COVID-19

दिल्ली में युवाओं का वैक्सीनेशन हुआ बन्द, 18-44 साल के लोगों के लिए कोवैक्सीन का स्टॉक हुए खत्म

Nilmani Pal
3 Jun 2021 6:25 PM GMT
दिल्ली में युवाओं का वैक्सीनेशन हुआ बन्द, 18-44 साल के लोगों के लिए कोवैक्सीन का स्टॉक हुए खत्म
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जिन युवाओं ने वैक्सीन की पहली डोज़ लगवा ली है अब उन्हें डर सता रहा है कि उन्हें दूसरे डोज़ तय समय मे मिल पाएगी या नहीं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश भर में कोरोना वैक्सीन की किल्लत के बीच राजधानी दिल्ली में युवाओं का वैक्सीनेशन बन्द हो गया है. 10 दिन से ज़्यादा का वक्त बीत चुका है 18-44 साल के लोगों के लिए कोवैक्सीन का स्टॉक खत्म हुए. फिलहाल कोवैक्सीन और कोवीशील्ड दोनों के ही सभी सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर्स बन्द पड़े हैं. लेकिन अब ज़्यादा मुसीबत उन लोगों के लिए भी है जिनकी वैक्सीन की दूसरी डोज़ लगवाने का समय आ गया है.


1 मई से सरकार ने 18-44 साल के लोगों का टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया था. दिल्ली में 18-44 साल के लोगों के टीकाकरण के लिए सरकारी स्कूलों में 350 से ज़्यादा वैक्सीनेशन सेंटर्स बनाये गए थे. लेकिन फिलहाल ये सभी सेंटर्स बन्द पड़े हैं और युवाओं के पास विकल्प है प्राइवेट सेंटर्स पर पैसे देकर वैक्सीन लगवाने का. इसमें भी सबसे ज़्यादा दिक्कत है कोवैक्सीन की. दिल्ली सरकार के पास कोवैक्सीन का स्टॉक काफी पहले ही खत्म हो गया था.

आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली सरकार को 18-44 साल के लोगों के लिए कोवैक्सीन की कुल 1,50,000 डोज़ मिली थीं जिसमें से 1,48,880 डोज़ मई के महीने में ही लगा दी गई थीं. वहीं 31 मई तक कोवीशील्ड की 6,67,690 डोज़ दिल्ली सरकार को मिली थीं जिनमें से 6,65,800 डोज़ मई के महीने में लगा दी गईं थीं. फिलहाल युवाओं के लिये बनी सभी सरकारी वैक्सीनेशन साइट को वैक्सीन न होने के चलते बन्द कर दिया गया है.

दूसरी डोज़ लगने में देरी भी हो जाये तो चिंता की बात नहीं- विशेषज्ञ
जिन युवाओं ने वैक्सीन की पहली डोज़ लगवा ली है अब उन्हें डर सता रहा है कि उन्हें दूसरे डोज़ तय समय मे मिल पाएगी या नहीं. 18 साल के शिवेंद्र ने मई के पहले हफ्ते में पूर्वी दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में वैक्सीन की पहली डोज़ लगवाई थी अब उनकी दूसरी डोज़ का समय आ गया है लेकिन स्लॉट की संख्या कोविन एप पर शून्य है. शिवेंद्र का कहना है कि जब 18 साल से अधिक आयु के लोगों का रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ था उन्होंने तब ही खुद को रजिस्टर करवा लिया था फिर उसके बाद स्लॉट मिलने में बहुत मुश्किल आई थी. तब कम से कम स्लॉट मिल तो गया था अब तो स्लॉट ही नहीं हैं और अब इस बात की चिंता है कि 28-42 दिन का जो तय समय है दूसरी डोज़ का वो कहीं वो निकल न जाये और वैक्सीन ही न मिल पाए.


22 साल के निमेश बताते हैं कि 7 मई को उन्होंने कोवैक्सीन का पहला डोज़ लिया था जिसके बाद उन्हें मैसेज आया कि वो दूसरी डोज़ के लिए अब स्लॉट बुक कर सकते हैं. लेकिन अभी उन्हें कोविन एप में कोई वैक्सीनेशन सेंटर उपलब्ध नहीं दिख रहा है. निमेश को उम्मीद है कि दिल्ली में जल्द वैक्सीन की समस्या हल होगी.

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है की वैक्सीन की दूसरी डोज़ लगने में देरी भी हो जाये तो चिंता की बात नहीं है. लैंसेट कमीशन कोविड इंडिया टास्क फोर्स की सदस्य डॉ सुनीला गर्ग के मुताबिक अगर वैक्सीन की डोज़ उस तय पीरियड में नहीं मिल पाती है जिसमें कि दी जानी है हफ्ते या महीने की देरी हो जाती है तो इसमे कोई घबराने वाली बात नहीं है. मूल सिद्धांत याद रखना चाहिए कि वैक्सीन प्रोग्राम को कभी भी दोबारा नहीं शुरू किया जाता उसको हम आगे जारी रखते हैं. और देरी से वैक्सीन की प्रभावशीलता और इम्यून रिस्पांस पर कोई फर्क नहीं पड़ता. पहला डोज़ मिलने के बाद इम्यून सिस्टम पहले ही प्राइम हो जाता है दूसरी डोज़ से इम्युनिटी बढ़ेगी और मेमोरी सेल उसे याद रखेंगे. सबसे प्रभावी सोशल वैक्सीन मास्क है. ये थोड़े समय की बात है कि वैक्सीन की अभी दिक्कत है. जून के बाद से बहुत सारी डोज़ आने वाली हैं. ये सोचना ठीक नहीं है कि हमें वैक्सीन ही नहीं मिलेगी.

प्राइवेट अस्पतालों को वैक्सीन मिलने पर भी दिल्ली सरकार ने सवाल उठाए
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने 18-44 साल के लोगों का वैक्सीनेशन लंबे समय से बन्द होने पर कहा कि वैक्सीनेशन इसलिये बन्द पड़ा है क्योंकि केंद्र ने पहले कहा था कि तेज़ी से वैक्सीन मिलेगी. वैक्सीन जैसे ही मिलेगी लगा देंगे. केंद्र ने शेड्यूल बना कर जो दिया था इसीलिए लगाई जा रही थी. पहले फर्स्ट डोज़ के लग गए अगर सप्लाई आ रही होती तो फर्स्ट डोज़ बन्द करके सेकंड डोज़ लगाना शुरू कर देते. ये अचानक बदला गया जून के लिए. मई में वैक्सीन मिली थी और जून में बिल्कुल ही कम कर दी गई. जल्द से जल्द कोशिश कर रहे हैं जिनकी दूसरी डोज़ लगनी है उनको लगवाने की, सबको लग जानी चाहिये.

प्राइवेट अस्पतालों को वैक्सीन मिलने पर भी दिल्ली सरकार ने सवाल उठाए हैं. स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि केंद्र सरकार ने ऐसी व्यवस्था बनाई है कि जो भी प्रोडक्शन होगा उसका 50% केंद्र को मिलेगा, 25% राज्य सरकार को और 25% प्राइवेट को मिलेगा. इसे सोचने की आवश्यकता है कि अगर राज्य सरकार वैक्सीन लेने को तैयार हैं तो राज्यों को देनी चाहिए. वैक्सीन के जो रेट फिक्स किये जाते हैं वो भी केंद्र सरकार कर रही है, कितना ले सकते हैं वो भी केंद्र सरकार कर रही है. सारा नियंत्रण केंद्र के पास है अभी.


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