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गाजियाबाद तहसील बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने पावर ऑफ अटॉर्नी पर रोक के विरोध में किया धरना प्रदर्शन

Admin Delhi 1
19 Jan 2023 10:13 AM GMT
गाजियाबाद तहसील बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने पावर ऑफ अटॉर्नी पर रोक के विरोध में किया धरना प्रदर्शन
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एनसीआर गाजियाबाद न्यूज़: हाल में ही प्रदेश सरकार की तरफ से पावर ऑफ अटॉर्नी पर रोक लगाई गई है। पावर ऑफ अटॉर्नी पर रोक लगाए जाने के आदेश प्रमुख सचिव वीना कुमारी के द्वारा जारी किए गए हैं। लेकिन जैसे ही यह आदेश तहसील पहुंचे और तहसील बार एसोसिएशन एवं बैनामा लेखक आग बबूला हो गए और पूरा काम बंद कर धरने पर बैठ गए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि आज इस धरने को 11 दिन हो चुके हैं। लेकिन अभी तक इस पूरे मामले को लेकर किसी ने कोई संज्ञान नहीं लिया है। जबकि गौतम बुध नगर और गाजियाबाद की सभी तहसील बार एसोसिएशन एवं बैनामा लेखक एक मंच पर आ गए हैं और सभी तहसील में कामकाज पूरी तरह से ठप कर दिया गया है।आश्चर्य की बात यह है कि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा रिवेन्यू गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद से ही जाता है। यदि अकेले गाजियाबाद तहसील की बात की जाए तो करीब ₹5 करोड़ रुपये का राजस्व प्रतिदिन गाजियाबाद से सरकार को जाता है। यानी इसस साफ तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है।कि सरकार को राजस्व का प्रतिदिन कितना बड़ा नुकसान हो रहा है।

इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए तहसील बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि जिस तरह से एकाएक प्रदेश सरकार की प्रमुख सचिव रीना कुमारी ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए अधिवक्ताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की गई और पावर ऑफ अटॉर्नी पर रोक लगाई गई। वह पूरी तरह से गलत है और समस्त अधिवक्ता गण इस अभद्र टिप्पणी से बेहद आहत हुए हैं।उधर जनहित में होने वाले सम्पत्ति की खरीद फरोख्त के कार्य यानी पावर ऑफ अटॉर्नी पर जो रोक लगाई गई है। वह भी संविधान के खिलाफ है। जिसके कारण तमाम अधिवक्ता और बैनामा लेखक के साथ-साथ संपत्ति की खरीद-फरोख्त करने वाले लोग भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि आज 11 दिन बीत चुके हैं। उसके बावजूद भी इस तरफ किसी का कोई ध्यान नहीं गया है।उन्होंने बताया कि जब किसी ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया तो अब अधिवक्ताओं ने इस पूरे मामले को लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। जिसकी सुनवाई की तारीख 6 फरवरी नियत की गई है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से यह तुगलकी फरमान जारी हुआ है।यह पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है।इसलिए उच्च न्यायालय पर भी पूरी तरह से भरोसा है। कि इसे गंभीरता से लेते हुए इस तुगलकी फरमान को वापस किए जाने का फैसला सुनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक यह तुगलकी फरमान वापस नहीं होता तब तक सभी तहसीलों में धरना जारी रहेगा।

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