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समरबूट कैंप में 11वीं-12वीं छात्रों ने बनाए 9 प्रोजेक्ट प्रोटोटाइप: आईआईटी दिल्ली
दिल्ली न्यूज़: पहाड़ों पर मौजूदा समय में ट्रेकिंग पर गए व्यक्ति के मोबाइल की बैटरी खत्म हो जाने पर, कोई एक्सीडेंट हो जाने पर, बर्फीला तूफान आने पर या भू स्खलन होने पर ट्रैक कर पाने में मशक्कत आती है। इसी परेशानी को मद्देनजर रखते हुए मानव स्थली स्कूल राजेंद्र नगर के नीतिश मनोचा और राजनिवास स्थित सेंट जेवियर्स स्कूल की छात्रा मृणालिनी सिंह ने एक ऐसी ट्रैकर्स सेफ्टी डिवाइस तैयार की है।
पहाड़ों पर बर्फीले तूफान या भू स्खलन में फंसे जवान को बचाएगा ट्रैकर: जो पहाड़ों पर बर्फीले तूफान, या भू स्खलन के बीच फंसे व्यक्ति को ट्रैक कर सकती है। इसके लिए ट्रैकिंग कर रहे व्यक्ति को छड़ी नुमा यह डिवाइस अपने साथ लेकर जाना होगा। डिवाइस सेना के जवानों और ट्रैकर्स के लिए बहुत मददगार हो सकती है। अभी बिना मोबाइल, इंटरनेट, बिना जीपीएस के लोकेशन भेज पाना संभव नहीं है। लेकिन ये डिवाइस एफ एम रेडियो की तरह 4 और 3 हट्र्ज फ्रीक्वेंसी पर काम करती है। और 700 किमी. तक रेंज ले सकती है। डिवाइस में दो बैटरी लगी हुई हैं। जो दो अन्य स्टोर बैटरी से बदली जा सकती हैं।
11वीं-12वीं के 30 बच्चों ने पूरी की समरबूट कैंप ट्रेनिंग: असि. प्रो. जय धारीवाल: दरअसल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी) दिल्ली द्वारा पिछले माह स्कूली छात्रों के लिए ग्रीष्मावकाश में चेंज डॉट मेकर्स समरबूट कैंप लगाया गया था। जिसमें देश के विभिन्न स्कूलों से आए 11-12वीं कक्षा के 30 बच्चों ने भाग लिया। इन बच्चों द्वारा एक माह में तैयार किए गए प्रोजेक्ट प्रोटोटाइप का शुक्रवार को संस्थान की केंद्रीय कार्यशाला में मेकर्सस्पेस कार्यक्रम में प्रदर्शन किया गया। संस्थान के डिजाइन विभाग के असि. प्रो. जय धारीवाल ने चेंज डॉट मेकर्स बूट कैंप में क्वार्डीनेटर की भूमिका निभाई। कैंप में छात्रों ने एक ऐसी चार्जेबल डिवाइस फिज डॉट आईओ तैयार की है।
इकशाना, जलटेच मोनवोट, एयरोवन, रोल इनफिनिटी जैसे प्रयोग रहे खास: जो आपकी फिजियो थैरेपिस्ट की जरूरत कम कर देगी। वहीं इकशाना डिवाइस दिव्यांगों के लिए उनके सामने रखे कागज में लिखे हुए टेक्स्ट को ब्रेल में कंवर्ट कर देती है। ताकि वह उसे स्पर्श के जरिए पढ़ पाएं। एक अन्य जलटेच प्रोजेक्ट में आरओ से निकले गंदे पानी को फिल्टर कर 6.5 से 7.5 पीएच (पौधों के योग्य) का बनाया जाता है। प्रदर्शनी में मोनवोट, एयरोवन, रोल इनफिनिटी जैसे प्रोटाइप भी प्रदर्शित किए गए।
इमरजेंसी मेडिकल चेयर भविष्य कारों-टैक्सियों को बना देगी मिनी एंबूलेंस: आईआईटी दिल्ली में 23 मई से आयोजित किए गए समरबूट कैंप में देवांश, योगेश, धर्मेंद्र ने एक ऐसी इमरजेंसी चेयर तैयार की है जो किसी भी कार, टैक्सी या ऑटो में लगाई जा सकती है। यह चेयर मरीज के लिए चारो तरफ घूम सकती है। इसके बेड बनाया जा सकता है। छात्रों ने कहा कि हम इस चेयर को लेकर कार कंपनियों से बात करेंगे, इसके बाद ओला उबर जैसी बड़ी टैक्सी कंपनियों से भी बात की जाएगी। ताकि जरूरत के समय कार-टैक्सी का इस्तेमाल मरीज को सही सलामत अस्पताल ले जाने के लिए किया जा सके।
ड्राइवर्स को सोने नहीं देगा अलार्म: मेकर्स स्पेस प्रदर्शनी में छात्रों ने एक ऐसा अलार्म तैयार किया है। जो ड्राइवर्स को वाहन चलाते समय सोने से रोकेगा। जैसी ही ड्राइवर को झपकी आएगी अलार्म बज उठेगा। ये डिवाइस बाल भारती स्कूल नोएडा के छात्र कुशाग्र पंत, समृद्धि बिष्ट और कालकाजी एसओईएस के जयंत चौहान ने तैयार किया है। जयंत ने कहा कि अभी ये टेक्नोलॉजी टेस्ला अपनी कारों में देता है। लेकिन आने वाले समय में हम कंपनियों से संपर्क कर इस टेक्नोलॉजी को मध्यम आय वर्ग के वाहन यूजर्स के लिए भी उपलब्ध कराना चाहेंगे। छात्र इस तकनीकि पर आगे भी काम कर रहे हैं। जिसमें एक्सीडेंट के हो जाने पर स्वत: मैसेज संबंधित क्षेत्र की अथॉरिटी को चला जाएगा। इसके अलावा अगर ड्राइवर सो जाता है मशीन अलार्म से नहीं उठता तो गाड़ी स्लो होकर अपना लेन बदल लेगी।