COVID-19

कोवीशील्ड वैक्सीन के डोज लगने के बाद भी 85 स्वास्थ्यकर्मी हुये संक्रमित, जिनमें से 60 को दोनों डोज लगी थी व 20 को दी गई थी एक ही डोज

Ritisha Jaiswal
26 May 2021 4:59 PM GMT
कोवीशील्ड वैक्सीन के डोज लगने के बाद भी 85 स्वास्थ्यकर्मी हुये संक्रमित, जिनमें से 60 को दोनों डोज लगी थी व 20 को दी गई थी एक ही डोज
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रिसर्च के दौरान वैक्सीन लगने के बाद 97.3 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमण नहीं हुआ

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैक्सीन लगने के बाद कोविड संक्रमण होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। यह बात अपोलो हॉस्पिटल की रिसर्च में सामने आई है। रिसर्च के मुताबिक, हॉस्पिटल के 3,235 स्वास्थ्यकर्मियों को कोवीशील्ड वैक्सीन के डोज दिए गए। इनमें से मात्र 85 स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगने के बाद संक्रमण हुआ। संक्रमित होने वाले 85 स्वास्थ्यकर्मियों में से 60 को वैक्सीन की दोनों डोज लगी थी और 20 को एक ही डोज दी गई थी। संक्रमित कर्मियों में महिलाओं की संख्या अधिक थी।


कोविड का टीका लगने के बाद 97% लोग सुरक्षित
सीनियर गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. अनुपम सिब्बल ने बताया, जब वैक्सीन लगने के बाद कोरोना का संक्रमण होता है तो इसे बीटीआई यानी ब्रेक-थ्रू इंफेक्शन कहते हैं। हमारी रिसर्च के मुताबिक, कोविड-19 का टीका 100 फीसदी इम्यूनिटी नहीं देता लेकिन संक्रमण होने पर यह हालत को गंभीर होने से रोकता है।

रिसर्च के दौरान वैक्सीन लगने के बाद 97.3 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमण नहीं हुआ। जिस लोगों में ब्रेक-थ्रू इंफेक्शन हुआ उनमें से मात्र 0.06 फीसदी को ही हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा।

वैक्सीन लगने के बाद संक्रमण क्यों होता है
डॉ. अनुपम कहते हैं, रिसर्च से यह भी पता चला है कि बीटीआई बहुत कम संख्या में होता है। यह गंभीर संक्रमण नहीं होता। ऐसे मामलों में आईसीयू में भर्ती या मरीजों की मौत नहीं होती। इसलिए टीकाकरण बेहद जरूरी है। हड्डी रोग विशेषज्ञ और शोधकर्ता डॉ. राजू वैश्य कहते हैं, ऐसे कई कारण हैं जो बीटीआई के लिए जिम्मेदार है। इनमें वैक्सीन और इंसान का बिहेवियर शामिल है।

डॉ. राजू के मुताबिक, कोविड वैक्सीन लगने के बाद शरीर में इम्यूनिटी विकसित होने में समय लगता है। टीके की दूसरी खुराक के करीब 2 हफ्ते बाद ही इम्यूनिटी विकसित हो पाती है। इस दौरान अगर सावधानी नहीं बरती जाती है तो बीटीआई हो सकता है।

खतरनाक स्ट्रेन का संक्रमण हुआ लेकिन जानलेवा नहीं रहा
डॉ. अनुपम सिब्बल के मुताबिक, जो 69 लोग संक्रमित हुए उनसे से 51 को टीके की दोनों डोज दी जा चुकी थी। वहीं, अन्य 18 को एक ही टीका लगा था। यह रिसर्च के परिणाम इसलिए अहम हैं क्योंकि आधे से अधिक लोगों में कोरोना के उस स्ट्रेन (b1.617.2) का संक्रमण हुआ जो अधिक तेजी से फैलता है और बीमारी को गंभीर बनाता है। इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न नाम दिया है।


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