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आखिर कौन सी पुस्तक या विचार एक पुरुष को इजाज़त देते है, एक स्त्री की ना पर उससे जीवन छिन लेने की
एसिड अटैक जैसे अपराध से आज हम सभी परिचित हो चुके हैं। यह अपराध जितना दिल को दहलाने वाला है उतना ही अधिक घिरौना और मानसिक कुरीति को दिखाने वाला है। भारत में कई सालों से महिलाओं को एसिड अटैक जैसे अपराधों का सामना करना पड़ रहा है। मानसिक रूप से विकरित पुरुष स्त्रियों का चेहरा खराब कर यह बताने की कोशिश करते हैं कि तुम बिना खुबसूरती के कुछ नहीं हो। हमारे पुरूष प्रधान समाज में सालों से स्त्री को स्त्री होना चाहिए यह सीखाने की कोशिश करते हुए पुरुष मानसिक क्रूरता को दिखाते चले आ रहे हैं। मार-पीट, बलात्कार, शोषण, मानसिक तनाव जैसे अनेक अपराध है जिनका सामना स्त्रियां करती चली आ रही है। किन्तु जब इनसे बात नहीं बनी तो अब हमारे समाज के विकरित पुरुष स्त्रियों को डराने लगे हैं एसिड अटैक जैसे अपराध करके।
झारखंड हो या अन्य कोई राज्य भारत में नाबालिक बच्चियों को मानसिक विकिरती से ग्रस्त पुरुष अपना शिकार बनातें हैं। भारत की कई लड़कियां हर साल ऐसे पुरुषों की सोच का शिकार हो जाती है और अपना भविष्य, सपने, कई बार जीवन तक भी खो देती है। 2014 से 2018 के बीच देश में 1,483 एसिड अटैक के शिकार हुए हैं, यह अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़े थे। ऐसे अनेकों मामले होते होंगे जो हमारे सामने आते ही नहीं होंगे। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में बीते तीन सालों में महिलाओं पर तेजाब हमले के 386 मामले दर्ज हुए हैं। एनसीआरबी के डाटा के मुताबिक साल 2018 में महिलाओं पर तेजाब हमले के 131, साल 2019 में 150 मामले और साल 2020 में 105 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं, साल 2018 में 28, 2019 में 16 और साल 2020 में 18 व्यक्तियों को दोषसिद्ध किया गया। हजारों लड़कियां एक अपराध का शिकार हो रही है। सालों साल नए दर्ज होते केस और लड़कियों का बर्बाद होता जीवन। किंतु हमारे देश में इस अपराध के खिलाफ कानून क्या कर रहा हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 में दिल्ली की किशोरी पर हुए एसिड अटैक के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की थी। सुनवाई के बाद सभी राज्य सरकारों को निर्देश जारी किया किया गया था कि राज्य सरकारें एसिड बिक्री के लिए सख्त नियम बनाएं, जिससे अराजक तत्वों के हाथ में एसिड न पहुंचे। दोषी को कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्रकैद हो सकती है। यह भी प्रावधान है कि दोषी पर उचित जुर्माना होगा और यह रकम पीड़िता को दिया जाएगा। इस धारा का संबंध एसिड अटैक के प्रयास से है। इस कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति ने अगर किसी दूसरे व्यक्ति पर तेजाब फेंकने का प्रयास किया है तो यह एक संगीन अपराध है।
एसिड अटैक भारत सहित को संपूर्ण विश्व में होने वाली एक ऐसी घटना है ऐसा अपराध है जिसमें एक व्यक्ति को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचा कर उसे मानिक अघात पहुंचाया जाता हैं। भारत में लेकीन इसका शिकार स्त्रियों को ही बनाया जाता है। जिसका मुख्य कारण हमारे समाज की सोच है। जिसमें एक महिला के जीवन का मुख्य केंद्र उसका चेहरा होता है। यदि वह काली है तो उसे खुबसूरती की लाइन से पहले ही बाहर कर दिया जाता है और फिर यदि हमारे देश के किसी सरफिरे पुरुष को कोई लड़की अच्छी लग गई और वह उसकी बात नहीं मान रही है, फिर उसे खुबसूरती की लाइन से बाहर निकाल कर उससे बदला दिया जाता है। खुबसूरती की लाइन से बाहर निकालने का सबसे आसान रास्ता हैं एसिड अटैक। कैसी मानसिक सोच के साथ हम अपने घर में पलने वाले पुरूषों को बड़ा करते हैं। यह सोचने की जगह हम यह सोचते हैं कि वह लड़की कितनी सुन्दर हो सकती थी अगर उसके साथ ऐसा नहीं हुआ होता, उसकी बेटी बहुत सुंदर है। जैसे शब्द आपने कभी ना कभी सुनें होंगे।
किसी स्त्री का सुंदर होना, किसी स्त्री का छोटे कपड़े पहना, अपने स्वतंत्र विचार रखना या लड़की होना। कब तक हम अपने समाज के पुरूषों के अपराधों पर पर्दा डालने के लिए एक स्त्री को उसका जिम्मेदार होने का बहाना खोजते रहेंगे। क्यों मेरी मां, बहन, बेटी के कपड़े देख बलात्कार करने का मन नहीं होता है। क्यों मेरी सुन्दर बहन या बेटी की ना पर एसिड की बोतल नहीं खुलती हैं। क्या ऐसे सवाल हम खुद से पुछने का साहस कभी करते हैं। क्यों पूछेंगे हम ऐसे सवाल, जब हम मां-बहन के नाम पर प्रयोग होने वाले अभद्र शब्द का प्रयोग कर एक दूसरे को नीचा दिखा खुश होते हैं। यदि हम सभी अपने विचारों को बदलें स्त्रियों के प्रति, अपने घर में पलने वाले लड़कों को लड़कियों के विचारों और फैसलों का सम्मान करना सिखाएं तो एक नया कल हम जरूर लिख सकते हैं जहां स्त्रियों के साथ होने वाले अपराधों में कभी आएंगी।