COVID-19

COVID-19: पश्चिम बंगाल में कोरोना के 4.66 लाख केस, 8,000 से ज्यादा लोगों की हुई मौत

Nilmani Pal
28 Nov 2020 11:47 AM GMT
COVID-19: पश्चिम बंगाल में कोरोना के 4.66 लाख केस, 8,000 से ज्यादा लोगों की हुई मौत
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देश में हर 20 मौतों में से एक मौत पश्चिम बंगाल में दर्ज हुई है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना महामारी ने पश्चिम बंगाल को बुरी तरह प्रभावित किया है. भारत के सबसे घनी आबादी वाले राज्यों में शुमार पश्चिम बंगाल में सिर्फ तीन महीनों में तीन गुना ज्यादा मौतें हुई हैं. देश में हर 20 मौतों में से एक मौत पश्चिम बंगाल में दर्ज हुई है. 26 नवंबर तक राज्य में कोरोना वायरस के 4.66 लाख केस दर्ज हुए हैं और 8,000 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. लेकिन, दिल्ली और केरल में कोरोना केसों में वृद्धि के बीच पश्चिम बंगाल में हाई केसलोड और मृत्यु दर पर शायद ही किसी का ध्यान है.

राज्य ने 26 नवंबर तक करीब 57 लाख लोगों का टेस्ट किया जिसमें से 4.7 लाख से ज्यादा केस कन्फर्म हुए. लेकिन ऊंची केस मृत्यु दर (CFR) और प्रति लाख आबादी के अनुपात में हो रहीं ज्यादा मौतें बंगाल की सबसे बड़ी चुनौती हैं.
सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके
पश्चिम बंगाल में 1.75% के साथ देश में पांचवीं सबसे ऊंची केस मृत्यु दर (कोरोना केसेज के अनुपात में मौतें) दर्ज की गई है और हावड़ा जिले में मृत्यु दर 3% दर्ज हुई है. इस दौरान 26 नवंबर तक मौतों का राष्ट्रीय औसत करीब 1.46% रहा.
किसी बीमारी में कुल कन्फर्म केस और मौतों के अनुपात को केस फैटलिटी रेट (CFR) कहते हैं. सीएफआर एक गतिशील पैमाना है और यह समय के साथ बदल सकता है, खासकर टेस्ट के घटने या बढ़ने के साथ. हालांकि, एक निश्चित अवधि के दौरान इसकी मदद से बीमारी की गंभीरता का पता चलता है.
हावड़ा के एक स्थानीय डॉक्टर ने इंडिया टुडे को बताया कि केस मृत्यु दर ऊंची होने की वजह दो वजहें हैं. एक तो जनसंख्या का घनत्व ज्यादा है और दूसरे यहां की जनसंख्या में बुजुर्गों का अनुपात ज्यादा है.
डॉ प्रदीप कुमार राय ने इंडिया टुडे को बताया, "हावड़ा की आबादी बहुत ही सघन है और अधिकांश आबादी बुजुर्गों की है. यह ऊंची मृत्यु दर की एक वजह हो सकती है. हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारी इसका मुख्य कारण जानने की कोशिश कर रहे हैं."
26 नवंबर को जारी पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, राज्य में कोरोना वायरस से मरने वाले 8,224 लोगों में से करीब 17 प्रतिशत की उम्र 60 साल से ज्यादा थी.
राज्य सरकार की रिपोर्ट ये भी कहती है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में मृत्यु दर ज्यादा है. पुरुषों में मृत्यु दर करीब दो प्रतिशत है, जबकि महिलाओं में यह 1.34 प्रतिशत है.
आंकड़े दिखाते हैं कि ज्यादातर पीड़ितों में पहले से कोई न कोई बीमारी जैसे- हाइपरटेंशन या डायबिटीज पहले से मौजूद थीं. राज्य सरकार के अनुसार, पश्चिम बंगाल में कोरोना से हुई मौतों के 83 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में कोई न कोई अन्य बीमारियां भी थीं.
वास्तविक संख्या के लिहाज से कोलकाता में 2,500 से ज्यादा मौतें दर्ज हुई हैं, इसके बाद उत्तर 24 परगना में 1,939 और हावड़ा में 866 मौतें हुई हैं.
अगर पर कैपिटा डेथ के हिसाब से देखा जाए तो दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक के बाद पश्चिम बंगाल का स्थान पांचवां है. राज्य में 26 नवंबर तक हर एक लाख की आबादी पर आठ मौतें दर्ज की गई हैं.
पश्चिम बंगाल में पिछले महीने से हर दिन लगातार 3,500 से ज्यादा केस दर्ज हो रहे हैं. राज्य में 4.7 लाख कन्फर्म केसों के साथ पश्चिम बंगाल में देश का आठवां सबसे बड़ा केसलोड (24,752 एक्टिव केस) है. एक्टिव केस के मामले में पश्चिम बंगाल सातवें स्थान पर है. उसके पहले महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली, राजस्थान, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश हैं.
पश्चिम बंगाल में कैसे बढ़ रहे केस
25 मार्च तक पश्चिम बंगाल के 23 जिलों में से 20 में कोरोना का एक भी केस दर्ज नहीं हुआ था. 9 मई तक के आंकड़ों के अनुसार, मई के महीने तक सिर्फ तीन जिले बचे थे जहां कोई केस नहीं था. ये थे कलिंगपोंग, उत्तर दिनाजपुर और दक्षिण दिनाजपुर.
पिछले तीन महीनों से कोविड-19 के केस खतरनाक दर से बढ़ रहे हैं. इस अवधि में केसों की संख्या 1.6 लाख से बढ़कर 4.66 लाख हो गई है.
झारग्राम, नादिया और पुरुलिया जिलों में अपेक्षाकृत ज्यादा केस वृद्धि दर्ज की गई है. 1 सितंबर को झारग्राम में 264 केस थे जो कि 26 नवंबर तक बढ़कर 2,471 तक पहुंच गए.
राज्य के हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, राज्य में वायरस ने ज्यादातर बुजुर्ग और पहले से बीमार लोगों को अपना​ शिकार बनाया है. अगस्त की शुरुआत से अब तक करीब 100 दिन हो चुके हैं जब पश्चिम बंगाल में हर दिन 50 से 65 मौतें हो रही हैं. शायद ही कोई दिन रहा हो जब मौतों की संख्या इसके बाहर हुई हो. राज्य में अब तक 7,300 से अधिक कोरोना मौतें दर्ज की गई हैं. महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के बाद ये चौथी सबसे ज्यादा संख्या है.
हालांकि, बुजुर्गों को ज्यादा खतरा है, लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि हर उम्र के लोग वायरस की चपेट में है. इस वायरस की एक खास बात ये है कि यह हल्की बीमारी की वजह बन सकता है जहां लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखते, लेकिन वे दूसरे लोगों में संक्रमण फैला सकते हैं.
पश्चिम बंगाल में दैनिक केस अब भी पहली लहर से कम ही हैं. सितंबर में पहली पीक दर्ज हुई ​थी और अक्टूबर में भी केस वृद्धि जारी रही. हालांकि, ये वृद्धि औसत रही. राज्य में हर दिन तीन हजार से ज्यादा मामले सामने आए. हालांकि, मरीजों के ठीक होने की दर 93 फीसदी है और यही बात राज्य के लिए थोड़ी उम्मीद जगाती है.


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