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दिल्ली-एनसीआर
झूठे केसों में फंसाए गए लोगों को मुआवजा देने की एक याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार
HARRY
18 Aug 2022 1:48 PM GMT
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को झूठे केसों में फंसाए गए लोगों को मुआवजा देने की एक याचिका पर अपना रुख स्पष्ट किया. कोर्ट ने इस तरह की व्यवस्थ बनाने के लिए आदेश देने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि इस विषय को सरकार को देखना चाहिए.
दरअसल, BJP नेता कपिल मिश्रा और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें उन्होंने कहा था कि झूठे आपराधिक केसों में फंसाए गए लोगों को मुआवजा देने की व्यवस्था होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट को इस संबंध में राज्य सरकारों को आदेश देना चाहिए. हालांकि, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का आदेश देने से मना कर दिया.
याचिका में 20 साल तक रेप के झूठे आरोप जेल में रहने वाले विष्णु तिवारी का उदाहरण भी दिया गया था. बता दें कि उत्तर प्रदेश के ललितपुर निवासी विष्णु तिवारी को हाई कोर्ट ने 20 साल बाद रेप और हरिजन एक्ट के मामले में निर्दोष साबित किया है. विष्णु तिवारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
विष्णु तिवारी पर जब हरिजन एक्ट और रेप का केस महरौनी कोतवाली में दर्ज किया गया था, तब वह मात्र 18 वर्ष के थे. सेशन कोर्ट ने पुलिस की विवेचना रिपोर्ट के आधार पर साल 2000 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. विष्णु तिवारी के घर में विष्णु समेत 5 भाई और उनके माता पिता थे. निर्दोष विष्णु के जेल जाने के बाद से उनका पूरा परिवार बर्बाद हो गया.
पिता रामेश्वर प्रसाद तिवारी सामाजिक रूप से तिरस्कार मिलने का सदमा झेल नहीं सके और उन्हें लकवा लग गया जिसके बाद उनकी मौत हो गई. पिता की मौत के बाद विष्णु के बड़े भाई दिनेश तिवारी की भी मौत हो गई. पांच भाइयों में दिनेश के बाद रामकिशोर तिवारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई. मां का भी निर्दोष विष्णु को याद करते-करते निधन हो गया. विष्णु के परिवार में चार लोगों की मौत पर उन्हें एक की भी अर्थी में आने के लिए बेल नहीं मिली.
जानकारी के मुताबिक, विष्णु तिवारी निर्दोष था सिर्फ गाय को बांधने के लिये रास्ते में जाते समय आपसी रंजिश की वजह से एक विवाद हो गया. उस पर हरिजन एक्ट के साथ रेप का भी केस दर्ज करा दिया गया था. बाद में हाई कोर्ट ने विष्णु को निर्दोष करार दिया.
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