COVID-19

कोरोना पर एक और दावा: यहां 25 हजार साल पहले बरपाया था कहर, तब से इंसानों को कर रहा परेशान

jantaserishta.com
26 April 2021 7:22 AM GMT
कोरोना पर एक और दावा: यहां 25 हजार साल पहले बरपाया था कहर, तब से इंसानों को कर रहा परेशान
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कोरोना वायरस आज से धरती पर नहीं है. इसका खौफ नया नहीं है. यह बहुत पुराना और खौफनाक वायरस है. यह 25 हजार साल पहले से इंसानों को परेशान कर रहा है. एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि प्राचीन कोरोना वायरस ने पूर्वी एशिया में 25 हजार साल पहले कहर बरपाया था. जानिए इस प्राचीन दानव के बारे में जिसके वंशज ने पिछले डेढ़ साल में 30 लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया.

कोरोना वायरस ने यह बता दिया है कि इंसान कितनी भी तरक्की कर ले, वह हमेशा नए वायरसों के आगे कमजोर ही रहेगा. नए वायरस के आगे इंसान प्राचीन समय से ही उस छोर पर खड़ा रहा है जहां से उसे बचने का कोई विकल्प नहीं मिलता. इस स्टडी को करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के एसिसटेंट प्रोफेसर डेविड एनार्ड ने कहा कि हर समय एक ऐसा वायरस रहा है, जिसने इंसानों को उनका स्तर याद दिलाया है. उन्हें बीमार किया और मारा.
प्रो. डेविड ने बताया कि वायरस भी इंसानों की तरह पीढ़ी दर पीढ़ी अपने नए जीनोम के जरिए आगे बढ़ते रहे हैं. सिर्फ वायरस ही नहीं ये प्रक्रिया हर प्रकार के पैथोजेन (Pathogens) यानी रोगजनकों के साथ होती है. यानी हर प्रकार के रोगाणुं अपनी पीढ़ियों में लगातार बदलाव करते हैं ताकि वो भी प्रकृति में सर्वाइव कर सकें. जल्द होने वाले बदलाव को म्यूटेशन और देर से होने वाले बदलाव को इवोल्यूशन कहते हैं.
प्रो. डेविड एनार्ड ने बताया कि उनकी टीम ने प्राचीन कोरोना वायरस को खोजने के लिए दुनिया भर के 26 अलग-अलग इंसानी आबादी के 2504 लोगों के जीनोम की जांच की. इससे पता चला कि कोरोना वायरस जैसे पैथोजेन इंसानों के DNA में प्राकृतिक चयन करके पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते आए हैं. इस स्टडी से इस बात में मदद मिलेगी कि भविष्य में किस तरह के वायरस आ सकते हैं. या फिर वो किस तरह के लोगों को संक्रमित करेगा.
प्रोफेसर डेविड की यह सट्डी bioRxiv पर प्रकाशित हुई है. अभी तक इसका पीयर रिव्यू नहीं हुआ है. साइंस जर्नल में इसके प्रकाशन के लिए रिव्यू किया जा रहा है. कोरोना वायरस इंसानों के शरीर में कोशिकाओं के जरिए प्रवेश करता है. यह कोशिकाओं को हाईजैक कर लेता है. उसके बाद उसके अंदर खुद को तोड़कर और वायरस बनाता है. इसका मतलब ये है कि कोरोना वायरस इंसान के शरीर में एक बार में ही हजारों प्रोटीन से संपर्क होता है.
साइंटिस्ट्स ने जब इसकी जांच की तो पता चला कि कोरोना वायरस इंसान के शरीर में 420 प्रकार के प्रोटीन से संपर्क करता है. इनमें 332 प्रोटीन्स सीधे कोरोना वायरस खुद इंटरैक्ट करते हैं. बस जब शरीर के प्रोटीन कोरोना वायरस से इंटरैक्ट करने लगें तो समझ जाइए कि आपको कोरोना वायरस का संक्रमण होने वाला है. शरीर में मौजूद यही 332 प्रोटीन इंसान के शरीर में वायरस को टूटकर नया वायरस बनाने में मदद करते हैं.
पूर्वी एशिया की इंसानी आबादी वाले लोगों में ऐसे जीन्स मिले हैं, जिनका संपर्क प्राचीन कोरोना वायरस से हुआ था. इसका प्रमाण उनके शरीर में अब भी मौजूद है. दुनिया में कई ऐसे कोरोना वायरस हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी ज्यादा बार बाहर निकले और लोगों को बीमार किया. इनमें होने वाले म्यूटेशन से पूर्वी एशिया के लोगों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो गई. क्योंकि वो ज्यादा बार कोरोना से संक्रमित हुआ. उनके शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनती चली गई.
प्रोफेसर डेविनड एनार्ड की टीम ने देखा कि कोरोना वायरस से संपर्क में आने वाले इंसान के शरीर के 420 प्रोटीन के 42 कोड्स होते हैं. ये कोड्स 25 हजार साल पहले से लेकर 5000 साल पहले तक लगातार खुद को म्यूटेट और इवॉल्व करते रहे. यानी प्राचीन कोरोना वायरस हर सदी में इंसानों को परेशान करता रहा है. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पूर्वी एशिया में देखने को मिला है.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर जोएल वर्थीम ने कहा इस स्टडी से एक बात तो स्पष्ट है कि कोरोना वायरस हजारों सालों से इंसानों को अपनी गिरफ्त में लेता आ रहा है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि इंसान के शरीर ने इतने हजारों साल के बाद भी कोरोना वायरस से लड़ने का तरीका नहीं निकाल पाया है. क्योंकि कोरोना वायरस लगातार म्यूटेट होता है. वह लगातार खुद को बदल कर इंसानों को परेशान करता है.
प्रोफेसर डेविड एनार्ड कहते हैं कि हो सकता है इंसानों को प्राचीन समय में कोरोना वायरस का संक्रमण न हुआ हो. किसी अन्य प्रकार का वायरस रहा हो. किसी अन्य प्रकार के वायरस ने इंसानों के शरीर में संपर्क किया हो. आपको बता दें कि एक अन्य वैज्ञानिक समूह ने भी बताया था कि 23,500 साल पहले कोरोना वायरस जैसा वायरस फैला था.
इस वायरस का नाम था सर्बेकोवायरस (Sarbecoviruses). यह कोरोना वायरस और उसके जैसे वायरसों का पूरा परिवार है. उसी समय इंसानों के शरीर में इस वायरस से संपर्क करने वाले जेनेटिक को़ड्स भी देखने को मिलते हैं. प्रोफेसर डेविड एनार्ड ने कहा कि अभी तक ऐसी कोई स्टडी या व्यवस्था नहीं बनी है कि जिससे हम पुराने कोरोना वायरस के जरिए आधुनिक वायरस का इलाज कर सकें.
हालांकि, डेविड और उनकी टीम प्राचीन कोरोना वायरस को लेकर अब भी अध्ययन कर रहे हैं. वो चाहते हैं कि ऐसी जीनोम स्टडी से भविष्य में आने वाली महामारियों के बारे में पता चल सकता है. ये भी जानकारी हो सकती है कि ये महामारी कब आएगी और कितने लोगों को संक्रमित कर सकती है. अगर वाकई में कोरोना वायरस या उसके परिवार से संबंधित किसी अन्य वायरस से प्राचीन समय में कई महामारियां फैलाई हैं तो भविष्य में इंसानों को बचाने में मदद मिल सकती है.
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