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मीडिया के कंटेंट पर टिप्पणी अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा
news क्रेडिट;amarujala
कोर्ट ने कहा, यह जनहित में है कि हर प्रसारक को आलोचना और समीक्षा का अधिकार मिले। यहां तक कि उन कार्यक्रमों के बारे में भी जो दूसरों ने बनाए हैं। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने एक मीडिया हाउस की याचिका खारिज करते हुए अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया या टीवी चैनलों के कंटेंट (सामग्री) पर टिप्पणी करने का अधिकार अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा है। कोर्ट ने कहा, यह जनहित में है कि हर प्रसारक को आलोचना और समीक्षा का अधिकार मिले। यहां तक कि उन कार्यक्रमों के बारे में भी जो दूसरों ने बनाए हैं। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने एक मीडिया हाउस की याचिका खारिज करते हुए अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया।
जस्टिस आशा मोहन ने शुक्रवार को कहा, सूचनाओं के बेहतर प्रसार से अच्छा जानकार समाज बनेगा। टिप्पणी करने के हक पर संविधान के तहत तार्किक प्रतिबंध ही लगाए जाने चाहिए। वह भी तब, जब उससे राष्ट्रीय सुरक्षा, कानून व्यवस्था और मानहानि का खतरा हो।
अदालत एक मीडिया हाउस की ऑनलाइन समाचार पोर्टल न्यूज लॉन्ड्री के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आरोप था कि समाचार पोर्टल अपनी सामग्री के माध्यम से मीडिया हाउस के समाचार प्रसारण और एंकर का मजाक बना रहा था और बदनाम कर रहा था।