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एएसआई कोर्ट जाने को तैयार, कमजोर किलेबंदी से तुगलकाबाद किले की जमीन पर अवैध कब्जा

Admin4
21 Aug 2022 8:51 AM GMT
एएसआई कोर्ट जाने को तैयार, कमजोर किलेबंदी से तुगलकाबाद किले की जमीन पर अवैध कब्जा
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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

मोहरौली-बदरपुर रोड पर करीब छह किलोमीटर में तुगलकाबाद किला फैला है। किले की पिछली दीवार से सटा तुगलकाबाद गांव है, जो आजादी के पहले का है।

कमजोर किलेबंदी के कारण तुगलकाबाद किले की जमीन धीरे-धीरे अवैध कब्जों की भेंट चढ़ती जा रही है। आसपास के ग्रामीणों का दावा है कि वे निर्धारित लाल डोरे के पीछे बसे हुए हैं। इधर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहा है। हालांकि वे अवैध कब्जे वाली बात पर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हैं।

मोहरौली-बदरपुर रोड पर करीब छह किलोमीटर में तुगलकाबाद किला फैला है। किले की पिछली दीवार से सटा तुगलकाबाद गांव है, जो आजादी के पहले का है। इस गांव का दायरा इसके बसने के समय की तुलना में कई गुना बढ़ गया है।

गांव के लोगों का कहना है कि वो लाल डोरे के भीतर ही बसे हैं। वहीं एएसआई के अधिकारी खुलकर तो नहीं, लेकिन दबे मन से यह स्वीकार करते हैं कि किले की जमीन पर स्थानीय लोग अवैध कब्जा कर रहे हैं। वो कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।

किले को बचाना बड़ी चुनौती

तुगलकाबाद किला करीब 800 साल पुराना दिल्ली का तीसरा सबसे पुराना किला है। इसे बचाए रखने का चुनौतीपूर्ण काम एएसआई की तरफ से किया जा रहा है। इस किले को गयासुद्दीन तुगलक ने साल 1321 से 1325 के बीच बनवाया था।

तीन साल पहले तक यह किला खंडहर और पत्थरों के बिखरे ढेर के अलावा कुछ नहीं था, लेकिन एएसआई ने इसे संरक्षित करने का मन बनाया। इसके संरक्षण के कई काम किए गए।

किले के बुर्ज विजय मंडल की चोटी पर सुरक्षा की दृष्टि से रेलिंग लगाई गई। बैठने के लिए प्लेटफॉर्म बने तो बुर्ज तक पहुंचने के लिए पाथ-वे बनाया गया। यहां से पूरा किला, गयासुद्दीन का मकबरा और तुगलकाबाद गांव दिखता है। इसी के विकास की तैयारी है।

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