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आरोपी के कबूला जुर्म: कर्ज बहुत था, हत्या का कोई पछतावा नहीं
एनसीआर क्राइम न्यूज़: गाजियाबाद के मुरादनगर में एक करोड़ रुपये के लिए की गई पीएचडी के छात्र अंकित खोखर की हत्या के मुख्य आरोपी मकान मालिक उमेश शर्मा और उसके मौसेरे भाई प्रवेश को पुलिस ने बृहस्पतिवार दोपहर कोर्ट में पेश किया। दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। पुलिस गंगनहर और ईस्टर्न पेरिफेरेल एक्सप्रेसवे पर फेंके गए शव के टुकड़ों को नहीं ढूंढ पाई है। उमेश को रिमांड पर लेकर इन्हें बरामद करने का प्रयास किया जाएगा। उमेश ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उसने चार अक्तूबर मोदीनगर की गोविंदपुरी की दुकान से आरी, राजचौपला से टेप और पॉलिथीन खरीदी थी। उमेश का वजन काफी ज्यादा था, उसके लिए अकेले शव ठिकाने लगाना मुश्किल था। इसलिए, टुकड़े किए। पहले गर्दन काटी फिर दोनों हाथ अलग किए। इसके बाद धड़ के कुछ हिस्से सहित पैर काट दिए। कुल पांच टुकड़े हुए। हाथ और पैर को एक जगह जबकि धड़ और सिर को अलग-अलग पॉलिथीन में पैक किया।
मुझे कोई पछतावा नहीं: उमेश ने जेल जाने से पहले मोदीनगर थाने में मीडियाकर्मियों के सामने कहा कि उसे कोई पछतावा नहीं है। कर्ज बहुत हो गया था। उसने लोगों से 30 लाख से ज्यादा रुपये ले रखे थे। वे लोग उसे छोड़ते नहीं।
उनका पैसा लौटाने के लिए हत्या करनी पड़ी। अंकित की हत्या के बाद शव के टुकड़े फेंकने के लिए उमेश उसका ही मोबाइल फोन साथ में लेकर गया। उसने खुद का फोन नहीं रखा।
उसने पुलिस को बताया कि ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसे मालूम था कि पुलिस फोन को लोकेशन निकालेगी। ऐसे में पुलिस सोचती कि अंकित ही वहां से होकर गुजरा है।
अस्पताल में सीखा आरी चलाना: उमेश ने बताया कि वह दो साल पहले जब हड्डी रोग विशेषज्ञ के यहां कंपाउंडर था, तब प्लास्टर काटने का काम उसी के पास था। वह आरी से प्लास्टर काटता था। इसी से वह आरी चलाने में दक्ष हो गया। हत्या कर शव के टुकड़े करने के लिए उसके दिमाग में आरी ही आई। उसे डॉक्टर ने उसकी गलत आदतों के कारण नौकरी से निकाला था।