जानिए क्या होता है कोरोना का FELUDA टेस्ट, आखिर क्यों इसका नाम 'जासूस' के नाम पर दिया गया
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रिकॉर्ड 30 मिनट से भी कम समय में कोविड-19 की सटीक टेस्ट रिपोर्ट देने वाला फेलुदा टेस्ट जल्द ही भारत में भी शुरू हो सकता है. भारत में ड्रग रेगुलेटर ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इसे मंजूरी दी है. ये एक सस्ता पेपर-बेस्ड स्ट्रिप टेस्ट है. इसे काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) ने टाटा ग्रुप की रिसर्च टीम के साथ बनाया है.
इस टेस्ट का नाम फेलुदा रखा गया है. वैसे तो इसका पूरा नाम FELUDA यानी FNCAS9 Editor Linked Uniform Detection Assay है. लेकिन इसका नाम रखने के पीछे एक कहानी और है. वो ये है कि टेस्ट को तैयार करने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ. देबज्योति चक्रवर्ती और सौविक मैत्री ने इसका नामकरण किया है. देबज्योति चक्रवर्ती ने इस टेस्ट का नाम फिल्ममेकर सत्यजीत रे के काल्पनिक जासूसी चरित्र फेलुदा के नाम पर रखा है.
डॉ. देबज्योति चक्रबर्ती ने एक इंटरव्यू में बताया कि वे बंगाली लेखक सत्यजीत रे के फैन हैं. ये नाम उनकी पत्नी ने पहली बार सुझाया था. उपन्यासों में फेलुदा ने कई एडवेंचर किए हैं. पिछले दशकों में फेलुदा और उनके दो काल्पनिक साथी बंगाली साहित्य के प्रमुख किरदार बने रहे. वो देश के अलग अलग हिस्सों में केसों को सुलझाते थे. फेलुदा शातिर दिमाग के तौर पर पहचान रखते हैं जो हाजिरजवाब है और जल्द ही किसी भी अपराध को सुलझा लेते हैं. इसलिए उनके नाम पर इस टेस्ट का नाम रखा गया है.
क्या है फेलुदा कोविड-19 टेस्ट?
स्वदेशी CRISPI जीन-एडिटिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित है. ये तकनीक कोरोना वायरस SARS-CoV2 के जेनेटिक मटीरियल को पहचानने में मददगार है. ये टेस्ट Rt PCR टेस्ट जितना ही सटीक परिणाम देता है. पूरी दुनिया में अभी तक Rt PCR ही कोविड-19 के टेस्ट में कारगर माना जाता है. अब फेलुदा एक ऐसा विकल्प बनकर सामने आया है जो जल्दी नतीजे देने के साथ ही काफी सस्ता भी है.
CSIR ने भी कह दिया है कि ये टेस्ट कोरोना वायरस को पहचानने में 96% सेंसिटिव और 98% स्पेसिफिक है. ये वायरस डिटेक्शन में Cas9 प्रोटीन का इस्तेमाल करता है. CSIR रिसर्च टीम जीनोम डायग्नोस्टिक्स और थेरॉप्टिक्स के लिए सिकल सेल मिशन पर काम कर रही थी और इसी दौरान उन्हें नई टेस्ट किट बनाने की प्रेरणा मिली.
फेलुदा टेस्ट प्रेग्नेंसी स्ट्रिप टेस्ट की तरह से होता है. इसमें रोगी का सैंपल डालने पर इसका कलर बदल जाएगा. पैथ लैब में भी ये इस्तेमाल किया जा सकता है. डॉ. देबज्योति चक्रबर्ती के मुताबिक Cas9 प्रोटीन को बारकोड किया गया है ताकि वह मरीज के जेनेटिक मटीरियल में कोरोना वायरस सिक्वेंस का पता लगा सकें. इसके बाद Cas9-SARS-CoV2 कॉम्प्लेक्स को पेपर स्ट्रिप पर रखा जाता है, जहां दो लाइन (एक कंट्रोल, एक टेस्ट) बताती हैं कि मरीज कोरोना वायरस पॉजिटिव है या नहीं.
फेलुदा टेस्ट की लागत क्या है?
अगर लागत की बात करें तो ये टेस्ट महज 500 रुपये में हो जाएगा. वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट अभी भी 1,600 से 2,000 रुपए तक में होता है. वहीं एंटीबॉडी टेस्ट के रिजल्ट 20-30 मिनट में आते हैं और उस पर 500 से 600 रुपए का खर्च है. रैपिड एंटीजन टेस्ट किट 30 मिनट में पॉजिटिव या निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट देती है, उसकी लागत 450 रुपए है. इस तरह ये टेस्ट सटीक रिजल्ट कम समय और कम लागत में दे सकता है.