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दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति के लिए ऐसे करे आवेदन
Delhi University 2022: दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) से संबद्ध कॉलेजों (affiliated Collages) में तदर्थ आधार (ad hoc basis) पर काम करने वाले शिक्षकों को स्थायी नियुक्ति (permanent appointments) देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। टीचरों का ये नियुक्ति अभियान दिल्ली सरकार (Delhi Government) द्वारा फंडेड (Funded) है। एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि 5,000 से अधिक शिक्षकों को स्थायी आधार पर नियुक्त किया जाएगा।
शिवाजी कॉलेज (Shivaji College) में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर भी नियुक्तियां हो रही हैं। जिसमें कुल 101 रिक्तियां हैं। इच्छुक उम्मीदवार दिल्ली विश्वविद्यालय की ऑफिशियल वेबसाइट पर 7 नवंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
लंबे समय से की जा रही थी मांग: दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में लंबे समय से शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की मांग की जा रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में 50 प्रतिशत से अधिक शिक्षकों की तदर्थ आधार (immediate purpose) पर नियुक्ति की गई थी। दिल्ली शिक्षक संघ (डीटीए) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को एक प्रस्ताव भेजा था कि दिल्ली द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति के मुद्दे पर चर्चा के लिए एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाया जाए।
पंजाब में पहले ही जारी हो चुकी है अधिसूचना: पंजाब में आप सरकार (Punjab Government) ने शिक्षकों के कामकाज को नियमित करने के लिए पहले ही अधिसूचना जारी कर दी है। इसे देखते हुए दिल्ली के शिक्षकों ने भी नौकरी के स्थिरीकरण पर पंजाब सरकार का फॉर्मूला अपनाने की मांग की है।
10 वार्षों से अधिक "अस्थायी" शिक्षक नियुक्त हैं: डीटीए (DTA) के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेजों में 10 से अधिक वर्षों से लगभग 4,000 अस्थायी शिक्षक और कर्मचारी काम कर रहे हैं। दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों में 2006-2007 में तदर्थ शिक्षकों की संख्या 10 प्रतिशत थी। जबकि वर्तमान में इन कॉलेजों में 60 से 70 प्रतिशत तदर्थ शिक्षक हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के इन कॉलेज में मोतीलाल नेहरू कॉलेज, सत्यवती कॉलेज, श्री अरबिंदो कॉलेज, शहीद भगत सिंह कॉलेज, स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज, श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज, लक्ष्मीबाई कॉलेज, कालिंदी कॉलेज, राजधानी कॉलेज, शिवाजी कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, अन्य शामिल है।
डीटीए के मुताबिक, लंबे समय से वहां कोई स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है। कुछ ऐसे कॉलेज हैं। जहां उनके विभाग में कोई स्थायी शिक्षक नहीं है। ये तदर्थ शिक्षक, जो ज्यादातर 35-45 वर्ष के आयु वर्ग के हैं। एक दशक से अधिक समय से काम कर रहे हैं। साथ ही इन शिक्षकों को कोई चिकित्सा लाभ (medical benefits), अवकाश यात्रा रियायत (eave travel concession) आदि प्रदान नहीं की जाती है। इसी प्रकार तदर्थ महिला शिक्षकों (Female Teacher) को भी मातृत्व अवकाश (maternity leave ) नहीं मिलता है।दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) से संबद्ध कॉलेजों (affiliated Collages) में तदर्थ आधार (ad hoc basis) पर काम करने वाले शिक्षकों को स्थायी नियुक्ति (permanent appointments) देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। टीचरों का ये नियुक्ति अभियान दिल्ली सरकार (Delhi Government) द्वारा फंडेड (Funded) है। एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि 5,000 से अधिक शिक्षकों को स्थायी आधार पर नियुक्त किया जाएगा।
शिवाजी कॉलेज (Shivaji College) में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर भी नियुक्तियां हो रही हैं। जिसमें कुल 101 रिक्तियां हैं। इच्छुक उम्मीदवार दिल्ली विश्वविद्यालय की ऑफिशियल वेबसाइट पर 7 नवंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
लंबे समय से की जा रही थी मांग: दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में लंबे समय से शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की मांग की जा रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में 50 प्रतिशत से अधिक शिक्षकों की तदर्थ आधार (immediate purpose) पर नियुक्ति की गई थी। दिल्ली शिक्षक संघ (डीटीए) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को एक प्रस्ताव भेजा था कि दिल्ली द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति के मुद्दे पर चर्चा के लिए एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाया जाए।
पंजाब में पहले ही जारी हो चुकी है अधिसूचना: पंजाब में आप सरकार (Punjab Government) ने शिक्षकों के कामकाज को नियमित करने के लिए पहले ही अधिसूचना जारी कर दी है। इसे देखते हुए दिल्ली के शिक्षकों ने भी नौकरी के स्थिरीकरण पर पंजाब सरकार का फॉर्मूला अपनाने की मांग की है।
10 वार्षों से अधिक "अस्थायी" शिक्षक नियुक्त हैं: डीटीए (DTA) के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेजों में 10 से अधिक वर्षों से लगभग 4,000 अस्थायी शिक्षक और कर्मचारी काम कर रहे हैं। दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों में 2006-2007 में तदर्थ शिक्षकों की संख्या 10 प्रतिशत थी। जबकि वर्तमान में इन कॉलेजों में 60 से 70 प्रतिशत तदर्थ शिक्षक हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के इन कॉलेज में मोतीलाल नेहरू कॉलेज, सत्यवती कॉलेज, श्री अरबिंदो कॉलेज, शहीद भगत सिंह कॉलेज, स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज, श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज, लक्ष्मीबाई कॉलेज, कालिंदी कॉलेज, राजधानी कॉलेज, शिवाजी कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, अन्य शामिल है।
डीटीए के मुताबिक, लंबे समय से वहां कोई स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है। कुछ ऐसे कॉलेज हैं। जहां उनके विभाग में कोई स्थायी शिक्षक नहीं है। ये तदर्थ शिक्षक, जो ज्यादातर 35-45 वर्ष के आयु वर्ग के हैं। एक दशक से अधिक समय से काम कर रहे हैं। साथ ही इन शिक्षकों को कोई चिकित्सा लाभ (medical benefits), अवकाश यात्रा रियायत (eave travel concession) आदि प्रदान नहीं की जाती है। इसी प्रकार तदर्थ महिला शिक्षकों (Female Teacher) को भी मातृत्व अवकाश (maternity leave ) नहीं मिलता है।