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चुनाव यूनियन टेरिटरी का लड़ें और पावर राज्य की इंजॉय करनी है, यही प्रॉब्लम है : अमित शाह

Rani Sahu
7 Aug 2023 4:20 PM GMT
चुनाव यूनियन टेरिटरी का लड़ें और पावर राज्य की इंजॉय करनी है, यही प्रॉब्लम है : अमित शाह
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नई दिल्ली (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार दोपहर राज्यसभा में 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक' पेश किया। इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह बिल लाने का उद्देश्य केवल और केवल दिल्ली में सुचारू रूप से भ्रष्टाचार विहीन शासन देना है।
गृह मंत्री ने कहा कि इस बिल के एक भी प्रावधान से, पहले जो व्यवस्था थी, उसमें कोई बदलाव नहीं होगा। यह बिल सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का किसी भी तरह से उल्लंघन नहीं करता है। इस बिल से ट्रांसफर-पोस्टिंग की सेवाओं के अधिकारों का जो वर्णन किया गया है, प्रैक्टिस में यह सारे अधिकार ही चलते थे।
उन्होंने कहा, मदन लाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे। साहिब सिंह वर्मा मुख्यमंत्री और थोड़े समय के लिए सुषमा स्वराज मुख्यमंत्री बनीं। शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन, किसी का केंद्र सरकार से झगड़ा नहीं हुआ। यह सब लोग विकास करना चाहते थे। उस समय भी कभी केंद्र में भाजपा और राज्य में कांग्रेस की सरकार या फिर केंद्र में कांग्रेस की सरकार और दिल्ली में भाजपा की सरकार रही। लेकिन, ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए झगड़ा नहीं हुआ। उस वक्त इसी व्यवस्था से निर्णय होते थे और किसी मुख्यमंत्री को कोई दिक्कत नहीं हुई।
गृह मंत्री ने कहा कि दिल्ली कई मायनों में अन्य सभी राज्यों से अलग है क्योंकि यहां संसद भी है, संवैधानिक हस्तियां यहां विराजमान हैं। सुप्रीम कोर्ट, विभिन्न देशों के दूतावास यहां हैं। बार-बार दुनिया के विभिन्न देशों के राष्ट्र अध्यक्ष चर्चा के लिए यहां आते हैं। इसलिए दिल्ली को यूनियन टेरिटरी बनाया गया है। स्टेट लिस्ट के मुद्दों पर यहां की राज्य सरकार को सीमित अधिकार दिए गए हैं। दिल्ली विधानसभा के साथ, मगर सीमित अधिकारों के साथ, यूनियन टेरिटरी है।
उन्होंने कहा कि जिसे भी दिल्ली में चुनाव लड़ना है, उसे इस खास कैरेक्टर को समझना चाहिए। गृह मंत्री ने कहा मैं जब पंचायत का चुनाव लड़ता हूं और संसद के अधिकारों की मांग करता हूं तो यह संवैधानिक रूप से पूरे नहीं हो सकते। हम जब चुनाव लड़ते हैं, दिल्ली के विधायक या मुख्यमंत्री की दावेदारी करते हैं तब हमें मालूम होना चाहिए कि यह यूनियन टेरिटरी है।
उन्होंने दिल्ली सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सपना तो मुझे कोई भी आ सकता है, अगर प्रधानमंत्री बनना है तो संसद का चुनाव लड़ना पड़ता है।
अमित शाह ने कहा कि साल 1911 में दिल्ली तहसील और महरौली थाना को अलग करके राजधानी बनाया गया। बाद में वर्ष 1919 और 1935 के अधिनियमों में उस वक्त की ब्रिटिश सरकारों ने दिल्ली को चीफ कमिश्नर प्रोविंस माना। स्वतंत्रता के बाद जब संविधान बनने की प्रक्रिया हुई, उस वक्त दिल्ली के स्टेटस के बारे में सीतारमैया और बाबा साहब अंबेडकर की एक समिति बनी और ड्राफ्टिंग कमिटी ने दिल्ली की स्थिति को लेकर विस्तृत विचार-विमर्श किया। सीतारमैया की इस समिति ने दिल्ली को लगभग राज्य स्तर का दर्जा देने की सिफारिश की थी। उसी कमेटी की चर्चा के वक्त पंडित नेहरू, भीमराव अंबेडकर, सरदार पटेल, सी. राजगोपालाचारी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसका अलग-अलग तर्क देकर विरोध किया था।
अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि 1949 में संविधान के अंतिम मसौदे के साथ संविधान सभा के अध्यक्ष को भेजी गई डॉक्टर अंबेडकर की रिपोर्ट में कहा गया, जहां तक दिल्ली का सवाल है हमें ऐसा लगता है कि भारत की राजधानी के रूप में शायद ही किसी स्थानीय प्रशासन के अधीन दिल्ली को रखा जा सकता है। इसमें कहा गया कि राष्ट्रपति चाहे तो दिल्ली में उपराज्यपाल रख सकते हैं व आदेश द्वारा दिल्ली में स्थानीय विधायिका भी बन सकती है व इसके संगठन एवं शक्तियों का प्रावधान संसद कर सकती है।
अमित शाह ने विपक्षी नेताओं से पूछा कि क्या आज दिल्ली राजधानी नहीं है। क्या आज दिल्ली में राजधानी का महत्व समाप्त हो चुका है। उन्होंने कहा कि दिल्ली को विधानसभा दी गई, लेकिन विधानसभा की शक्तियां सीमित एवं संसद के कानून के तहत रखी गई।
गृह मंत्री ने कहा कि दिल्ली के शासन को मिले हुए अधिकारों के लिए संविधान का जब भी जिक्र करते हैं, तो संविधान में धारा 239 एए को पढ़ना होगा क्योंकि यह विशेष धारा है, जो यूपी राजधानी क्षेत्र को व्याख्यायित करती है।
गृह मंत्री ने कहा कि चुनाव यूनियन टेरिटरी का लड़े हैं और राज्य की पावर इंजॉय करनी है यह प्रॉब्लम है। उन्होंने कहा कि इस प्रॉब्लम का जवाब भारत सरकार के पास नहीं है, दिल्ली की जनता के पास भी नहीं है। इसका जवाब इस सदन के पास भी नहीं है, अपनी मानसिकता को बदलना पड़ेगा, सीमित करना पड़ेगा, संयमित करना पड़ेगा, तब जाकर इसका रास्ता निकलेगा।
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