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2.5 प्रदूषण के कारण प्रति लाख जनसंख्या पर हुईं 106 मौतें

Admin4
18 Aug 2022 10:29 AM GMT
2.5 प्रदूषण के कारण प्रति लाख जनसंख्या पर हुईं 106 मौतें
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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

Delhi News : रिपोर्ट के अनुसार, पीएम 2.5 प्रदूषण के कारण 2019 में दिल्ली और कोलकाता में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 106 और 99 लोगों की मौत हो गई। 2019 में दिल्ली में ने 110 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की वार्षिक औसत पीएम 2.5 सांद्रता दर्ज की, जो दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में सबसे ज्यादा है।

दिल्ली की आबोहवा में पीएम 2.5 प्रदूषण का असर कितना खतरनाक हो चुका है, यह अमेरिकी हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में पता चलता है। रिपोर्ट के अनुसार, पीएम 2.5 प्रदूषण के कारण 2019 में दिल्ली और कोलकाता में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 106 और 99 लोगों की मौत हो गई।

2019 में दिल्ली में ने 110 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की वार्षिक औसत पीएम 2.5 सांद्रता दर्ज की, जो दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में सबसे ज्यादा है। इसके बाद कोलकाता 84 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ दूसरे स्थान पर है।

स्टेट ऑफ ग्लोबल एअर इनिशिएटिव द्वारा शहरों में वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य रिपोर्ट तैयार की गई है। रिपोर्ट 2010 से 2019 तक 7,239 शहरों (न्यूनतम आबादी 50 हजार) में वायु प्रदूषण जोखिम और संबंधित स्वास्थ्य प्रभावों पर आंकड़े प्रस्तुत करती है। एजेंसी

पीएम 2.5 से 1.7 मिलियन मौतें हुईं

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में 7,239 शहरों में पीएम 2.5 की वजह से 1.7 मिलियन मौतें हुईं, जिनमें एशिया, अफ्रीका और पूर्वी और मध्य यूरोप के शहरों में स्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा। बीजिंग में 2019 में पीएम 2.5 के उच्चतम स्तर के कारण मृत्यु दर 124 थी। रैंकिंग में दिल्ली और कोलकाता छठे व आठवें स्थान पर थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम 2.5 की वजह से मृत्यु दर में सबसे अधिक वृद्धि वाले सभी 20 शहर दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित हैं। इसमें इंडोनेशिया के 19 शहर और मलयेशिया का शहर शामिल हैं। इन 20 शहरों में पीएम 2.5 की मात्रा में 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा की वृद्धि हुई।

एनओ2 से 2.6 बिलियन लोग प्रभावित

रिपोर्ट में कहा गया है कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) प्रदूषण के भौगोलिक पैटर्न पीएम 2.5 प्रदूषण के लिए पैटर्न से अलग हैं। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 103 में से 81 शहरों (सबसे अधिक आबादी वाले) ने एनओ2 प्रदूषण की सूचना दी, जो वैश्विक औसत 15.5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक है। 2019 में, रिपोर्ट में शामिल 7239 शहरों में से 86 प्रतिशत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के दिशा-निर्देश को पार किया, जिससे 2.6 बिलियन लोग प्रभावित हुए।

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