COVID-19

कोरोना पर नई स्टडी, कई महीनों के बाद भी वायरस से हो सकती है मौत, पढ़े पूरी रिपोर्ट

jantaserishta.com
1 May 2021 3:31 AM GMT
कोरोना पर नई स्टडी, कई महीनों के बाद भी वायरस से हो सकती है मौत, पढ़े पूरी रिपोर्ट
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कोरोना के ज्यादातर मरीज हल्के लक्षण वाले हैं जो होम आइसोलेशन में आसानी से ठीक हो रहे हैं. कुछ लोगों में कोरोना के लक्षण लंबे समय तक रह जाते हैं और इन लोगों में कोरोना से ठीक होने के बाद भी मौत का खतरा ज्यादा होता है. ये बात ब्रिटिश पत्रिका 'नेचर' में छपी स्टडी में कही गई है. इसके अलावा CDC द्वारा जारी एक दूसरी स्टडी में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि COVID-19 के हल्के लक्षण वाले मरीजों में कुछ महीनों के बाद भी नए लक्षण पाए जा रहे हैं.

नेचर में छपी इस स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने डेटाबेस से 87,000 से ज्यादा कोरोना मरीजों और लगभग 50 लाख सामान्य मरीजों की जांच की. उन्होंने पाया कि कोरोना से संक्रमित ना होने वालों की तुलना में COVID-19 के मरीजों में संक्रमण के बाद 6 महीने तक मौत का खतरा का 59% से भी ज्यादा था.
स्टडी के नतीजों से पता चला कि 6 महीनों में हर 1000 में से लगभग 8 मरीजों की मौत लंबे समय तक रहने वाले कोरोना के लक्षणों की वजह से हो जाती है और इन मौतों को कोरोना से जोड़ कर नहीं देखा जाता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि 6 महीनों में हर 1,000 मरीजो में 29 से अधिक मौतें ऐसी हुईं जिसमें मरीज 30 से अधिक दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे थे.
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जहां तक महामारी से मरने वालों की बात है, ये निष्कर्ष बताता है कि वायरस से संक्रमित होने के तुरंत बाद हो रही मौतें बस ऊपरी संख्या है. स्टडी के अनुसार जिन लोगों में कोरोना के लक्षण लंबे समय तक रहते हैं, उनमें सांस की दिक्कत के अलावा भी बीमार होने की संभावना और बढ़ जाती है.
मरीजों में आगे चलकर स्ट्रोक, नर्वस सिस्टम की बीमारी, डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारी, डायबिटीज की शुरूआत, दिल संबंधी बीमारी, डायरिया, पाचन शक्ति खराब हो जाना, किडनी की बीमारी, ब्लड क्लॉट, जोड़ों में दर्द, बालों का झड़ना और थकान जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं.
स्टडी के अनुसार मरीजों को अक्सर एक साथ इनमें से कई चीजों की शिकायत हो सकती है. जिस व्यक्ति में COVID-19 जितना गंभीर होता है, उसे आगे चलकर सेहत संबंधी दिक्कत होने की ज्यादा संभावना रहती है.
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल के असिस्टेंट प्रोफेसर अल अली ने कहा, 'हमारे स्टडी से पता चलता है कि संक्रमण के पता लगने के 6 महीने बाद तक मौत का खतरा बना रहता है. यहां तक कि COVID-19 के हल्के मामलो में भी मौत का खतरा कम नहीं है. ये संक्रमण की गंभीरता के साथ बढ़ता जाता है. इस बीमारी का असर कई सालों तक बना रह सकता है.'
वहीं CDC ने भी हाल में अपनी नई स्टडी जारी की है जो COVID-19 के हल्के लक्षण वाले मरीजों पर है. स्टडी में पाया गया कि कोरोना के लगभग दो-तिहाई मरीजों ने 6 महीने के बाद किसी ना किसी नए लक्षणों की समस्या के साथ वापस डॉक्टरों से संपर्क किया. CDC की ये स्टडी 3,100 से भी ज्यादा लोगों पर की गई है.
स्टडी में पाया गया कि इनमें से कोई भी मरीज अपने शुरूआती संक्रमण में अस्पताल में भर्ती नहीं हुआ था. लगभग 70 फीसद लोगों ने हल्के संक्रमण से ठीक होने के 1 से 6 महीने के अंदर फिर से अपने डॉक्टर से संपर्क किया. लगभग 40 फीसद लोगों को तो किसी विशेषज्ञ से दिखाने की जरूरत पड़ गई.
स्टडी के लेखकों का कहना है कि डॉक्टरों को पता होना चाहिए कि उनके पास आने वाले मरीज ऐसे भी हो सकते हैं जो कोरोना से ठीक होने के बाद किसी नए लक्षण के साथ आए हों.
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