- Home
- /
- दिल्ली-एनसीआर
- /
- ट्विन टावर के...
ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण के बाद 400 कर्मचारी सुबह 6 बजे से सफाई अभियान में जुटे
एनसीआर नॉएडा न्यूज़: सुपरटेक बिल्डर के अवैध ट्विन टावर का रविवार को ध्वस्तीकरण कर दिया गया था। जिसकी वजह से भारी धूल गुबार पैदा हुआ। अब इससे निजात पाने के लिए युद्ध स्तर पर सफाई अभियान चल रहा है। नोएडा अथॉरिटी के 400 कर्मचारियों ने रविवार की देर रात तक सफाई अभियान चलाया था। अथॉरिटी के प्रधान महाप्रबंधक राजीव त्यागी ने बताया, "आज सुबह 6:00 बजे से यह अभियान चल रहा है। पूरे इलाके को धोया जा रहा है। ग्रीन बेल्ट, पार्क, फुटपाथ और सड़कों के बीच लगे पेड़ों की धुलाई चल रही है।"
शहर पर ज्यादा नहीं पड़ा धूल का असर: राजीव त्यागी ने कहा, "एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसायटी में ट्विन टावर गिरने के बाद कई किलोमीटर दूर तक धूल का गुबार उठेगा, ऐसा बताया गया था। जिसने आसपास की हाउसिंग सोसायटी और हरियाली को चपेट में लिया है। प्राधिकरण ने इस स्थिति से निपटने के लिए पहले ही इंतजाम किए थे। सभी वर्क सर्कल के अधिकारियों और कर्मचारियों को टावर के चारों ओर तैनात किया गया था। ध्वस्तीकरण के तुरंत बाद सड़कों, सोसाइटी और पेड़ों को धोने का काम शुरू करवाया गया। ट्विन टावर के चारों ओर 15 एन्टी स्मॉग गन लगाई गई थीं। फायर ब्रिगेड की 30 गाड़ियां तैनात की गई थीं। इनके जरिए धूल पर पानी बरसाया गया है।" राजीव त्यागी ने आगे कहा, "इसका अच्छा असर देखने के लिए मिला है। शहर के एयर क्वालिटी इंडेक्स पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। कर्मचारियों की मेहनत का नतीजा है कि धूल का गुबार बहुत ज्यादा दूर तक नहीं फैलने दिया गया।"
धूल के गुब्बारे में डूबा नोएडा: ट्विन टावर ध्वस्तीकरण के बाद पूरा नोएडा शहर धूल के गुब्बारे में डूब गया है। पूरे इलाके में धूल का गुब्बारा फैलता जा रहा है। अब इसको रोकने के लिए स्मॉग गन शुरू किए गए हैं। ठीक 2:30 बजे भ्रष्टाचार की इमारत को मिट्टी में मिला दिया गया। लोगों ने भ्रष्टाचार की इमारत टूटने पर ढोल-नगाड़ों से न्याय पर जीत पर जश्न मनाया है। करीब 5 किलोमीटर दायरे के बाद भारी संख्या में भीड़ इकट्ठा हुई है। काफी लोगों ने कैमरे में भ्रष्टाचार की इमारत को मिट्टी में मिलते हुए की वीडियो अपने कैमरे में कैद की है।
दोनों टावर बनाने में आया करीब 300 करोड़ रुपए का खर्च: सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट में एपेक्स और सियान टावर को बनाने में करीब 300 करोड़ रुपए खर्च आया है, लेकिन इसके लिए गलत जगह का चयन कर लिया। निवासियों की आपत्तियों के बावजूद पैसे के बल पर लगातार इन टावरों की ऊंचाई बढ़ती रही और इन्हें बनाने में करोड़ों रुपए के खनिज और लाखों घंटों की मेहनत की गई। अब इन टावरों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ध्वस्त किया जा रहा है। जिस कारण इसमें प्रयोग किया गया खनिज और लोगों की मेहनत सब बेकार होने वाली है।