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जस्मिन शाह को दी गई सारी सरकारी सुविधाएं वापस लीं गई, कार्यालय भी किया गया सील
दिल्ली न्यूज़: सियासी कामों के लिए सरकारी दफ्तर के दुरूपयोग के आरोप में उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से दिल्ली सरकार के थिंक टैंक दिल्ली डॉयलाग एंड डेवलपमेंट कमीशन (डीडीसीडी) के उपाध्यक्ष पद से जस्मिन शाह को हटाने के निर्देश दिए। उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को डीडीसीडी उपाध्यक्ष के रूप में जस्मिन शाह को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने और कार्यालय से जुड़े किसी भी विशेषाधिकार व सुविधाओं का उपयोग करने से रोकने के भी निर्देश दिए। इस आशय का एक प्रशासनिक आदेश दिल्ली सरकार के योजना विभाग द्वारा जारी किया गया, जिसके बाद सिविल लाइंस के एसडीएम ने वीरवार देर रात शाह के 33 शामनाथ मार्ग कार्यालय को सील कर दिया। शाह के दिल्ली सचिवालय स्थित दफ्तर को भी सील कर दिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल के आदेश के बाद शाह के कार्यालय पर ताला लगाने के अलावा आधिकारिक वाहन और सरकार द्वारा मुहैया कराए गए कर्मचारियों सहित उन्हें दी गई सभी सुविधाएं वापस ले ली गई हैं। जब तक कि उन्हें हटाने पर मुख्यमंत्री द्वारा निर्णय नहीं ले लिया जाता है। अधिकारियों के अनुसार शाह को 17 अक्तूबर को दिल्ली सरकार के योजना विभाग द्वारा एक राजनीतिक दल के प्रवक्ता के रूप में सरकारी संसाधनों और सार्वजनिक कार्यालय के दुरुपयोग करने के आरोप में नोटिस दिया गया था। सूत्र ने कहा कि जब वह एक लोक सेवक के रूप में सरकार के वेतन और भत्तों पर थे, तब भी शाह ने सभी बाध्यकारी आचरण नियमों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया और आधिकारिक प्रवक्ता के रूप में आप के राजनीतिक एजेंडे को सार्वजनिक रूप से आगे बढ़ाया। इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि कानून विभाग ने स्पष्ट रूप से कहा था कि जस्मिन शाह एक लोक सेवक हैं और मानद पद पर काम नहीं कर रहे हैं।
नोटिस उपराज्यपाल के निर्देश पर दिया गया था। जिसमें मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा कानून और योजना विभागों की रिपोर्ट पर विचार किया गया था। शाह को अपना जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था और उन्हें 3 दिनों का विस्तार भी दिया गया था। सूत्रों ने कहा कि कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए पर्याप्त अवसर दिए जाने के बावजूद शाह अपना पक्ष रखने में विफल रहे और उन्होंने सूचित किया कि योजना विभाग के प्रभारी मंत्री मनीष सिसोदिया को मुख्यमंत्री के सामने जवाब रखने के लिए प्रस्तुत किया है। सूत्रों ने कहा कि लेन-देन नियम-1993 के नियम 25 (ए) के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए उपराज्यपाल सचिवालय ने 4 नवम्बर को सीएम कार्यालय को एक पत्र भेजा, जिसमें शाह की प्रतिक्रिया को उपराज्यपाल के समक्ष रखने के लिए कहा गया था। लेकिन न तो उक्त पत्र का जवाब दिया गया और न ही मुख्यमंत्री से कोई जवाब प्राप्त हुआ।
सूत्र ने कहा कि जब मुख्यमंत्री कार्यालय ने पत्र का जवाब नहीं दिया, तो डीडीसीडी के कार्यालय के किसी भी दुरुपयोग को रोकने के लिए शाह के कार्यालय को सील कर दिया गया। अपने नोट में उपराज्यपाल ने कहा कि उन्होंने मामले के तथ्यों और रिकॉर्ड के अलावा पूरी तरह से आरोपों की सावधानीपूर्वक जांच की, जो व्यक्तिगत राजनीतिक गतिविधियों के लिए सार्वजनिक कार्यालय का शाह द्वारा दुरुपयोग की ओर इशारा करता है। उपराज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री जो डीडीसी के अध्यक्ष भी हैं, उन्हें शाह को तुरंत हटाना चाहिए। बता दें कि भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने शिकायत की थी कि शाह डीडीसीडी के उपाध्यक्ष रहते हुए आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। उनकी शिकायत पर कार्रवाई हुई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले महीने कहा था कि शाह को कारण बताओ नोटिस जारी करना गलत है और जोर देकर कहा था कि शाह की नियुक्ति दिल्ली कैबिनेट ने की है। इसलिए इस मामले में कैबिनट ही कार्रवाई कर सकती है।
एलजी की कार्रवाई अवैध और असंवैधानिक: जस्मिन शाह
डीडीसीडी के उपाध्यक्ष पद से हटाने के उपराज्यपाल के आदेश पर जस्मिन शाह ने निशाना साधते हुए कहा कि डीडीसीडी में मेरे कार्यालय को सील करने और मुझे अपने कर्तव्यों के निर्वहन से रोकने के लिए उपराज्यपाल की कार्रवाई पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि यह उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। शाह ने कहा कि उपराज्यपाल ने मेरे दफ्तर को इसलिए सील किया, क्योंकि आम आदमी पार्टी का प्रवक्ता हूं। लेकिन मेरा सवाल है कि संबित पात्रा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं और वे आईटीडीसी के चेयरमैन भी हैं, उनका दफ्तर सील क्यों नहीं किया जा रहा है? उन्होंने कहा कि देश में एक न्याय व्यवस्था है, तो फिर कानून 2 लागू क्यों होंगे, एक आम आदमी पार्टी के लिए और एक भाजपा के लिए। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल के आदेश पर सभी विकल्प देख रहे हैं।
शाह ने कहा कि पिछले महीने ही दिल्ली हाईकोर्ट में एक पीआईएल फाइल हुई थी, जिसमें कहा गया था कि राजनीतिक प्रवक्ता जो सरकार में किसी पद पर हैं, उन्हें हटाया जाए। उन्होंने कहा कि इसमें मेरा और संबित पात्रा का भी नाम था। हाईकोर्ट ने इसमें कोई निर्णय नहीं लिया, लेकिन सवाल पूछा कि ये बताइए कि यह किस कानून की किस धारा का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि इस पर केंद्र और भाजपा की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि मेरा पद दिल्ली में मंत्री के समान है, सरकार में जो मंत्री हैं, वे अपनी पार्टी की भी बात करते हैं और सरकार में भी काम करते हैं। उपराज्यपाल क्या संदेश देना चाहते हैं, क्या वे अब मुख्यमंत्री को भी कहेंगे कि वे अपने पद से हट जाएं।
जस्मिन के ऑफिस पर एलजी ने आप का प्रवक्ता होने का आरोप लगाते हुए ताला लगा दिया है। फिर संबित पात्रा, जो आईटीडीसी के अध्यक्ष हैं, उनके कार्यालय को भी सील कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि वह भाजपा के प्रवक्ता हैं। मनीष सिसोदिया, उपमुख्यमंत्री