ओडिशा विधानसभा के पूर्व स्पीकर और प्रख्यात लेखक शरत कुमार कर का 81 वर्ष की उम्र में सोमवार को भुवनेश्वर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. बताया जा रहा है कि वह कोरोना से संक्रमित थे और उनका इलाज चल रहा था. उनके पोते अंशुमान कर ने उनके निधन की पुष्टि ट्विटर पर की. उन्होंने यह बताया कि उनके दादा एक योद्धा की तरह लड़े. 5 सितंबर 1939 को ओडिशा के कटक जिले में शरत का जन्म हुआ था. 1964 में प्रतिष्ठित इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में उन्होंने मास्टर्स की डिग्री हासिल की और वह राजनीति में शामिल हुए.
महांगा सीट से वह तीन बार ओडिशा विधानसभा में पहुंचे. पहली बार उन्हें 1971 में, दूसरी बार 1990 में और तीसरी बार 2000 में जीत हासिल हुई. ओडिशा के राजनीतिक इतिहास में वह सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री थे. उन्होंने 1977 में कांग्रेस के दिग्गज नेता और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जेबी पटनायक को लोकसभा चुनाव में हराया था. वह जनता पार्टी (लोकदल) के सांसद चुने गए.
शरत ने चार काव्य पुस्तकें (द्रुत बिलम्बिता, मंथन, रोमान्तन और अनन्या), एक लंबी कथा (समयात्र जेते धू), एक आध्यात्मिक पुस्तक लिखी. उन्होंने ओडिया में साहित्यिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और राजनीतिक विषयों पर समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में सैकड़ों लेख लिखे हैं.