक्ष के समक्ष विचित्र स्थिति पैदा हो जाएगी, क्योंकि उसके दोनों ओर विपक्ष के सदस्य नारेबाजी करेंगे।
दशक बाद फिर सदन की कार्यवाही नहीं देख सकेंगे लोग: राजधानी निवासी एक दशक बाद फिर एमसीडी के सदन की कार्यवाही नहीं देख सकेंगे। एमसीडी के इतिहास में यह दूसरा अवसर है जब उनके लिए सदन की कार्यवाही देखने की व्यवस्था बंद होने जा रही है। राजधानी निवासी पहली बार अप्रैल 2007 से मार्च 2012 तक एमसीडी के सदन की कार्यवाही देखने से वंचित रहे थे। वर्ष 2007 में पार्षदों की संख्या 134 से बढ़ाकर 272 कर दी थी।
उस समय टाउन हाल में एमसीडी का मुख्यालय होता था। वहां सदन में सदस्यों के पीछे वाली सीटें दर्शक दीर्घा के लिए आरक्षित कर रखी थी। एमसीडी मुख्यालय के तौर पर सिविक सेंटर बनाने के दौरान यहां दर्शक दीर्घा की व्यवस्था नहीं की गई थी। यहां केवल प्रेस दीर्घा बनाई गई थी, लेकिन एमसीडी के तीन हिस्सों में बांट देने के बाद प्रेस दीर्घा को दर्शक दीर्घा बना दिया गया और मीडिया के लिए सदन के अंदर सीट आरक्षित कर दी गई थी। इस तरह पांच साल बाद फिर राजधानी निवासी एमसीडी की कार्यवाही देखने लग गए थे।