- Home
- /
- दिल्ली-एनसीआर
- /
- आम आदमी पार्टी के लिए...
आम आदमी पार्टी के लिए खाली पड़े ख़जाने से निगम को चलाना बड़ी चुनौती
दिल्ली: तीन से एक हुई एमसीडी की सत्ता पर अब आम आदमी पार्टी का कब्जा है। अब नए नेतृत्व के पास खाली खजाने के साथ एमसीडी को बेहतर ढंग से चलाने की मुश्किल चुनौती भी है। मौजूदा समय में निगम के कुल बजट का करीब 72 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों के वेतन पर खर्च होता है। ऐसे में बचा हुआ 28 फीसदी बजट निगम के महत्वपूर्ण विकास कार्यों के लिए पर्याप्त नहीं है।
निगम में किसी भी नई पहल के लिए नए नेतृत्व को हर हाल में पहले अतिरिक्त बजट का इंतजाम करना पड़ेगा। निगम चुनाव में दिल्ली वासियों ने आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया है। अब दिल्ली में सही मायने में डबल इंजन की सरकार है। लिहाजा, अब आप के सामने स्वच्छता में सुधार, कूड़े के पहाड़ों को खत्म करना, निगम कर्मियों को हर माह नियमित तरीके से वेतन देना, सेवानिवृत्त कर्मियों को पेंशन, संविदा पर कार्यरत कर्मियों को नियमित करना, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना, अनधिकृत क्षेत्र में निर्मित मकानों को नियमित करने जैसी कई और भी महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं। चुनाव से पहले पार्टी ने दिल्ली वासियों से ये सारे काम करने के वादे किए थे, लेकिन इन कार्यों को उन्हें पूरा करने के लिए पहले निगम के बजट को बढ़ाना होगा।
अभी कहां से आता है एमसीडी का बजट: एमसीडी की आय का सबसे बड़ा स्रोत संपत्तिकर है। इसे जमा करने के साथ ही एमसीडी टोल टैक्स संग्रह करती है। आरपी सेल, विज्ञापन विभाग, फैक्ट्री लाइसेंसिंग विभाग, सेंट्रल लाइसेंसिंग विभाग, लैंड एंड स्टेट विभाग, पब्लिक हेल्थ लाइसेंसिंग विभाग और बिल्डिंग विभाग भी शुल्क के माध्यम से आय अर्जित करते हैं। एमसीडी अपने दो बड़े वेस्ट टू एनर्जी पार्कों से कुछ हद तक आय अर्जित करती है। एमसीडी को दिल्ली सरकार से सालाना ग्रांट के रूप में 4400 करोड़ रुपये मिलते हैं।
देश के तीन निगमों के खास आंकड़े:
बीएमसी : करीब सवा करोड़ की आबादी पर इस साल का बजट करीब 46000 करोड़ रुपये
इंदौर : करीब 20 लाख आबादी पर इस साल का बजट करीब 7262 करोड़ रुपये
एमसीडी : करीब दो करोड़ आबादी पर इस साल का बजट करीब 15276 करोड़ रुपये
सफाई के अलावा शिक्षा व स्वास्थ्य का भी जिम्मा:
दिल्ली का 97 फीसदी इलाका एमसीडी क्षेत्र में आता है। तीन फीसदी इलाका नई दिल्ली नगर पालिका परिषद और दिल्ली कन्टोनमेंट बोर्ड के अंतर्गत आता है। एमसीडी क्षेत्र की आबादी करीब दो करोड़ है। इस प्रकार दुनिया का सबसे बड़ा निगम है, जो शहर की सफाई के अलावा 1535 प्राइमरी स्कूल और 10 अस्पताल चलाता है। हजारों पार्कों का रखरखाव करता है। दिल्ली सरकार से ज्यादा सड़कें एमसीडी के पास हैं, जिनका रखरखाव, स्ट्रीट लाइटें लगाने की जिम्मेदारी इसी की है। इन पर खर्च करने के लिए निगम का मौजूदा बजट पर्याप्त नहीं है। एमसीडी सफाई कर्मचारियों के वेतन पर सर्वाधिक खर्च करती है, दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा स्कूल कर्मचारियों के वेतन व इनके रखरखाव पर खर्च होता है।
जरूरत के मुताबिक कम है एमसीडी का बजट: एकीकरण के बाद एमसीडी ने 2022-23 के लिए 15267 करोड़ रुपये का बजट जारी किया था। एमसीडी प्रशासन ने अलग वित्त वर्ष का बजट भी तैयार कर लिया है। इसे जल्द सार्वजनिक किया जाएगा। एमसीडी अधिकारियों के मुताबिक मौजूदा बजट पिछले बजट के आसपास ही है। सदन की पहली बैठक में एमसीडी का यह नया बजट आने की उम्मीद है। इसके बाद नया नेतृत्व इसमें फेरबदल कर सकता है।