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जजों से मशीन की तरह नहीं करवा सकते काम: किरेन रिजिजू
दिल्ली: केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने जजों पर बोझ कम करने और न्याय पाने के लिए लोगों के संघर्ष को दूर करने के बीच संतुलन बनाने की वकालत की है। देश की अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ने के बीच उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों से मशीन की तरह काम नहीं कराया जा सकता है। रीजीजू ने कहा कि अलग-अलग अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या करीब 4.8 करोड़ है।रिजिजू गुरुवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के सम्मेलन 'इंडियानाइजेशन ऑफ लीगल सिस्टम एंड एजुकेशन' में बोल रहे थे। दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन विश्वविद्यालय के विधि संकाय और राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने संयुक्त रूप से किया है मंत्री ने कहा, 'एक तरफ हम आधुनिक कानूनी व्यवस्था की बात कर रहे हैं, जो जवाबदेही, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर आधारित है। दूसरी तरफ हम कह रहे हैं कि हमारे देश के आम लोगों को न्याय पाने में मुश्किल हो रही है।'
अदालतों में 4.8 करोड़ लंबित मामलों की संख्या: कानून मंत्री ने कहा, 'जब मैंने कानून और न्याय मंत्री के रूप में (2021 में) पदभार संभाला था, तो भारत की विभिन्न अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या 4.2 करोड़ से थोड़ी अधिक थी। एक साल, तीन महीने की अवधि में यह 4.8 करोड़ को पार करने वाली है। एक तरफ हमारे न्यायाधीश मुकदमों को निपटाने के लिए कितनी कोशिश रहे हैं और दूसरी तरफ न्याय पाने के लिए आम लोग कितना संघर्ष कर रहे हैं।'
'जज को 50-60 मामलों का निपटारा करना है तो…'
रिजिजू ने कहा कि हमें संतुलन बनाने की जरूरत है। हम न्यायाधीशों से मशीन की तरह काम नहीं करवा सकते। उच्चतम न्यायालय से लेकर निचली अदालत तक भारत में हर न्यायाधीश 50-60 मामलों को देख रहा है। अगर जज को 50-60 मामलों का निपटारा करना है तो वे कैसे न्याय दे सकते हैं? इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह शामिल हुए।