रायपुर। रामनामी समुदाय के बारे में आज आपको हम बताने जा रहे है। श्रीराम हमारी सांस्कृतिक चेतना के सबसे बड़े प्रतिनिधि हैं। वे रोम रोम में कण कण में बसे हैं। छत्तीसगढ़ के रामनामी संप्रदाय के लिए राम नाम ही जीवन का सबसे बड़ा आधार हैं। राम उनके वस्त्रों में हैं। उनके घरों की दीवार …
रायपुर। रामनामी समुदाय के बारे में आज आपको हम बताने जा रहे है। श्रीराम हमारी सांस्कृतिक चेतना के सबसे बड़े प्रतिनिधि हैं। वे रोम रोम में कण कण में बसे हैं। छत्तीसगढ़ के रामनामी संप्रदाय के लिए राम नाम ही जीवन का सबसे बड़ा आधार हैं।
राम उनके वस्त्रों में हैं। उनके घरों की दीवार में बसे हुए हैं। वे उनके हृदय में हैं और आत्मा में भी राम हैं। सब कुछ उन्होंने श्रीराम को अर्पित कर दिया है। उज्जवल श्वेत वस्त्रों में उन्होंने राम नाम अंकित करा लिया है और इसे ओढ़ लिया है। उनके चित्त में भी राम हैं और हृदय में भी। ये राम नाम की चदरिया उन्होंने ओढ़ ली है। कबीर की तरह ही वे कह सकते हैं कि झीनी झीनी बिनी चदरिया, दास कबीर जतन से ओढ़ी ज्यों की त्यों रख धीनी चदरिया। अर्थात मुझे जो शरीर रूपी वस्त्र मिला, उसे मैंने कलुषित नहीं होने दिया, वैसे ही उज्ज्वल अपने आराध्य को सौंप दिया।
वीडियो में जो आप भजन सुनेंगे, वो आपको गहराई से आध्यात्मिक भाव से भर देगा। भीतर आत्मा की चेतना को झंकृत कर देगा।
इसे सुनकर वैसा ही महसूस होगा जैसे कुमार गंधर्व को कबीर भजन का आलाप भरते महसूस कर सकते हैं। 150 बरसों से रामनाम की परंपरा को सहेजे हुए छत्तीसगढ़ के इन रामनामियों को आज अयोध्या धाम में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर सादर प्रणाम।