- Home
- /
- दिल्ली-एनसीआर
- /
- केजरीवाल को एक साथ दो...
केजरीवाल को एक साथ दो चुनावों में फंसा कर गुजरात और दिल्ली जीतना चाहती है BJP
![केजरीवाल को एक साथ दो चुनावों में फंसा कर गुजरात और दिल्ली जीतना चाहती है BJP केजरीवाल को एक साथ दो चुनावों में फंसा कर गुजरात और दिल्ली जीतना चाहती है BJP](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/10/22/2142145-arvind-copy.webp)
गुजरात के अहम चुनाव में आम आदमी पार्टी की ऊंची उड़ान भरने से पहले ही बीजेपी कोई गूढ़ योजना लाकर उसके पंख काट सकती है. ऐसे संकेत हैं कि राज्य चुनाव आयोग (SEC) जल्द ही दिसंबर के पहले सप्ताह में होने वाले दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनावों की अधिसूचना जारी कर सकता है. इस साल अप्रैल में होने वाले एमसीडी चुनावों को अंतिम समय में स्थगित कर दिया गया था. आधिकारिक तौर पर यह सूचित किए जाने के बाद कि केंद्र ने एमसीडी परिसीमन करने के लिए महानगर के तीनों नगर निकायों का विलय करने का फैसला लिया है, मुख्य चुनाव अधिकारी ने अपनी निर्धारित प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी थी.
दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी की सरकार ने यह कहते हुए केंद्र के इस फैसले का विरोध किया कि तीनों नगर निगमों – उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम – को कंट्रोल करने वाली बीजेपी आगामी चुनाव में होने वाली हार से डर गई है. हालांकि आप आदमी पार्टी ने नगर निगम चुनाव टालने के फैसले को अदालत में चुनौती भी दी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
परिसीमन आयोग ने सौंपी रिपोर्ट
नए सिरे से परिसीमन करने के लिए गठित आयोग ने पहले ही अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे बाकायदा मंजूरी दे दी है. इस रिपोर्ट के अनुसार, सीटों की संख्या 272 से घटाकर 250 कर दी गई है. सभी 250 निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को वास्तविक तौर पर निर्धारित करने की कवायद शुरू हो गई है और जल्द ही इसके पूरा होने की संभावना है.
हालांकि पहले यह अनुमान लगाया गया कि इस साल की शुरुआत में पंजाब विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक जीत के बाद केंद्र सरकार पार्टी की महत्वाकांक्षाओं पर पानी फेरने के लिए दिल्ली नगरपालिका चुनावों में जितना संभव हो सके देरी करने की कोशिश कर सकती है. लेकिन अब एमसीडी चुनाव कराने की गतिविधि अचानक से शुरू हो गई है और इससे सभी हैरान हैं.
MCD चुनाव की जल्द हो सकती है घोषणा
दिसंबर के पहले सप्ताह में एमसीडी चुनाव कराने के पीछे विचार यह है कि इसे गुजरात विधानसभा चुनावों के साथ जोड़ा जाए, जिसके कार्यक्रम की घोषणा जल्द ही की जा सकती है. आम आदमी पार्टी जो इसे टालने के लिए आसमान सिर पर उठाए हुए थी, बीजेपी के सुनियोजित चाल में फंस सकती है.
पिछले साल के निकाय चुनावों में आम आदमी पार्टी को पश्चिमी राज्य में अनुकूल परिणाम मिले. इसके बाद गुजरात में एक प्रमुख पार्टी बनने के लिए आप (AAP) समय और ऊर्जा लगा रही है. जनमत सर्वेक्षणों से पता चलता है कि पार्टी लगभग 28 फीसदी वोट हासिल कर सकती है और 18-24 सीटें जीत सकती है.
जोखिम नहीं लेना चाहती BJP
गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को लगातार सातवीं बार जीतने जीत का अनुमान है, लेकिन पार्टी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है क्योंकि गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पावरफुल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है. गुजरात में किसी भी प्रतिकूल परिणाम का सीधा असर 2024 लोकसभा चुनावों में पर हो सकता है जिसमें बीजेपी जीत की हैट्रिक दर्ज करना चाहती है.
बीजेपी कुछ समय से राज्य में आम आदमी पार्टी को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. इसमें आम आदमी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं, जो बीजेपी में शामिल हो गए हैं. फिर भी, आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के गुजरात आने के बाद से पार्टी कार्यकर्ता उत्साहित हैं.
आप के चेहरे पर लगे धब्बे को हटाना होगा
गुजरात और दिल्ली नगर निकाय चुनावों को एक साथ आयोजित करना केजरीवाल की योजनाओं पर पानी फेर सकता है क्योंकि वे गुजरात में पार्टी की कोशिशों को कम नहीं होने दे सकते और साथ ही उन्हें दिल्ली में आप के चेहरे पर लगे धब्बे को भी हटाना होगा.
पिछले कई सालों से चुनाव में दिल्ली मिलाजुला फैसला दे रही है. एक तरफ दिल्ली के मतदाता लोकसभा और नगर निगम चुनावों में बीजेपी को पसंद करते हैं, वहीं जब विधानसभा चुनावों की बारी आती है, तो उन्होंने दो बार आप को भारी जनादेश दिया है. आम आदमी पार्टी का असली प्लान एमसीडी चुनावों में जीत हासिल करने की है ताकि वह 2024 में दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर बीजेपी को प्रभावी तरीके से चुनौती दे सके.
इसलिए पड़ेगा असर
कई अन्य व्यक्ति-केंद्रित राजनीतिक दलों की तरह आम आदमी पार्टी भी चुनाव प्रचार के लिए केजरीवाल पर बहुत अधिक निर्भर है. यदि दो चुनाव एक साथ होते हैं, तो उन्हें अपना समय बांटना होगा, जो उनकी अनुपस्थिति में आप के प्रचार की गति को प्रभावित कर सकता है. सामान्य रूप से दो सप्ताह तक चलने वाले प्रचार अभियान के दौरान, दिल्ली और गुजरात की चुनावी सभा में भाग लेने के अलावा केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने ऑफिस में कुछ समय बिताने की आवश्यकता होगी