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नए सत्र की शुरुआत में बच्चों को नहीं बंटी पुस्तकें, एक किताब से तीन विद्यार्थी पढ़ने को मजबूर, ये है सरकारी स्कूलों का कड़वा सच

Renuka Sahu
7 April 2022 5:20 AM GMT
नए सत्र की शुरुआत में बच्चों को नहीं बंटी पुस्तकें, एक किताब से तीन विद्यार्थी पढ़ने को मजबूर, ये है सरकारी स्कूलों का कड़वा सच
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फाइल फोटो 

दिल्ली से सटे नोएडा के परिषदीय विद्यालयों में नया शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है। इस वर्ष रिकॉर्ड दाखिले कराने के लिए शासन के आदेश पर स्कूल चलो अभियान भी चल रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिल्ली से सटे नोएडा के परिषदीय विद्यालयों में नया शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है। इस वर्ष रिकॉर्ड दाखिले कराने के लिए शासन के आदेश पर स्कूल चलो अभियान भी चल रहा है। इसके फलस्वरूप धीरे-धीरे दाखिले भी बढ़ने शुरू हो गए हैं लेकिन विद्यार्थियों को अभी तक निशुल्क किताबें नहीं बंटी हैं। हालात यह है कि नए सत्र में बच्चे पुरानी किताबों से पढ़ाई कर रहे हैं। प्रत्येक कक्षा में शिक्षकों को एक किताब से तीन-तीन बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है।

सेक्टर-62 स्थित नवादा रसूलपुर के उच्च प्राथमिक विद्यालय में बुधवार को शिक्षक एक किताब से तीन-तीन बच्चों को पढ़ाते नजर आए। प्रधान अध्यापक जोध सिंह भाटी ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग से अभी तक किताब नहीं मिली हैं। शासनादेश के अनुसार पुराने बच्चों से किताबें मांगकर नए सत्र की पढ़ाई कराई जा रही है। विद्यालय के करीब 80 प्रतिशत विद्यार्थियों के खाते में यूनिफॉर्म के लिए पैसा जा चुका है लेकिन 10 प्रतिशत से भी कम बच्चे यूनिफॉर्म में आ रहे हैं। बिना किताबों के बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो रहा है।
ग्रेटर नोएडा स्थित तुगलपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक मेघराज भाटी ने बताया कि स्कूलों में नए सत्र की प्रक्रिया शुरू हो गई है। नए दाखिले किए जा रहे है लेकिन किताब न मिलने के कारण बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं। नोएडा सेक्टर-12 स्थित आदर्श प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका ने बताया कि उनके विद्यालय में बीते शैक्षणिक सत्र में 1800 से अधिक बच्चे थे, अभी बस 20 बच्चे ही स्कूल में पढ़ाई करने के लिए आ रहे है। जो बच्चे स्कूल आ रहे हैं, उनके पास कोर्स नहीं है। ऐसे में उन्हें पूरा समय खाली बैठकर ही निकालना पड़ता है। जिले के कई और परिषदीय विद्यालयों का यही हाल है।
जिले के स्कूलों के 50 प्रतिशत से भी कम बच्चों के पास यूनिफॉर्म है। नए शैक्षणिक सत्र में वर्दी के लिए प्रक्रिया अभी तक विभागीय स्तर से शुरू भी नहीं हो सकी है। इस बार विद्यार्थियों को वर्दी तभी मिलेगी, जब वह पुरानी ड्रेस में फोटो अपलोड करेंगे।
30 हजार बच्चों को नहीं मिली वर्दी
बेसिक शिक्षा विभाग के मुताबिक बीते शैक्षणिक सत्र में प्रेरणा पोर्टल पर दर्ज 90 हजार विद्यार्थियों में से 60 हजार के खाते में अब तक वर्दी (यूनिफॉर्म) के 1100 रुपये भेजे जा चुके हैं। शेष 30 हजार विद्यार्थियों के खातों का सत्यापन कर जानकारी शासन के पोर्टल पर अपलोड कर दी है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि 511 स्कूलों में 50 प्रतिशत से भी कम बच्चे यूनिफॉर्म पहनकर आते हैं।
रिजल्ट नहीं मिलने से दाखिला अटका
परिषदीय विद्यालयों में 31 मार्च को परिणाम वितरित होना था, लेकिन पांच दिन अधिक बीतने के बाद भी 80 प्रतिशत से ज्यादा विद्यार्थियों को रिजल्ट नहीं मिल सका है। परिषदीय विद्यालयों में कक्षा-1 से 8वीं तक पढ़ाई होती है। नौवीं में उन्हें दूसरे स्कूलों में दाखिला लेना पड़ता है। दाखिले से पहले स्कूल रिजल्ट मांगता है, लेकिन उन्हें रिजल्ट न मिलने से अगली कक्षा में दाखिला नहीं मिल रहा है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ऐश्वर्या लक्ष्मी ने कहा, 'किताबें शासन से प्राप्त होंगी, इसके लिए पत्राचार हो चुका है। शासन के आदेश पर ही बच्चों को पुरानी किताबों से पढ़ाया जा रहा है। रिजल्ट की दिक्कत भी दूर होगी।'
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