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नोएडा में और महंगा होगा घर खरीदना, बढ़ने वाली है जमीन के रेट, जानिए कितनी बढ़ोत्तरी होगी

Renuka Sahu
10 Aug 2022 1:23 AM GMT
नोएडा में और महंगा होगा घर खरीदना, बढ़ने वाली है जमीन के रेट, जानिए कितनी बढ़ोत्तरी होगी
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नोएडा में आवासीय, औद्योगिक, संस्थागत और ग्रुप हाउसिंग संपत्ति 20 से 30 प्रतिशत तक महंगी करने की तैयारी है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नोएडा में आवासीय, औद्योगिक, संस्थागत और ग्रुप हाउसिंग संपत्ति 20 से 30 प्रतिशत तक महंगी करने की तैयारी है। इससे आने वाले दिनों में यहां घर लेना और उद्योग लगाना महंगा हो जाएगा। इसका प्रस्ताव 11 अगस्त को होने वाली बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। ढाई साल बाद संपत्ति के रेट बढ़ाने की तैयारी है।

नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार को सुबह 11 बजे बोर्ड रूम में 205वीं बोर्ड बैठक होगी। इसमें में करीब 35 प्रस्ताव रखे जाएंगे। इनके अलावा कुछ प्रस्ताव कार्योत्तर से संबंधित होंगे। प्राधिकरण ने आवासीय संपत्ति के हिसाब से पूरे शहर को छह श्रेणी में बांट रखा है। श्रेणी ए प्लस में सिर्फ सेक्टर-14ए, 15ए, 44 के ए और बी ब्लॉक शामिल हैं। आवासीय श्रेणी में 20 प्रतिशत तक आवंटन दरें बढ़ाई जाएंगी। ग्रुप हाउसिंग भूखंड में सबसे ऊपर श्रेणी ए 1 लाख 35 हजार 750 और सबसे कम श्रेणी ई में 51290 रुपये प्रति वर्गमीटर आवंटन रेट है। औद्योगिक संपत्ति सिर्फ फेज टू में 30 प्रतिशत महंगी होगी। आईटी-आईटीएस संपत्ति फेज टू में 30 और बाकी 1 और 3 में 20 प्रतिशत महंगा होना प्रस्तावित है।
इससे पहले 27 सितंबर 2019 को बोर्ड बैठक में सिर्फ आवासीय की ई श्रेणी में संपत्ति के रेट बढ़ाए गए थे। वर्ष 2020 में ए प्लस की नई श्रेणी बना कुछ सेक्टरों को शामिल किया गया। व्यावासयिक संपत्तियों की आवंटन दरों में इजाफा नहीं किया जाएगा।
मकान में दुकान चलाने पर दोहरा टैक्स
शहर के मकानों में चल रही 35 हजार दुकानें पहली बार टैक्स के दायरे में आई हैं। अब नगर निगम मकान के साथ दुकान का अलग से टैक्स वसूलेगा। इसके लिए सर्वे का काम पूरा हो गया। टैक्स वसूलने के लिए मिश्रित संपत्ति के नोटिस पहली बार तैयार कराए जा रहे हैं। अगले सप्ताह से नोटिस बांटने का काम शुरू होगा। निगम हर साल पांच करोड़ रुपये का टैक्स वसूलेगा। नगर निगम अभी तक आवासीय और गैर आवासीय संपत्ति का ही टैक्स वसूल रहा था। हर साल हाउस टैक्स के 186 करोड़ रुपये वसूलने का लक्ष्य है, लेकिन 140 करोड़ रुपये से ज्यादा की वसूली नहीं हो रही थी। काफी प्रयास के बाद भी टैक्स में वृद्धि नहीं हुई। इसके कारणों का पता लगाने के लिए सर्वे कराया गया।
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