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दिल्ली: विपक्षी गठबंधन ‘I.N.D.I.A.’ के घटक दल दिल्ली ऑर्डिनेंस बिल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को कड़ी टक्कर देने के मूड में नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि ये पार्टियां अपने सांसदों को व्हिप जारी करने से लेकर अस्वस्थ नेताओं के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था करने तक, हर वो कदम उठा रही हैं जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि अगले हफ्ते दिल्ली से संबंधित अध्यादेश के स्थान पर संसद में लाए जाने वाले विधेयक पर चर्चा और मतदान के दौरान सत्तापक्ष को कड़ी चुनौती दी जा सके।
व्हीलचेयर पर राज्यसभा आ सकते हैं मनमोहन
कांग्रेस समेत इस गठबंधन के सभी दलों की यह कोशिश है कि इस विधेयक पर चर्चा और मतदान के दौरान सदन में उनके सदस्यों की 100 फीसदी मौजूदगी रहे। विपक्षी सूत्रों का कहना है कि राज्य सभा में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2023 पर मतदान हो सकता है। संसद में अगले हफ्ते यह विधेयक लाए जाने की संभावना है। विपक्ष से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा में इस विधेयक के पेश किए जाने के दौरान 90 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के व्हीलचेयर पर सदन में आने की संभावना है, जबकि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन भी संसद की कार्यवाही में शामिल हो सकते हैं। मनमोहन सिंह और सोरेन लंबे समय से अस्वस्थ हैं।
तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है विपक्ष
सूत्रों ने कहा कि जेडीयू सांसद 75 वर्षीय बशिष्ठ नारायण सिंह के भी एम्बुलेंस में संसद पहुंचने की संभावना है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में तबादलों और नियुक्तियों संबंधी मामलों में निर्णय की शक्तियां दिल्ली सरकार को प्रदत्त की थीं और शीर्ष अदालत के इसी आदेश को निरस्त कराने के लिए दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर केंद्र द्वारा जारी अध्यादेश की जगह लेने के लिए यह विधेयक लाया जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और सदन में पार्टी के नेता डेरेक ओब्रायन और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सदन के नेता पीयूष गोयल से बात की और उनसे यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि सरकार यह विधेयक लाने से पहले सदस्यों को पहले से सूचित कर दे।
कांग्रेस और जेडीयू ने जारी कर दिया है व्हिप
ओब्रायन और रमेश का कहना था कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 में विपक्षी दलों को इस पर अपना रुख तैयार करने का समय दिए बिना लाया गया था। कांग्रेस और JDU ने पहले ही अपने-अपने सदस्यों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया है। ओब्रायन और कुछ अन्य विपक्षी नेताओं ने पहले ही राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखा है कि अध्यादेश एक गंभीर मुद्दा है और उनसे अनुरोध किया है कि वे उन्हें विधेयक के बारे में पहले से बताएं।