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भ्रष्टाचार, परिवारवाद, तुष्टीकरण ही विकास की राह है : मोदी
नयी दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को देश के लोगों से विकसित भारत के निर्माण के संकल्प में रोड़ा बन रही भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण जैसी बुराइयों को समाप्त करने का आह्वान करते हुए कहा कि ये बुराइयां न केवल विकास में बाधक बल्कि देश के लिए बड़ा खतरा भी है।
श्री मोदी राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर राजधानी में नवनिर्मित भव्य भारत मंडपम में आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।
श्री मोदी ने कहा, “ आज हमारे सामने विकसित भारत निर्माण का स्वपन है, संकल्प है। इस संकल्प के सामने कुछ बुराइयां रोड़ा बनी हुई हैं। इसलिए आज भारत एक सुर में इन बुराइयों को कह रहा है- क्विट इंडिया (भारत छोड़ो)। आज भारत कह रहा है- करप्शन, क्विट इंडिया, भ्रष्टाचार इंडिया छोड़ो। आज भारत कह रहा है, डायनेस्टी , क्विट इंडिया, यानी परिवारवाद इंडिया छोड़ो। आज भारत कह रहा है, अपीजमेंट क्विट इंडिया, यानी तुष्टिकरण इंडिया छोड़ो। ”
प्रधानमंत्री ने कहा, “ देश में समाई ये बुराइयां, देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है। देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती भी है। मुझे विश्वास है, हम सभी अपने प्रयास से इन बुराइयों को समाप्त करेंगे, परास्त करेंगे। औऱ फिर भारत की विजय होगी, देश की विजय होगी, हर देशवासी की विजय होगी। ”
कार्यक्रम में देश भरत से बड़ी संख्या में बुनकर तथा कपड़ा तथा फैशन क्षेत्र के प्रतिनिधि तथा सरकार के प्रतिनिधियों के साथ साथ केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल , लघु उद्योग मंत्री नारायण राणे, कपड़ा राज्य मंत्री दर्शना जरदोश उपस्थित थीं।
श्री मोदी ने कहा कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर अग्रसर भारत में कपड़ा और फैशन क्षेत्र के लिए बड़े अवसर हैं और सरकार इसकों बढ़ावा देने में लगी है। पर इस इसका लाभ में उद्योग, बुनकर और श्रमिक सबको मिल कर काम करना होगा।
उन्होंने कहा, “ सरकार के इन प्रयासों के बीच, आज मैं कपड़ा उद्योग और फैशन जगत के साथियों से भी एक बात कहूंगा। आज जब हम दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में आने के लिए कदम बढ़ा चुके हैं, तब हमें अपनी सोच और काम का दायरा भी बढ़ाना होगा। हम अपने हैंडलूम, अपने खादी, अपने टेक्सटाइल सेक्टर को वर्ल्ड चैंपियन बनाना चाहते हैं। लेकिन इसके लिए सबका प्रयास ज़रुरी है।”
उन्होंने कहा, “ श्रमिक हो, बुनकर हो, डिजायनर हो या इंडस्ट्री, सबको एकनिष्ठ प्रयास करने होंगे। आप भारत के बुनकरों की स्किल को, स्केल से जोड़िए। आप भारत के बुनकरों की स्किल को, टेक्नोलॉजी से जोड़िए। आज हम भारत में एक नया मध्य वर्ग उभर रहा है। हर प्रोडक्ट के लिए भारत में युवा उपभोक्ताओं का बड़ा वर्ग बन रहा है। ये निश्चित रूप से भारत की टेक्सटाइल कंपनियों के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है। इसलिए इन कंपनियों का भी दायित्व है कि वह स्थानीय सप्लाई चेन को सशक्त करे, उस पर निवेश करें। ”
उन्होंने कहा, “ बाहर बना-बनाया उपलब्ध है, तो उसे आयात करो। … जब हम महात्मा गांधी के कामों का स्मरण करते हुए बैठे हैं तो फिर से एक बार मन को हिलाना होगा, मन को संकल्पित करना होगा कि बाहर से ला लाकर के गुजारा करना, ये रास्ता उचित नहीं है। ”
श्री मोदी ने भविष्य के लाभ के लिए वर्तमान में ही स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला में निवेश की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “ हम यह बहाने नहीं बना सकते कि इतनी जल्दी कैसे होगा, इतनी तेज़ी से स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला कैसे तैयार
