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अनु त्यागी ने वीडियो जारी कर नॉएडा प्राधिकरण की सीईओ ऋतु महेश्वरी पर लगाया बड़ा आरोप
एनसीआर नॉएडा न्यूज़: नोएडा की हाईराइज सोसिटियों में शुमार ग्रैंड ओमेक्स में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को चले दिनभर हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद देर शाम इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को 20 अक्टूबर अतिक्रमण के खिलाफ एक्शन न लेने का आदेश दिया है। लेकिन देर रात अनु त्यागी ने एक वीडियो जारी किया है। उनका आरोप है कि नोएडा प्राधिकरण की टीम एक बार फिर सोसाइटी में घुसकर उनके घर को तोड़ गई है। घर के बाहर लगे पेड़ उखाड़ दिए हैं। अनु त्यागी ने वीडियो बनाकर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ऋतु महेश्वरी पर निशाना साधा है।
श्रीकांत की पत्नी अनु त्यागी ने वीडियो के जरिए सीईओ ऋतु महेश्वरी पर कार्रवाई की मांग की है। अनु त्यागी ने कहा कि शुक्रवार को दोपहर के समय हाईकोर्ट से स्टे आ चुका था। जिसमें साफ तौर पर लिखा है, "सोसाइटी की जो परिस्थिति है, उसे फिलहाल वैसे ही रहने दिया जाए।" लेकिन नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ऋतु महेश्वरी ने इस ऑर्डर को ना मानते हुए मेरे पेड़ों को तुड़वा दिया गया। अनु त्यागी ने कहा कि शुक्रवार की रात हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद ऋतु महेश्वरी ने प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों को मेरे घर भेजकर मेरे पेड़ों को एक बार फिर उखाड़ने की कोशिश की है। उन्होंने मेरे घर पर जेसीबी चलवा कर 30 लाख रुपए का नुकसान करवाया है। सीईओ ने कोर्ट के निर्देश को अनदेखा किया है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट सीईओ ऋतु महेश्वरी के खिलाफ कार्यवाही करें।
हाईकोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी का आदेश: आपको बता दें, हाईकोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को आदेश दिया है कि 20 अक्टूबर तक अतिक्रमण के खिलाफ कोई एक्शन नहीं होगा। हमने आपको शुक्रवार को बताया था कि सोसायटी के 125 निवासी अथॉरिटी की कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट गए हैं। अदालत ने निवासियों के वकीलों को शुक्रवार की सुबह अत्याधिक आवश्यकता के आधार पर मौखिक रूप से सुना और 2 बजे मामले में सुनवाई का निर्देश दिया। इसी बीच नोएडा अथॉरिटी के हाईकोर्ट में स्टैंडिंग काउंसिल को कहा गया कि वह फोन पर प्राधिकरण के सक्षम अधिकारियों से बात करें और दोपहर बाद सुनवाई होने तक डेमोलिशन की कार्यवाही को रोक दें। दोपहर बाद जस्टिस मनोज गुप्ता और जस्टिस जयंत बनर्जी की अदालत ने इस मामले में सुनवाई की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने माना कि विस्तार से मामले को सुनने की जरूरत है। लिहाजा, 20 अक्टूबर तक प्राधिकरण को किसी भी सूरत में तोड़फोड़ नहीं करने का आदेश दिया गया है।
निवासियों ने मुख्य रूप से यह दो तक रखे: ओमेक्स ग्रैंड हाउसिंग सोसायटी के निवासी मुकुल गुप्ता और 24 अन्य ने अलग-अलग 125 याचिकाएं हाईकोर्ट के सामने दाखिल की हैं। इन सभी को हाईकोर्ट एक साथ सुन रहा है। निवासियों ने मुख्य रूप से 2 बिंदु अदालत के सामने रखे हैं।
