COVID-19

इस जगह खतरनाक स्तर में कोरोना का उधम, जानें संक्रमण बढ़ने का असली कारण

Gulabi
22 Jan 2021 3:46 PM GMT
इस जगह खतरनाक स्तर में कोरोना का उधम, जानें संक्रमण बढ़ने का असली कारण
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कोरोना के मामले में बद से बदतर है और इसका जवाब राज्य सरकार सहित केंद्र सरकार के लिए ढ़ूंढना मुश्किल हो रहा है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश में केरल राज्य की स्थिति कोरोना के मामले में बद से बदतर है और इसका जवाब राज्य सरकार सहित केंद्र सरकार के लिए ढ़ूंढना मुश्किल हो रहा है. दरअसल केरल वही राज्य है जहां कोरोना का पहला संक्रमण का केस मिला था लेकिन उस दरमियान राज्य में कोरोना को बेहतर कंट्रोल करने के लिए प्रदेश सरकार की खूब तारीफ हुई थी. केरल का बेहतर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर देश के सामने बेहतरीन उदाहरण की तरह पेश हो रहा था और वहां की सरकार इसका भरपूर क्रेडिट भी ले रही थी. लेकिन हाल के दिनों में सबसे ज्यादा एक्टिव केस की संख्या और मौत की संख्या में टॉप दो में आना दक्षिण भारत ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.


भारत सरकार द्वारा शुक्रवार को पेश किए गए नए आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा केस केरल में दर्ज हुए हैं और यह संख्या 6334 है. केरल की तुलना में तमिलनाडु और कर्नाटक में एक्टिव केस की संख्या 596 और 674 है. जाहिर है केरल में दक्षिण के आस-पास के राज्यों की तुलना में कहीं ज्यादा कोरोना से संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं. वहीं महाराष्ट्र केरल के बाद दूसरा राज्य है जहां पिछले 24 घंटे में 2886 केस सामने आए हैं.


वहीं गुरुवार के आंकड़ों पर ध्यान दें तो अकेले केरल में कोरोना के 40 फीसदी केस सामने आए हैं. केरल में कोरोना वायरस के कुल सक्रिय मरीजों की कुल संख्या, देश के सभी ऐक्टिव केसों की संख्या की करीब 40 फीसदी है. गुरुवार के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस के कुल 1 लाख 89 हजार 245 केस ऐक्टिव पाए गए जिनमें 69,695 ऐक्टिव मरीज सिर्फ केरल में मिले हैं. वहीं न्यू डेली डेथ के मामले में केरल की स्थिति महाराष्ट्र से अच्छी है. शुक्रवार का यह आंकड़ा महाराष्ट्र के लिए 52वां था जबकि केरल देश में डेली डेथ के मामलों में नंबर दो पर था और यहां मृतकों की संख्या पंद्रह बताई गई है. जाहिर है केरल में एक्टिव केस की संख्या अन्य राज्यों की तुलना में कहीं ज्यादा पाया जाना राज्य ही नहीं बल्कि देश के लिए परेशानी का कारण बन चुका है.

संक्रमण की असली वजह क्या है?
वंदे भारत मिशन के बाद मई महीने में लाखों यात्रियों के विदेश से लौटने के बाद केरल कोरोना कंट्रोल करने में विशेष सफलता हासिल करता नजर आया था. लेकिन अगस्त महीने के बाद ओणम पर्व, सीएम विजयन के खिलाफ आंदोलन और साल 2020 के लोकल इलेक्शन की वजह से कोरोना केस थमने की बजाय तेज गति से आगे बढ़ने लगा. आलम यह है कि पिछले कई सप्ताहों से कोरोना की रफ्तार अन्य राज्यों की तुलना में कई गुना ज्यादा है, इसलिए केंद्र सरकार की ओर से केरल में वहां की स्थिति भांपने के लिए और मदद पहुंचाने के लिए एक्सपर्ट्स की टीम भेजी गई थी.

केरल की सरकार अपनी पुख्ता तैयारियों का हवाला देती रही है. वहीं बेहतर तैयारियों के लिए खूब तारीफ बटोरने वाली केरल की स्वास्थ मंत्री के के शैलजा के मुताबिक राज्य की शुरुआती तैयारियों से हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया गया जिससे केस का पीक आने में देर हुई. इतना ही नहीं केरल की स्वास्थ्य मंत्री केरल में मृत्यु दर की भारी कमी को राज्य की सफलता के रूप में गिनाने से परहेज नहीं करती हैं. जबकि राज्य में कोरोना की वजह से हुई कई मौतों पर पर्दा डालने को लेकर आरोप लगते रहे हैं.

क्यों बढ़ रहे हैं मामले
विशेषज्ञों के मुताबिक, शुरुआती दौर में केरल ने कोरोना रोकने में अच्छी सफलता हासिल की. लेकिन उसके लंबे प्रकोप की वजह से स्वास्थ्य विभाग का पूरा अमला थकने लगा, इसलिए प्राइमरी और सेकेंड्री ट्रेसिंग की कमी की वजह से संक्रमण की रफ्तार बढ़ने लगी है. केरल के एक सरकारी डॉक्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पहले संक्रमित लोगों की संख्या असंक्रमित लोगों से कम थी लेकिन अब यह संख्या बढ़ने लगी है जो देश के अन्य राज्यों में अक्टूबर और नवंबर महीने में थी.

वहीं एक आईएएस अधिकारी कहते हैं कि केरल की जनसंख्या का घनत्व (population Density) दक्षिण के कई राज्यों की तुलना में कहीं ज्यादा है. यहां गांव के बीच की दूरियां काफी कम हैं, वहीं तमिलनाडु जैसे राज्य में दो गांव के बीच की दूरियां दो से तीन किलोमीटर कम से कम होती हैं. लेकिन पिछले दिनों स्वास्थ्य सचिव भारत सरकार ने कम हो रही टेस्ट को लेकर चिंता जताई थी. वहीं कई विशेषज्ञ कोरोना प्रोटोकॉल नहीं पालन करने को लेकर राज्य की बदतर स्थिति का हवाला दे रहे हैं.

ताजा स्थिति चिंताजनक
पिछले तीन दिनों की स्थिति पर गौर फरमाएं तो शुक्रवार को कोरोना के डेली एक्टिव केस के मामले राज्य में 6753 दर्ज किए गए हैं जो शुक्रवार सुबह तक 6334 थे. जाहिर है सुबह का आंकड़ा केरल राज्य का गुरुवार का आंकड़ा होगा. वहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा पेश किया गया गुरुवार का आंकड़ा (जो राज्य की कहानी बुधवार की बता रहा है) देश के 40 फीसदी एक्टिव केस की संख्या केरल में बता रहा है. ज़ाहिर है हाल के आंकड़े चिंताजनक हैं क्योंकि राज्य में एक्टिव केस की संख्या 70 हजार के पार जा चुकी है. ऐसे में कोरोना के लिए लगाई जा रही वैक्सीन के अलावा राज्य में कोरोना के लिए बताए गए प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करना नितांत आवश्यक हो गया है. वहीं केरल राज्य को ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करा कर फौरन काबू पाने के लिए खासी मशक्कत भी करनी पड़ेगी.


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