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लद्दाख में तनाव के बीच कल होगी भारत-चीन के बीच 16वें दौर की वार्ता, डेमचोक के समाधान पर होगा जोर

Renuka Sahu
16 July 2022 1:32 AM GMT
लद्दाख में तनाव के बीच कल होगी भारत-चीन के बीच 16वें दौर की वार्ता, डेमचोक के समाधान पर होगा जोर
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पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर उत्पन्न गतिरोध के समाधान के लिए भारत और चीन के सैन्य कमांडरों की 16वें दौर की वार्ता 17 जुलाई को होगी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उत्पन्न गतिरोध के समाधान के लिए भारत और चीन के सैन्य कमांडरों की 16वें दौर की वार्ता 17 जुलाई को होगी। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि यह बातचीत एलएसी के भारतीय सीमा की तरफ होगी। दोनों देशों की सेनाओं के बीच 15वें दौर की उच्चस्तरीय वार्ता 11 मार्च को हुई थी।

भारत लगातार डेपसांग बुल्गे और डेमचोक में मुद्दों के समाधान के साथ ही विवाद वाले शेष सभी जगहों से जल्द सैनिकों को पीछे हटाने के लिए दबाव डाल रहा है। भारत का कहना है कि समग्र द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए सीमा पर शांति और धैर्य बनाए रखना पहली आवश्यक शर्त है।
एक सूत्र ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी से लगते इलाकों से सैनिकों के पीछे हटाने को लेकर जारी वार्ता के सिलसिले में 17 जुलाई को भारतीय सीमा के चुशूल-मोल्डो में 16वें दौर की बातचीत होगी। पिछले हफ्ते विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बाली में हुई बातचीत में पूर्वी लद्दाख से जुड़े विवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठा था। जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन से इतर बाली में एक घंटे की बैठक में जयशंकर ने यी को पूर्वी लद्दाख में सभी लंबित मुद्दों के शीघ्र समाधान की जरूरत बताई थी।
उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों देशों के बीच संबंध आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों पर आधारित होने चाहिए। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि टकराव वाले कुछ स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाए जाने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए शेष सभी क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तेजी लाने की आवश्यकता को दोहराया।
पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद 5 मई 2020 को भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद शुरू हुआ था। इसके बाद से दोनों देशों ने भारी भरकम हथियारों के साथ ही 50,000 से 60,000 सैनिकों की तैनाती की हुई है।
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