COVID-19

जानें महामारी को ख़त्म करने वाली कोरोना वैक्सीन किन-किन चीजों से बनाई जा रही

Gulabi
10 Dec 2020 3:43 PM GMT
जानें महामारी को ख़त्म करने वाली कोरोना वैक्सीन किन-किन चीजों से बनाई जा रही
x
वैक्सीन बनाने की अलग-अलग विधि

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना संक्रमण (coronavirus) को मात देने के लिए दुनिया के कई देशों में वैक्सीन (corona vaccine) पर काम हो रहा है. ब्रिटेन, कनाडा, रूस और सऊदी अरब जैसे देशों ने टीकाकरण (vaccination) का काम शुरू करने की अनुमति भी दे दी है. ब्रिटेन और रूस में कुछ दिन पहले से ही टीका दिया जा रहा है. कुछ टीके की कंपनियां ऐसी हैं जो इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अर्जी लगा चुकी हैं. कुछ टीके ऐसे हैं जो ह्यूमन ट्रायल के अंतिम फेज में हैं. टीके अलग-अलग तरीके से बनाए जा रहे हैं लेकिन सबका मकसद एक है- कोरोना संक्रमण को खत्म करना.


वैक्सीन बनाने की अलग-अलग विधि
कोरोना की वैक्सीन अलग-अलग तरीके के साथ ही अलग-अलग कॉम्पोनेंट्स से तैयार की जा रही हैं. बनाने की विधि देखें तो सभी वैक्सीन (vaccine) अलग-अलग प्रिंसिपल पर तैयार की जा रही है. कोई प्रोटीन (protein) का तत्व लेकर बनाई जा रही है तो कोई न्यक्लिक एसिड (nucleic acid) या स्पाइक प्रोटीन (spike protein) को लेकर बनाई जा रही है. हर एक को बनाने का तरीका अलग है. लेकिन अंतत: सभी का लक्ष्य कोरोना इंफेक्शन को रोकना है.


एंटीबॉडी बनने में कितना वक्त लगेगा
सवाल यह भी है कि वैक्सीन लगने के बाद शरीर में एंटीबॉडी (antibodies) बनने में कितना समय लगता है? वैक्सीन कंपनियों के अलग-अलग दावे हैं और कोई कंपनी 95 फीसद तो कोई 90 फीसद के आसपास प्रभावी बता रही है. लेकिन सच्चाई यह है कि वैक्सीन आने और उससे टीकाकरण के बाद ही सही बात का पता चल पाएगा.

वैक्सीन पर यह लिखा भी होगा कि वह कितना परसेंट प्रभावी है. अभी किसी भी वैक्सीन के बारे में निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि टीका लेने वाले व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी कब तक बनेंगे और एंटीबॉडी शरीर में कितने दिन तक रहेंगे. अभी तक यही माना जा रहा है कि निर्धारित दो डोज लेने के एक साल तक संक्रमण नहीं होगा.

किन्हें दी जाएगी वैक्सीन
एक सवाल यह भी है कि जो लोग स्वस्थ हैं, उन्हें कोरोना की वैक्सीन दी जाएगी या नहीं. इस बारे में दिल्ली स्थित लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ. एनएन माथुर का कहना है कि यह जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति को वैक्सीन मिले. अगर एक निश्चित संख्या में लोगों को वैक्सीन मिल जाती है, तो काम बन जाता है. उससे संक्रमण फैलने का तरीका कम हो जाता है.

चूंकि वैक्सीन के उत्पादन में समय लगेगा और एक साथ सभी को वैक्सीन देना संभव नहीं है, इसलिए प्राथमिकताएं निर्धारित की गई हैं. सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों को, वृद्ध लोगों को या फिर कोमोरबिडिटी के मरीजों को दी जाएगी.


Next Story