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ब्रेन डेड युवती के अंगदान से मिली चार को नई जिंदगी, मां ने कहा- कन्यादान नहीं कर पाई लेकिन बेटी के अंगदान से बचाई जानें

Renuka Sahu
10 Feb 2022 5:44 AM GMT
ब्रेन डेड युवती के अंगदान से मिली चार को नई जिंदगी, मां ने कहा- कन्यादान नहीं कर पाई लेकिन बेटी के अंगदान से बचाई जानें
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फाइल फोटो 

मां और बेटी का रिश्ता बेहद खास होता है। गाजियाबाद की रहने वाली एक मां ने अपनी बेटी के ब्रेन डेड होने पर एम्स में उसके अंग दान करने का फैसला किया और इस फैसले से चार लोगों की जान बचाई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मां और बेटी का रिश्ता बेहद खास होता है। गाजियाबाद की रहने वाली एक मां ने अपनी बेटी के ब्रेन डेड होने पर एम्स में उसके अंग दान करने का फैसला किया और इस फैसले से चार लोगों की जान बचाई है। बेटी के अंगदान का फैसला करने के बाद मां ने बातचीत में बताया कि वे अपनी बेटी का कन्यादान तो नहीं कर पाई लेकिन बेटी के न रहने पर उसके अंग दान का फैसला कर चार लोगों की जान बचा ली। उनकी ब्रेन डेड बेटी का दिल, दोनों किडनी और लिवर निकालकर गम्भीर मरीजों के शरीर में प्रत्यारोपित कर उनकी जान बचाई गई है।

गाजियाबाद की रहने वाली 18 वर्षीय लता कुछ महीने पहले दिमागी टीबी की बीमारी से पीड़ित थीं। उसकी मां दिव्या ने बताया कि परिवार में चार लोग थे। उनके अलावा उनकी बेटी, एक बेटा और दिव्या के पति। परिवार गाजियाबाद में रह रहा है। वैसे वे मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। दिव्या ने बताया कि उनकी बेटी के इलाज के लिए वह पिछले कई महीनों से अस्पताल आ रही थीं। वह ठीक हो गयी थी लेकिन कुछ दिन पहले उसके दिमाग में पानी भरने की बात डॉक्टरों ने बताई तो उन्होंने बच्ची को चार जनवरी को एम्स में भर्ती करा दिया।
एम्स की ओर्बो विभाव की प्रमुख प्रोफेसर आरती विज ने बताया कि मंगलवार रात बच्ची ब्रेन डेड हो गई। ऐसे में उसकी मां से एम्स की ओर्बो की टीम ने बात की तो उसकी मां समझाने पर अंग दान के लिए राजी हो गयी। बच्ची की मां ने कहा कि उनकी बेटी के अंग किसी और के शरीर में जिंदा रहेंगे और उनकी जिंदगी बचाएंगे। इसके बाद बुधवार सुबह उसके अंग निकाले गए।
दिल एम्स, लिवर आईएलबीएस और किडनी आरएमएल के मरीज को मिली
बच्ची का दिल एम्स में ही एक मरीज को प्रत्यारोपित किया गया है जबकि लिवर आईएलबीएस अस्पताल भेजा गया है। इसके अलावा एक किडनी राम मनोहर लोहिया अस्पताल में लंबे समय से डायलिसिस पर चल रहे गम्भीर मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित हुई और एक अन्य किडनी आईएलबीएस अस्पताल में भर्ती मरीज की जिंदगी बचाने के काम आई।
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