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केंद्र सरकार पराली की समस्या से निबटने के लिए देगी वित्तीय सहायता, जानिए कैसे
दिल्ली न्यूज़: धान की पराली लोगों के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी बड़ी समस्या बन गया है। पिछले कुछ सालों से दिल्ली-एनसीआर में पराली का धुआं सरकारों के लिए भी परेशानी बन गया है। इस बीच केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि थरमल पॉवर प्लांट और उद्योगों को धान के भूसे की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी और टॉरफेक्शन और पेलेटाइजेशन प्लांट स्थापित करने के लिए व्यक्तियों और कंपनियों को एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जाएगी। एक कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि इन संयंत्रों की स्थापना से पराली जलाने की समस्या को हल करने और किसानों के लिए आय पैदा करने में मदद मिलेगी।
दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है: अक्टूबर और नवंबर में पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाने से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इससे सटे इलाकों में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। जिससे कई स्वास्थ्य समस्या हो जाती हैं। अब फिर गेहूं और आलू की खेती से पहले फसल के अवशेषों को जल्दी से हटाने के लिए किसानों ने अपने खेतों में आग लगा दी है।
दो करोड़ से ज्यादा टन धान की पराली पैदा होती है: सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में सालाना लगभग दो करोड़ से ज्यादा टन धान की पराली पैदा होती है, जिसमें से लगभग 6.4 मिलियन टन का प्रबंधन नहीं किया जाता है जिसे जलाया जाता है। वायु प्रदूषण के मुद्दे को हल करने और थर्मल पावर प्लांटों और उद्योगों के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए सरकार ने पहले कोयले के साथ 5 से 10 प्रतिशत बायोमास की सह-फायरिंग अनिवार्य कर दी थी। हालांकि बिजली संयंत्रों द्वारा बायोमास की मांग है लेकिन आपूर्ति काफी धीमी है।
वन्यजीव संरक्षण के लिए नीति पर हुई बात: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की बैठक में आज वन्यजीव संरक्षण और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण से संबंधित विभिन्न नीतिगत मामलों पर विचार-विमर्श किया गया। साथ ही बताया कि बैठक में गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र की राज्य सरकार से अपने-अपने राज्यों में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए संरक्षण प्रजनन केंद्रों की स्थापना के प्रस्ताव प्रस्तुत करने का अनुरोध किया गया।