होगी। ”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत मंडपम की इस भव्यता में भी, भारत के हथकरघा उद्योग की अहम भूमिका है। पुरातन का नूतन से यही संगम आज के भारत को परिभाषित करता है। आज का भारत, लोकल के प्रति मुखर ही नहीं है, बल्कि उसे ग्लोबल बनाने के लिए वैश्विक मंच भी दे रहा है।
आज के दिन स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी। स्वदेशी का ये भाव सिर्फ विदेशी कपड़े के बहिष्कार तक सीमित नहीं था। बल्कि ये हमारी आर्थिक आज़ादी का भी बहुत बड़ा प्रेरक था। ये भारत के लोगों को अपने बुनकरों से जोड़ने का भी अभियान था। ये एक बड़ी वजह थी कि हमारी सरकार ने आज के दिन को नेशनल हैंडलूम डे के रूप में मनाने का फैसला लिया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते वर्षों में भारत के बुनकरों के लिए, भारत के हैंडलूम सेक्टर के विस्तार के लिए अभूतपूर्व काम किया गया है। स्वदेशी को लेकर देश में एक नई क्रांति आई है। उन्होंने कहा कि हमारे परिधान, हमारा पहनावा हमारी पहचान से जुड़ा रहा है। भांति-भांति के पहनावे और देखते ही पता चलता है कि कौन किस इलाके से आए हैं। यानी हमारी विविधता हमारी पहचान है। परिधानों का एक खूबसूरत इंद्रधनुष हमारे पास है।
श्री मोदी ने कहा कि जो वस्त्र उद्योग पिछली शताब्दियों में इतना ताकतवर था, उसे आजादी के बाद दुर्भाग्य से फिर से सशक्त करने पर उतना जोर नहीं दिया गया।
खादी को भी मरणासन्न स्थिति में छोड़ दिया गया था। लोग खादी पहनने वालों को हीनभावना से देखने लगे थे। वर्ष 2014 के बाद से हमारी सरकार, इस स्थिति और इस सोच को बदलने में जुटी है। पिछले नौ वर्षों में खादी के उत्पादन में तीन गुणा से अधिक की वृद्धि हुई है। खादी के कपड़ों की बिक्री भी पांच गुना से अधिक बढ़ गई है। देश-विदेश में खादी के कपड़ों की डिमांड बढ़ रही है।
श्री मोदी ने कहा , “ मैं कुछ दिनों पहले ही पेरिस में, वहां एक बहुत बड़े फैशन ब्रैंड की मुख्य अधिशासी अधिकारी से मिला था। उन्होंने भी मुझे बताया कि किस तरह विदेश में खादी और भारतीय हैंडलूम का आकर्षण बढ़ रहा है।”
नौ साल पहले खादी और ग्रामोद्योग का कारोबार 25 हजार, 30 हजार करोड़ रुपए के आसपास ही था। आज ये एक लाख 30 हजार करोड़ रुपए से अधिक तक पहुंच चुका है। पिछले नौ वर्षों में ये जो अतिरिक्त एक लाख करोड़ रुपए इस सेक्टर में आए हैं। इसका फायदा गावों और आदिवासी लोगों तक पहुंचा है। उन्होंने नीति आयोग के हवाले से कहा कि पिछले पांच साल में साढ़े तेरह करोड़ लोग भारत में गरीबी से बाहर निकले हैं। इसमें इस क्षेत्र ने भी अपनी भूमिका अदा की है।
बीते नौ वर्षों में सरकार के प्रयासों ने न सिर्फ इन्हें बड़ी संख्या में रोजगार दिया है बल्कि इनकी आय भी बढ़ी है। बिजली, पानी, गैस कनेक्शन, स्वच्छ भारत जैसे अभियानों का भी लाभ सबसे ज्यादा वहां पहुंचा है। बुनकरों के बच्चों के कौशल प्रशिक्षण के लिए उन्हें टेक्सटाइल संस्थानों में दो लाख रुपए तक की स्कॉलरशिप मिल रही है। पिछले नौ वर्षों में 600 से अधिक हैंडलूम क्लस्टर विकसित किए गए हैं। इनमें भी हज़ारों बुनकरों की ट्रेनिंग दी गई है। हमारी लगातार कोशिश है कि बुनकरों का काम आसान हो, उत्पादकता अधिक हो, क्वालिटी बेहतर हो, डिज़ायन नित्य-नूतन हों। इसलिए उन्हें कंप्यूटर से चलने वाली पंचिंग मशीनें भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। इससे नये-नये डिज़ायन तेज़ी से बनाए जा सकते हैं।
आज दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत के एमएसएमई, हमारे बुनकरों, कारीगरों, किसानों के उत्पादों को दुनियाभर के बाजारों तक ले जाने के लिए आगे आ रही हैं।