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लेकिन चलता रहेगा दंगा करने का मुकदमा, दिल्ली दंगे में छह आरोपमुक्त
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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
अदालत ने कहा कि जांच का पूरा ध्यान छह आरोपियों की दंगाइयों की भीड़ में शामिल होने को दिखाने के लिए था, जिससे एक व्यक्ति को गोली लगी थी।
अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में पुलिस की जांच पर संदेह जताते हुए छह आरोपियों को राहत प्रदान कर हत्या के प्रयास के अपराध से आरोपमुक्त कर दिया। हालांकि उन पर दंगा करने का मुकदमा चलेगा। अदालत ने मामले को संबंधित मजिस्ट्रेट अदालत में वापस स्थानांतरित कर दिया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने अपने फैसले में कहा कि जिस तरह से जांच की गई है, आरोपियों पर धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आरोप नहीं लगाया जा सकता है। यह तर्क दिया जा सकता है कि सभी आरोपी दंगों में शामिल थे।
अभियोजन पक्ष ने इन छह के अलावा एक अन्य व्यक्ति पर भी मामला दर्ज कराया था, लेकिन केवल दंगा करने के अपराध के लिए। 25 फरवरी 2020 को मौजपुर बाबरपुर मेट्रो स्टेशन के पास कथित तौर पर दंगा करने वाली भीड़ का हिस्सा होने के आरोप में सात आरोपियों पर मामला दर्ज किया गया था।
अदालत ने कहा कि जांच का पूरा ध्यान छह आरोपियों की दंगाइयों की भीड़ में शामिल होने को दिखाने के लिए था, जिससे एक व्यक्ति को गोली लगी थी। हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि जांच के दौरान घायल साजिद को भी आरोपी बनाया गया था। दंगों के दौरान उन्हें बंदूक की गोली लगी थी।
जहांगीरपुरी हिंसा: मामला ट्रायल के लिए सत्र अदालत के पास स्थानांतरित
अदालत ने जहांगीरपुरी हिंसा प्रकरण में संज्ञान और अन्य कानूनी औपचारिकताओं के बाद मामले को ट्रायल के लिए सत्र अदालत के पास स्थानांतरित कर दिया। अब 22 को सुनवाई होगी। यह मामला 16 अप्रैल को हनुमान जयंती पर शोभायात्रा के दौरान हुई हिंसा से जुड़ा है। रोहिणी जिला न्यायालय की मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) दीपिका सिंह ने मामले की फाइल जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पास भेज दी।