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दिल्ली-एनसीआर
मोटे मुनाफे का झांसा देकर ठगे 60 लाख रूपये, क्राइम ब्रांच ने जालसाजों को किया गिरफ्तार
Deepa Sahu
20 Nov 2021 6:08 PM GMT
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दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की क्राइम ब्रांच (Crime Branch) ने जालसाजों को गिरफ्तार किया है.
नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की क्राइम ब्रांच (Crime Branch) ने जालसाजों को गिरफ्तार किया है. एक जालसाज ने मोटा मुनाफा का लालच देकर 60 लाख रुपए की ठगी की है. इस मामले में पुलिस ने दो आरोपियों दीपक कुमार वर्मा और वीरेंद्र प्रसाद को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने इनके पास से 6 मोबाइल और 8 सिम कार्ड बरामद किए हैं. इसके अलावा उनके बैंक खाते भी फ्रीज किए गए हैं, जिनमें लगभग 14.50 लाख रुपए हैं.
डीसीपी मनोज. सी के मुताबिक चितरंजन पार्क थाना (CR Park Thana) इलाके में ठगी की एक एफआईआर (FIR)बीते दिनों दर्ज हुई थी. इसमें कारोबारी को मोटे मुनाफे का झांसा देकर 60 लाख रुपए ठगे गए थे. जीएसटी फीस, प्रोसेसिंग फीस, प्लान फीस, एनरोलमेंट फीस एवं अन्य चार्ज के नाम पर यह रकम ठगी गई थी. इसे ध्यान में रखते हुए क्राइम ब्रांच (Crime Branch)एसीपी मयंक बंसल की देखरेख में इंस्पेक्टर मनोज कुमार, एसआई राकेश मलिक एवं मनीष की टीम छानबीन कर रही थी. टेक्निकल सर्विलांस के जरिए इस गैंग के बारे में जानकारी जुटाई गई. इनके बैंक अकाउंट को भी खंगाला गया हैपुलिस टीम ने छानबीन के दौरान बिहार से वीरेंद्र को गिरफ्तार किया. वीरेंद्र ने पुलिस को बताया कि उसने अपना बैंक खाता 50 हजार रुपए में दीपक को किराए पर दिया था. इसके अलावा उसमें आने वाली राशि पर उसे कमीशन भी मिलती थी. इसके बाद छानबीन कर रही पुलिस टीम ने दीपक कुमार वर्मा को गिरफ्तार किया जो बिहार के नालंदा का रहने वाला है. फिलहाल वह पटना में रहता था.
दीपक ने पुलिस को बताया कि उसने एचडीएफसी बैंक के 7 खाते खोल रखे थे जिनमें ठगी की रकम को मंगाया गया. इसमें आने वाली रकम को वह एटीएम मशीन के जरिए निकाल लेता था. ठगी के बाद उसने सिम कार्ड और मोबाइल को नाले में फेंक दिया था. उसने पुलिस को बताया कि वह कम से कम 10 लाख रुपए उन लोगों से ठगता था जो उसकी स्कीम में पैसे लगाना चाहते थे.
जानकारी के मुताबिक वीरेंद्र प्रसाद झारखंड का रहने वाला है. वह ग्रेजुएट है और कई निजी बैंक में नौकरी कर चुका है. दूसरा आरोपी दीपक वर्मा नालंदा का रहने वाला है. उसने नालंदा यूनिवर्सिटी से बीएससी किया है. इसके बाद वह एक फर्जी आयुर्वेदिक संस्थान में काम करता था जहां पर दवा की जगह पाउडर को पैक किया जाता था. दवा देने के नाम पर वह लोगों से पहले ठगी करता था.
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