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तीसरी कक्षा के 62 फीसदी छात्र अंग्रेजी में रहे अव्वल
दिल्ली न्यूज़: दिल्ली के कक्षा तीन के 62 फीसदी बच्चे अंग्रेजी में अव्वल है जबकि राष्ट्रीय औसत 54 फीसदी है। हिंदी में 50 फीसदी ने तय मानक पूरे किए हैं। संख्यात्मक वर्ग में यह आंकड़ा 47 फीसदी है जबकि राष्ट्रीय औसत 52 फीसदी है। ये बच्चे ग्लोबल प्रोफिशिएंसी फ्रेमवर्क ( दुनिया भर में इस उम्र के सीखने, पढ़ने और बोलने की क्षमता ) के तय मानकों को पूरा करने में सक्षम रहे हैं।
यह खुलासा भारत सरकार की तरफ से कक्षा तीसरी में पढ़ने वाले बच्चों के शब्द और भाषा ज्ञान की समझ को परखने के लिए दुनिया के पहले बेंचमार्क बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सर्वेक्षण (फाउंडेशनल लर्निंग स्टडी)की रिपोर्ट में हुआ है। यह अध्ययन इसलिए अनूठा है, क्योंकि देश में पहली बार कक्षा तीन के मौखिक पढ़ने का प्रवाह हिंदी, अंग्रेजी समेत 20 भारतीय भाषाओं के लिए बेंचमार्क निर्धारित किया गया है। सर्वेक्षण में सामने आया कि 54 फीसदी बच्चों ने अंग्रेजी में अच्छा प्रदर्शन किया है,जबकि हिंदी में 46 फीसदी तो 52 फीसदी बच्चों को गणित का बेहतर ज्ञान है। अंग्रेजी में सबसे अच्छा प्रदर्शन हरियाणा और उत्तराखंड का 77 फीसदी रहा है। उत्तर प्रदेश के 52 फीसदी तो राजधानी दिल्ली में 62 फीसदी अव्वल हैं। सर्वेक्षण में 10 हजार स्कूलों के 86 हजार बच्चे शामिल थे।
शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत निपुण भारत में वर्ष 2026-27 तक कक्षा तीन के सभी बच्चों को मूलभूत कौशल प्राप्त करने में सक्षम बनाने का लक्ष्य रखा है। इसीलिए बुनियादी साक्षरता और संख्या की जांच करने के लिए कक्षा तीन के लर्निंग आउटकम पर आधारित सर्वेक्षण करवाया गया। बुनियादी साक्षरता में ओरल रीडिंग फ्रीक्वेंसी में बच्चे की एक मिनट में भाषा के शब्दों को समझकर पढ़ना सबसे प्रमुख था। इसके अलावा बच्चों के एक, दो या तीन वाक्यों को पढ़ने, ध्वनि आधारित शब्दों की समझ, अलग-अलग अक्षर व शब्दों की समझने, समेत चित्र के आधार पर बच्चों को सवालों के जवाब देने की क्षमता को परखा गया। वहीं, संख्या ज्ञान (न्यूमरेसी ) में एक से चार संख्या तक के नंबरों को समझ कर पहचानने, अलग-अलग संख्याओं के अंतर, जोड़ने और घटाने, अलग-अलग डेटा को समझकर प्रश्नों के उत्तर देने की क्षमता को जांचा गया।
सर्वेक्षण में शामिल भाषाएं: हिंदी, अंग्रेजी, नेपाली, मराठी, गुजराती, असमी, बांग्ला, पंजाबी, तमिल, तेलगू, कन्नड़, मलयालम, मणिपुरी, कोंकणी, उर्दू, बोडो,खासी, गारो, मिजो, ओड़िया भाषा में किया गया है।
चंडीगढ़ से बेहतर पंजाब के बच्चों की अंग्रेजी:
चंडीगढ़ से बेहतर पंजाब के बच्चों की अंग्रेजी में कमांड है। चंडीगढ़ के 42 फीसदी बच्चे तो पंजाब के 66 फीसदी बच्चे अंग्रेजी में अव्वल हैं। जबकि राष्ट्रीय औसत 54 फीसदी है। हिंदी में चंडीगढ़ के 55 फीसदी तो 61 फीसदी बच्चों ने बेहतर प्रदर्शन किया। गणित में चंडीगढ़ के 39 फीसदी तो पंजाब के 53 फीसदी बच्चे अव्वल हैं।
हिमाचल के बच्चों को हिंदी में दिक्कत: हिमाचल प्रदेश के 55 फीसदी बच्चों ने अंग्रेजी में अव्वल स्थान पाया है, लेकिन हिंदी भाषा में बेहद पीछे हैं। हिंदी में महज 27 फीसदी बच्चे ही बेहतर प्रदर्शन कर पाये हैं। जबकि हिंदी में राष्ट्रीय औसत 46 फीसदी है। संख्यात्मक यानी गणित में 59 फीसदी बच्चे अव्वल है। यहां राष्ट्रीय औसत 52 फीसदी है।
कमियों के आधार पर टीचर ट्रेनिंग: एनसीईआरटी ने बाकायदा राज्यों के साथ मिलकर टीचर ट्रेनिंग पर काम शुरू कर दिया है। तीसरी कक्षा के तय बेंचमार्क के आधार पर टीचरों को ट्रेनिंग मिलेगी, ताकि वे आगे बच्चों को जमा, घटाव, संख्या की पहचान, शब्दों, भाषा की पहचान करने में सक्षम बना सकें।