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DEHLI NEWS: फेफड़े के संक्रमण को रोकेगा एआई, 450 मरीजों पर हुआ परीक्षण
दिल्ली Delhi: छाती और पेट की सर्जरी के बाद रोगी के फेफड़ों के संक्रमण को रोकने में एम्स और दिल्ली की चीजों का कृत्रिम विकास Artificial evolution (कमी) भविष्यवाणी मॉडल उपयोगी होगा। इन गंभीर सर्जरी के बाद मरीजों को पोस्ट-ऑपरेटिव पल्मोनरी समस्याएं (पीपीएसआई) होने का खतरा अधिक रहता है। कई बार देखने में आम लगता है, लेकिन समय पर वास्तविकता न होने के कारण स्थिति गंभीर हो जाती है। इस तरह यह तकनीक 24 से 48 घंटे पहले ही रोगियों की ब्लड रिपोर्ट, क्लीनिकल रिपोर्ट, मेडिकल हिस्ट्री व अन्य का विश्लेषण कर डॉक्टर को सूचित कर देगी। एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. सौविक मैत्रा ने बताया कि मरीजों को जरूरत के हिसाब से आईसीयू या वेंटिलेटर सपोर्ट, फिजियोथेरेपी, इलाज में बदलाव या अन्य सुविधाओं सहित विशेष उपचार की जरूरत होती है। अमित मेहंदीरत्ता के सहयोग से गंभीर देखभाल और आपातकालीन देखभाल के लिए दिशानिर्देश भविष्यवाणी मॉडल विकसित किया जा रहा है। प्रारंभिक चरण में इस मॉडल का परीक्षण 450 प्रतिशत पर किया गया।
इन मरीजों की छाती patient's chest और पेट की सर्जरी हुई थी। शुरुआती परिणाम बेहतर The result is betterc आते हैं। इसकी मदद से मरीज की स्थिति खराब होने का समय पूर्व जन्मों में काफी मदद मिली। अब इसके विश्लेषण के आधार पर अध्ययन किया जा रहा है जिसे जल्द ही प्रकाशित किया जाएगा। साथ ही मॉडल को और अपडेट करने के लिए भविष्य में 500 अतिरिक्त लोगों पर इसका परीक्षण किया जाएगा ताकि किसी भी गलती की आशंका को खत्म किया जा सके। वर्तमान समय में इस मॉडल की मदद से व्यक्तियों का साकार होना आसान हुआ है। साथ ही ऐसा होने के बाद मरीज की स्थिति को गंभीर होने से बचाया जा सकता है। डॉ. मैत्रा ने बताया कि अनुकूल मॉडल को अपडेट करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। वर्तमान समय में इस मॉडल का 450 प्रतिशत पर परीक्षण किया गया।
आने वाले दिनों में 500 और मृत्यु पर परीक्षण होगा। इन परीक्षण के बाद मॉडल को संशोधित करने के लिए इसमें और अधिक डेटा अपलोड भी किए जाएंगे ताकि भविष्य में इसे और बेहतर बनाया जा सके। मार्गदर्शक प्रिडिक्शन मॉडल में रोगी की ब्लड रिपोर्ट, क्लीनिकल रिपोर्ट, मेडिकल हिस्ट्री सहित अन्य जानकारी अपलोड की जाएगी। मॉडल मिली जानकारी के आधार पर खुलासा कर सकता है कि अगले 24 या 48 घंटे में महिला की स्थिति में गिरावट हो सकती है या नहीं। ऐसा देखा गया है कि 10 महीनों में तीन फीट की ऊंचाई से छाती में संक्रमण हो जाता है। इससे पीड़ित महिला की हालत काफी गंभीर हो जाती है। लेकिन समय पूर्व जानकारी से लेकर देखभाल में सुधार हो। अध्ययन के दूसरे चरण में आगे प्रगतिशील एप विकसित किया जाएगा। यह एप नवीनतम प्रिडिक्शन मॉडल का अपडेट वर्जन होगा। डॉ. मैत्रा ने कहा कि इस एप के बनने के बाद कोई भी डॉक्टर आसानी से इस्तेमाल कर सकता है। उनका कहना है कि कई बार ऐसे मरीजों को विशेष इलाज की जरूरत होती है। इसके अलावा फिजियोथेरेपी सहित अन्य देना पड़ता है।