1. इन लोगों ने बताया है कि बिल्डर ने अस्थाई निर्माण करने के लिए प्रत्येक आवंटित से 6 लाख रुपये लिए थे। इस अस्थाई निर्माण में टीनशेड जैसी सुविधाएं शामिल हैं। बिल्डर, आवंटी और अथॉरिटी के बीच हुई ट्राईपार्टी लीज डीड में इसका उल्लेख है। लिहाजा, आवंटियों को टीनशेड जैसे अस्थाई निर्माण करने का हक है। यह सुविधा हासिल करने वाले किसी भी आवंटी ने स्थाई निर्माण नहीं किया है। लीज डीड में उल्लेखित टीनशेड जैसे अस्थाई निर्माण किए गए हैं। इन्हें अथॉरिटी को तोड़ने का अधिकार नहीं है।
2. निवासियों ने दूसरा मुद्दा उठाया। बताया कि प्राधिकरण की ओर से एक शिकायत के आधार पर 9 जुलाई 2020 को नोटिस भेजा था। जिसमें कहा गया है कि निवासियों ने अनाधिकृत निर्माण कर रखे हैं। इन निर्माण की अनुमति हाउसिंग सोसायटी के ले-आउट प्लान में नहीं है। निवासियों की ओर से प्राधिकरण के नोटिस का जवाब दे दिया गया। जिसमें यह बताया गया था कि बिल्डर से हुए अनुबंध और लीज डीड के आधार पर यह निर्माण किए गए हैं। जवाब जाने के बाद प्राधिकरण की ओर से कोई प्रत्युत्तर अभी तक नहीं दिया गया है। अब 26 सितंबर 2022 को प्राधिकरण ने सोसाइटी में घोषणा करवाई। जिसमें प्रॉपर्टी मैनेजर की ओर से कहा गया कि जिन लोगों ने सोसाइटी में अपने घरों के सामने अनाधिकृत निर्माण कर रखे हैं, वह लोग अगले 48 घंटों में खुद हटा लें। ऐसा नहीं करने पर प्राधिकरण डिमोलिशन की कार्रवाई करेगा। प्राधिकरण की यह कार्यवाही पूरी तरह अवैध है। अब प्राधिकरण अपना दस्ता लेकर निवासियों के घरों को तोड़ने पहुंच गया है। यह कार्यवाही तत्काल रोक की जानी चाहिए।
प्राधिकरण और सरकार के वकील नहीं दे पाए जवाब: ग्रैंड ओमेक्स हाउसिंग सोसायटी के निवासियों की तरफ से हाईकोर्ट के सामने उठाए गए मुद्दों पर कोई खास प्रतिक्रिया अथॉरिटी और सरकार के वकील नहीं दे पाए। प्राधिकरण की ओर से चीफ स्टैंडिंग काउंसिल कौशलेंद्र नाथ सिंह अदालत के सामने हाजिर हुए। कौशलेंद्र नाथ सिंह ने अदालत को बताया कि प्राधिकरण को सुबह यह बता दिया गया था कि तोड़फोड़ की कार्यवाही नहीं की जाएगी। प्राधिकरण के वकील ने अदालत को बताया है कि निवासियों ने अवैध निर्माण कर रखा है। इसकी मंजूरी सोसाइटी के नक्शों में नहीं ली गई। इस अवैध निर्माण के खिलाफ ग्रैंड ओमेक्स हाउसिंग सोसायटी की अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन ने शिकायत की है। जिस पर यह कार्यवाही की जा रही है।
अदालत ने कहा- मामले को विस्तार से सुनने की जरूरत: दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने माना कि इस पूरे प्रकरण को विस्तार से सुनने की जरूरत है। कई सारे ऐसे तथ्य हैं, जिनमें दोनों ओर से जवाब देने की आवश्यकता होगी। दूसरी ओर प्राधिकरण की कार्यवाही को भी फिलहाल जायज नहीं माना जा सकता है। लिहाजा, प्राधिकरण तत्काल तोड़फोड़ की कार्रवाई को रोक दे। अब अदालत इस मामले पर 20 अक्टूबर को सुनवाई करेगी। दोनों पक्षों को एक-दूसरे की तरफ से उठाए गए सवालों के जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।