दिल्ली-एनसीआर

Delhi में चुनाव से पहले गरमा सकता है CAG रिपोर्ट का मामला

Admindelhi1
17 Dec 2024 6:56 AM GMT
Delhi में चुनाव से पहले गरमा सकता है CAG रिपोर्ट का मामला
x
दिल्ली सरकार से जुड़े 14 सीएसी रिपोर्ट डेढ़ साल तक लंबित रहे

नई दिल्ली: विधानसभा चुनाव से पहले भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक की लंबित 14 रिपोर्ट का मामला गरमा सकता है। दिल्ली सरकार से जुड़े 14 सीएसी रिपोर्ट डेढ़ साल तक लंबित रहे। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिख कर दिल्ली विधानसभा की विशेष बैठक बुलाने की बात कही है। साथ ही, इन्हें सदन के पटल पर रखने को कहा है।

दिल्ली सरकार ने कुछ दिन पहले ही एलजी से इन रिपोर्ट को सदन में रखने की मंजूरी मांगी थी। सरकार की मांग पर एलजी ने उक्त रिपोर्ट को पटल पर रखने की मंजूरी दी। साथ ही अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए इन्हें विशेष सत्र बुलाने को कहा है। उम्मीद की जा रही है कि इन रिपोर्ट को लेकर दिल्ली में राजनीति गरमा सकती है। भाजपा लगातार इस विषय को मुद्दा बनाकर दिल्ली सरकार को घेर रही है।

भाजपा का दावा है कि इन रिपोर्ट में दिल्ली सरकार की कई अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। इस विषय को लेकर भाजपा ने सदन के अंदर और बाहर प्रदर्शन किया

सरकार तुरंत बुलाए सत्र

एलजी ने अपने पत्र में कहा कि संवैधानिक दायित्व का पालन सुनिश्चित करने के लिए बिना समय गंवाए दिल्ली सरकार तुरंत सत्र बुलाएं। बता दें कि दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी में पूरा हो रहा है। इस चुनाव को लेकर जनवरी या दिसंबर में चुनाव का ऐलान हो सकता है। ऐसे में विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए दिल्ली सरकार को जल्द फैसला लेना होगा। एलजी ने अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए तुरंत इस सत्र को बुलाने की बात कही है।

सीएजी की रिपोर्ट स्वीकृत

उपराज्यपाल ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि शराब शुल्क, प्रदूषण और वित्त से संबंधित सीएजी रिपोर्ट स्वीकृत हैं। उन्होंने कहा चर्चा के लिए विधानसभा की तत्काल विशेष बैठक बुलाई जानी चाहिए। अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा जिस उद्देश्य से याचिका दायर की गई थी वह पूरा हो गया है। उपराज्यपाल का यह रुख विपक्षी नेताओं की याचिका पर आया है, जिसमें मांग की गई है कि संवैधानिक आदेश के अनुसार राज्य सरकार की ओर से सीएजी रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष रखी जाए। उपराज्यपाल की ओर से दायर अतिरिक्त हलफनामे में कहा गया है कि वित्त मंत्री ने मामले में अनुचित देरी की है, जिससे विधानसभा और आम जनता को सरकार के कार्यकारी कार्यों की जांच करने के उनके अधिकार से वंचित किया गया है।

Next Story