- Home
- /
- दिल्ली-एनसीआर
- /
- एनजीओ पर 10 लाख...
एनजीओ पर 10 लाख जुर्माना, 30 दिन में कराना होगा जमा बिल्डरों को ब्लैकमेल करने वाले

न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
Delhi News : अदालत ने दायर जनहित याचिका खारिज करते हुए याची एनजीओ न्यू राइज फाउंडेशन रेग चैरिटेबल ट्रस्ट पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने जुर्माना राशि 30 दिन के भीतर आर्मी वार विडो फंड में जमा करने का निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय ने अवैध निर्माण के नाम पर बिल्डरों को ब्लैकमेल करने के लिए जनहित याचिका दायर करने के रवैये को गंभीरता से लिया है। अदालत ने दायर जनहित याचिका खारिज करते हुए याची एनजीओ न्यू राइज फाउंडेशन रेग चैरिटेबल ट्रस्ट पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने जुर्माना राशि 30 दिन के भीतर आर्मी वार विडो फंड में जमा करने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि याची ने पहले भी इसी तरह की याचिका दायर की थी। पीठ ने कहा कि एनजीओ का रवैया उचित नहीं है और उसने बिना रुचि के याचिका दायर नहीं की। याचिका कुछ और नहीं बल्कि जनहित याचिका के सिद्धांत का सरासर दुरुपयोग है।
एनजीओ ने नेब सराय में बिल्डिंग अनधिकृत बनाने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की थी। याची ने कहा कि उसने नगर निगम को कई बार शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। निगम के वकील ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता एनजीओ बिल्डरों और अन्य लोगों को ब्लैकमेल करने के मामलों में शामिल हैं। उन्होंने कहा, वर्तमान वकील के जरिये ही याचिकाकर्ता ने पहले भी एक अन्य बिल्डर के खिलाफ इसी प्रकार की याचिका दायर की थी। 2 जून को सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिका खारिज करते हुए जुर्माना लगाने की चेतावनी दी तो याची ने अपनी याचिका वापस ले ली थी।
सुप्रीम कोर्ट के जनता दल बनाम एचएस चौधरी के फैसले का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि जनहित याचिका के नए विकसित सिद्धांत के माध्यम से अदालत का दरवाजा खटखटाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
सरकार के निर्णय में हस्तक्षेप का आधार नहीं : हाईकोर्ट
उच्च न्यायालय ने स्कूलों से दिल्ली परिवहन निगम बस सेवाओं को वापस लेने के सरकार के फैसले पर पुनर्विचार की मांग संबंधी याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि सरकार के निर्णय में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों से डीटीसी बसों को वापस लेने के फैसले का न केवल माता-पिता और छात्रों पर बल्कि हर दिल्लीवासी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि यह निर्णय स्वच्छ वातावरण के अधिकार को प्रभावित करता है। याचिकाकर्ता बाबा अलेक्जेंडर ने कहा कि माता-पिता होने के नाते वह उन सभी अभिभावकों के लिए बहुत चिंतित हैं, जिनके बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं और डीटीसी के स्कूलों के लिए अपनी बस सेवाओं को वापस लेने के फैसले से प्रभावित हैं।
कोरोनिल दवा पर जवाब से अदालत असंतुष्ट
उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कोरोना के लिए कोरोनिल के उपयोग पर दायर मुकदमे में पतंजलि के जवाब पर असंतुष्टि जताई है। अदालत ने उचित और स्वीकार्य स्पष्टीकरण देने के लिए समय दिया है। याची ने कोरोना के इलाज के लिए एलोपैथी दवा के संबंध में गलत सूचना फैलाने और पतंजलि उत्पाद के इलाज के निराधार दावे करने का आरोप लगाया है। न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने कहा कि वह पतंजिल द्वारा दिए गए वर्तमान स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं है। यह जवाब मात्र अपनी पीठ थपथपाने जैसा प्रतीत होता है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 17 अगस्त तय की है। ब्यूरो
