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अधिकारियों के ट्रांसफर मामले में भाजपा ने केजरीवाल पर लगाया झूठ बोलने का आरोप-कहा, बदले की भावना के तहत किया अधिकारी का तबादला
Rani Sahu
12 May 2023 3:43 PM GMT
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दिल्ली (आईएएनएस)| दिल्ली से भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर अधिकारी के ट्रांसफर मामले में झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा है कि आई.ए.एस. अधिकारियों के ट्रांसफर सिविल सर्विसेज बोर्ड करता है, ऐसे में उपराज्यपाल का इस ट्रांसफर से कोई लेना-देना ही नहीं है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि केजरीवाल सिर्फ एक फाइल दिखाए जो उन्होंने उपराज्यपाल को भेजी हो और जिसे बिना किसी संवैधानिक कारण के रोका गया है। बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल अपने शीशमहल घोटाले पर पर्दा डालने के लिए ऐसा नैरेटिव बनाकर दिल्ली की जनता का ध्यान अपने भ्रष्टाचार से भटकाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि एनसीटी एक्ट 1991 के अनुसार उच्चतम न्यायालय ने पूरी स्पष्टता के साथ कहा था कि लॉ एंड ऑर्डर, लैंड सभी केंद्र सरकार के पास होंगे क्योंकि यहां दूसरे देशों की एबेंसी हैं और साथ ही यहां दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों सहित देश के और विदेशों के महत्वपूर्ण व्यक्तियों की गतिविधियां होती रहती हैं।
बिधूड़ी ने कहा कि अगर केजरीवाल यह चाहते हैं कि संविधान और कानून उनके बनाए नियमों से चलेगा तो यह उनका भ्रम है। अगर असंवैधानिक तरीके से फाइल उपराज्यपाल को भेजेंगे और फाइल पर स्वयं साइन नहीं करेंगे तो एलजी उस पर साइन क्यों करेंगे ?
वहीं दिल्ली सरकार के फिर से सुप्रीम कोर्ट जाने पर कटाक्ष करते हुए भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि ट्रांसफर पोस्टिंग के मुद्दे पर आज दिल्ली सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए देखना अचंभित करने वाला है। केजरीवाल सरकार को यह समझना चाहिए था कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी कल अपने आदेश में कहा है कि तबादले करने से पहले उचित प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कल ट्रांसफर पोस्टिंग पर दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन संवैधानिक प्रावधानों को पूरा करने की प्रतीक्षा किए बिना दिल्ली सरकार ने अराजक तरीके से तत्काल स्थानांतरण की अनुमति देने के लिए अधिकारियों को बाध्य करने की कोशिश की लेकिन जब वे विफल रहे तो वे आज फिर से सुप्रीम तकोर्ट में चले गए। जिस तरह से केजरीवाल सरकार ने न्यायालय के पूरे फैसले के आने के लिए कुछ घंटे भी इंतजार नहीं किया और सचिव सेवा आशीष मोरे को विभाग से बाहर करने की कोशिश की, वह स्पष्ट रूप से दशार्ता है कि स्थानांतरण प्रस्ताव प्रशासनिक कारणों से घोषित नहीं किया गया था, बल्कि अधिकारी के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर उनका तबादला किया गया था।
--आईएएनएस
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