COVID-19

वैज्ञानिकों की बड़ी टेंशन: कोरोना का पहला ऐसा मामला, पूरी दुनिया में पहली बार मरीज को आई ये दिक्कत

jantaserishta.com
20 May 2021 7:29 AM GMT
वैज्ञानिकों की बड़ी टेंशन: कोरोना का पहला ऐसा मामला, पूरी दुनिया में पहली बार मरीज को आई ये दिक्कत
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एक साल से ज्यादा होने को हैं और पूरी दुनिया के वैज्ञानिक अभी भी कोरोना के नए-नए लक्षणों और उससे जुड़ीं दिक्कतों को समझने की कोशिश कर रहे हैं. न्यू जर्सी के रटगर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को अपनी स्टडी में पहला ऐसा मामला मिला है जिसमें कोरोना की वजह से मरीज के बाजू में खतरनाक ब्लड क्लॉटिंग हो गई है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस स्टडी से ये जानने में मदद मिलेगी कि COVID-19 की वजह से होने वाला इंफ्लेमेशन शरीर को किस तरह नुकसान पहुंचा रहा है. साथ ही बार-बार होने वाले ब्लड क्लॉटिंग का इलाज किस तरह किया जा सकता है.
इससे पहले COVID-19 के कई मरीजों के शरीर के निचले हिस्से में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या देखी जा चुकी है लेकिन ये पहला ऐसा मामला है जिसमें कोरोना की वजह से मरीज के बाजू में ब्लड क्लॉटिंग हो गई है.
Viruses पत्रिका में छपी इस स्टडी के अनुसार, शरीर के ऊपरी हिस्से में हुई ये ब्लड क्लॉटिंग 85 साल के एक मरीज में देखी गई है. शोधकर्ता पायल पारिख के अनुसार, 'मरीज अपने डॉक्टर के पास बाजू में सूजन की समस्या लेकर आया था जिसके बाद उसे जांच के लिए अस्पताल भेज दिया गया. जांच में मरीज के हाथ के ऊपरी हिस्से में ब्लड क्लॉट पाया गया. मरीज की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी लेकिन उसमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे.'
स्टडी में डॉक्टर पारिख ने बताया, 'मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम नहीं हुआ था लेकिन हाथ में हुई ब्लड क्लॉटिंग की वजह से उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. ब्लड क्लॉटिंग शरीर में इंफ्लेमेशन की वजह से या फिर उन लोगों में होते हैं जो ज्यादा चल-फिर नहीं सकते हैं. स्वस्थ और एक्टिव मरीजों में इसके मामले कम देखे गए हैं.'
स्टडी के अनुसार, ज्यादातर ब्लड क्लॉटिंग पैरों में पाई जाती है. बाजू में ब्लड क्लॉट के सिर्फ 10 फीसद मामले सामने आते हैं और इनमें से 9 फीसद मामले होते हैं जिनमें ब्लड क्लॉटिंग बार-बार उभर जाता है.
डॉक्टर पारिख ने कहा, 'ये एक चिंता की बात है क्योंकि 30 फीसद मरीजों में ब्लड क्लॉट फेफड़ों तक पहुंच जाता है जो खतरनाक हो सकता है. इसकी वजह से सूजन, दर्द और थकान भी बनी रह सकती है.'
इस स्टडी से पता चलता है कि डॉक्टरों को बिना वजह सूजन की शिकायत लेकर आ रहे मरीजों का डीप वेन थ्रोम्बोसिस और COVID-19 टेस्ट कराना चाहिए. डॉक्टर पारिख की सलाह है कि कोरोना पॉजिटिव आने के बाद अगर सांस लेने में दिक्कत या ऑक्जीसन लेवल गिरने की शिकायत आती है तो मरीज को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
डॉक्टर पारिख का कहना है कि अगर आपके पहले डीप वेन थ्रोम्बोसिस (नसों में खून जमने) की शिकायत है या फिर कोई पुरानी ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से ब्लड क्लॉटिंग हो जाती है तो COVID-19 होने पर ये फिर से उभर सकता है जो कि खतरनाक भी हो सकता है. ऐसे मामलों में बहुत सावधान रहने की जरूरत है.'

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