दिल्ली-एनसीआर

दिल्ली में 115 में से 113 प्रजातियां मिलीं, जैविक विविधता उद्धानों में तितलियों की 71 प्रजातियां

Shiddhant Shriwas
2 Nov 2021 2:38 AM GMT
दिल्ली में 115 में से 113 प्रजातियां मिलीं, जैविक विविधता उद्धानों में तितलियों की 71 प्रजातियां
x
दिल्ली में 115 तरह प्रजातियों की तितलियां पाई जाती हैं। मूल्याकंन में इस बार बेवन स्वीफ्ट प्रजाति की तितली मिली है।

दिल्ली के सात बॉयोडावसिर्टी पार्क में शोध कार्यों के मकसद से शुरू की गई तितलियों की गिनती से संकेत मिला है कि शिवालिक हिमालय की इंडियन कैबिज व्हाइट प्रजाति की तितली वाया सहारनपुर-शामली होकर दिल्ली पहुंचती है। अभी शामली तक ही पहुंचना हुआ है। पहाड़ों का तापमान कम होने के क्रम में यह दिल्ली पहुंच जाएगी। वहीं, करीब 920 हेक्टेयर में फैले बॉयोडावर्सिटी पार्क में तितलियों की 71 प्रजातियां मिली हैं। इनमें बेवन स्वीफ्ट प्रजाति की तितली दिल्ली में पहली बार दिखी है।

बायोडावर्सिटी पार्क की ओर 25 से 30 अक्तूबर के बीच तितलियों की गणना की गई। इसमें बॉयोडावर्सिटी पार्क के वैज्ञानिकों के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज व माता सुंदरी कॉलेज समेत दूसरे कॉलेजों के शिक्षकों व छात्रों ने हिस्सा लिया। इस दौरान दिल्ली में 71 तरह की तितलियों की प्रजातियां पाई गई हैं। सबसे अधिक 62 प्रजातियां अरावली और सबसे कम 17 प्रजातियां कालिंदी बायोडायवर्सिटी पार्क में मिली हैं।

पार्क के वैज्ञानिक डॉ. फैसल ने नेतृत्व में हुए मूल्यांकन में पाया गया कि अधिकतर तितलियां सुबह 10:30 बजे के बाद सक्रिय हुई, जब तापमान 24 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया था। दूसरी तरफ इस प्रक्रिया में हिंडन नदी घाटी के जिलों में गाजियाबाद, बागपत, शामली व सहारनपुर के लोगों ने भी शिरकत की। यमुना बॉयोडावर्सिटी पार्क के वैज्ञानिक इंचार्ज फैयाज खुदसर ने बताया कि गणना से शिवालिक हिमालय पर्वत शृंखला से दिल्ली पहुंचने वाली तितली के रास्ता भी पता चला है। यह सहारनपुर-शामली होकर समूह में दिल्ली पहुंचती है। उस इलाके का तापमान अभी इतना है कि इंडियन कैबिज व्हाइट वहां रुकी हुई है।

दिल्ली में अब तक 115 में से 113 प्रजातियां मिलीं

दिल्ली में 115 तरह प्रजातियों की तितलियां पाई जाती हैं। मूल्याकंन में इस बार बेवन स्वीफ्ट प्रजाति की तितली मिली है। बायोडायवर्सिटी पार्क के वैज्ञानिकों का कहना है कि आगे भी समय-समय पर इस तरह से पक्षियों, स्तनधारियों एवं पौधे में फूलों का हर साल मूल्यांकन किया जाएगा। आने वाले समय में इस डाटा का इस्तेमाल जलवायु परिवर्तन एवं उससे उत्पन्न जैविक दबाव के लिए हो सकेगा।

Next Story