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राजधानी दिल्ली की 80 फीसदी इमारतें नहीं झेल सकतीं भूकंप के तेज झटके
दिल्ली: मंगलवार रात भूकंप के झटकों से दिल्ली-एनसीआर के लोग सहम गए थे। झटके के बाद ऊंची बिल्डिंगों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। जिन एजेंसियों पर बिल्डिंगों की जांच का जिम्मा है, उन एजेंसियों ने अभी करीब 30-40 लाख बिल्डिंगों में से सिर्फ 4655 बिल्डिंगों को जांच के लिए चिह्नित किया है। इनमें से भी सिर्फ 758 बिल्डिंगों का ही सेफ्टी ऑडिट हुआ है।
दिल्ली में 80 फीसदी इमारतें तेज झटके नहीं सह सकतीं: डीडीए के टाउन प्लैनर रहे ए.के. जैन के अनुसार एमसीडी हर साल खतरनाक बिल्डिंगों की जांच करती है। कुल 10 या 12 लाख बिल्डिंगों का ही सर्वे किया जाता है। जैन के अनुसार, जबकि दिल्ली में करीब 30-40 लाख बिल्डिंग्स हैं। इनमें से लगभग 80 प्रतिशत बिल्डिंग्स ऐसी हैं, जो भूकंप के तेज झटकों को सह नहीं सकतीं। भूकंप के लिहाज से दिल्ली सिस्मिक जोन-4 में पड़ता है, जो अतिसंवेदनशील कैटिगरी में आता है। ऐसे में एमसीडी या अन्य संबंधित एजेंसियों को हर बिल्डिंग का ही स्ट्रक्चर ऑडिट किया जाना चाहिए।
जांच के लिए सिर्फ 4655 बिल्डिंगों की पहचान: एमसीडी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले ढाई-तीन सालों में दिल्ली की लाखों बिल्डिंगों में से सिर्फ 4655 बिल्डिंगों को स्ट्रक्चरल सेफ्टी ऑडिट के लिए चिह्नित किया गया। सभी बिल्डिंग्स ओनर्स को स्ट्रक्चर सेफ्टी ऑडिट के लिए नोटिस जारी किया। लेकिन, सिर्फ 758 बिल्डिंगों का स्ट्रक्चर सेफ्टी ऑडिट कराया गया। इस दौरान एमसीडी ने 53 खतरनाक बिल्डिंगे गिरा दीं।